भोपाल, नवंबर 2012/ आयुर्वेद, होम्योपैथी और यूनानी चिकित्सा पद्धति से सम्पूर्ण स्वास्थ्य का लक्ष्य हासिल करने की दिशा में मध्यप्रदेश में ‘‘आयुष-सम्पूर्ण स्वास्थ्य सबके लिए’’ कार्य-योजना लागू की जा रही है। इस पाँच स्तरीय कार्य-योजना में आयुष स्वास्थ्य शिक्षा का प्रसार किया जाएगा, आयुष घरेलू उपचार को बढ़ावा दिया जाएगा और आयुष प्राथमिक सहायता और चिकित्सा सेवा तथा विशिष्ट चिकित्सा सेवा उपलब्ध करवाई जाएगी।

देश में अपने तरह की इस अनूठी पहल में यह कार्य-योजना आयुर्वेद, होम्योपैथी एवं यूनानी पद्धति के 1625 औषधालय, 31 चिकित्सालय, 36 आयुष विंग तथा 9 आयुष महाविद्यालय चिकित्सालय के माध्यम से लागू की जा रही है।

कार्ययोजना में 30-35 गाँव के समूह आयुष सेन्टर के रूप में निर्धारित किये गये हैं। इनका मुख्यालय सेक्टर का शासकीय आयुष औषधालय होगा। सेक्टर प्रभारी आयुष चिकित्सा अधिकारी, जन-प्रतिनिधि, पंचायत पदाधिकारी तथा शालाओं के प्रधानाचार्यों के सहयोग से कार्य-योजना पर अमल करेगा।

सतद सामान्य रोग के लिए आयुष के पैरा-मेडिकल कर्मचारियों के माध्यम से प्राथमिक सहायता सेवा भी प्रत्येक आयुष सेक्टर में उपलब्ध करवाई जाएगी। इनमें सर्दी-जुकाम, सामान्य बुखार, खाँसी, मलेरिया, अफरा, कुपोषण, गर्मणी, रक्ताल्पता, खाज-खुजली, मुँदी चोट, घाव, जले का घाव आदि रोग शामिल हैं।

परिवार-कल्याण, तंबाकू नियंत्रण, हृदय रोग, मधुमेह, पाइलेरिया, मनोरोग, वृद्धावस्थाजन्य रोग, कुपोषण नियंत्रण आदि कार्यक्रमों में भी आयुष चिकित्सा पद्धतियों के ज्ञान, औषधियों एवं अमले के माध्यम से सहयोग दिया जाएगा।

आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक एवं यूनानी पद्धतियों के चिकित्सा अधिकारी शासकीय औषधालयों में अपनी पद्धतियों से प्राथमिक उपचार करेंगे। जरूरत होने पर वे रोगियों को जिला मुख्यालय के आयुष चिकित्सालयों, आयुष विंग और आयुष चिकित्सा महाविद्यालय चिकित्सालयों को रेफर करेंगे। वहाँ रोगियों को पंचकर्म आदि विधियों से विशिष्ट चिकित्सा दी जाएगी।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here