नई दिल्ली, सितंबर 2013/ मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने नई दिल्ली में विज्ञान भवन में आयोजित राष्ट्रीय एकता परिषद की बैठक में कहा कि सामाजिक सदभाव, सर्वधर्म और एकता की भावना भारत की मिट्टी में रची-बसी है। भारतीय संस्कृति एक इंसान को इंसान के रूप में देखती है न कि किसी धर्म, जाति, वर्ग आदि विशेष के रूप में। समाज में जब तक सबको न्याय मिलने की आशा रहेगी तब तक समाज में सदभाव कायम रहेगा। मध्यप्रदेश सरकार हर वर्ग की सरकार है। हमारी सरकार ने किसी वर्ग विशेष के तुष्टीकरण की नीति नहीं अपनायी परन्तु मध्यप्रदेश के सभी नागरिकों के लिए समान रूप में योजनाएँ बनायी और प्रदेश के संसाधनों का प्रदेश के हित में पूर्ण उपयोग किया।
श्री चौहान ने कहा कि समाज में सदभाव के लिए आवश्यक है कि वोट बैंक की राजनीति बंद हो, राजनीतिक दल धर्म, जाति, वर्ग से ऊपर उठकर केवल विकास के आधार पर जनता के बीच समर्थन के लिए जाये, इससे समाज के हर वर्ग का विकास होगा। बैठक की अध्यक्षता यू पी ए की चेयरपर्सन श्रीमती सोनिया गांधी ने की। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने भी सम्बोधित किया। गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे, वित्त मंत्री पी. चिदम्बरम्, अल्पसंख्यक कल्याण मंत्री ए. रहमान, नेता प्रतिपक्ष लोकसभा श्रीमती सुषमा स्वराज और नेता प्रतिपक्ष राज्यसभा अरूण जेटली उपस्थित थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्यप्रदेश में साम्प्रदायिक दंगों में एक भी मौत नहीं हुई है। इसके लिए उन्होंने गृह मंत्रालय द्वारा उपलब्ध करवाये गये आँकड़ों में संशोधन करने की बात भी कही। श्री चौहान ने कहा कि हमारे लिए धर्म एक ऐसी चीज है जो विकास को समाज की आंतरिक और स्वाभाविक लय से जोड़ता है। हम सोशल इंजीनियरिंग के नाम पर जातियों और मजहबों को एक दूसरे से भिड़ाते नहीं हैं। जब तक हमारी कथनी और करनी एक समान नहीं होगी तब तक समाज में विद्रोह की स्थिति निर्मित रहेगी। आतंकवाद एवं संगठित अपराधों के विरूद्ध कानून बनाकर केन्द्र को मंजूरी के लिए भेजा था किन्तु विगत पाँच वर्ष से वह लंबित है, जबकि महाराष्ट्र में इसी प्रकार का कानून लागू है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास ही कानून और व्यवस्था, अंर्तसाम्प्रदायिक रिश्तेदारी और अंतर्जातीय सौहार्द का अंतिम निर्धारक है। इन ज्वलंत मुद्दों को मात्र पुलिसिंग के जरिये हल नहीं किया जा सकता, उसके लिए हमें संसाधनों और अवसरों के असमान वितरण की हमारी व्यवस्थागत कमजोरियों को दूर करना ही होगा।