भोपाल, जून 2015/ मध्यप्रदेश में पर्यावरण का ध्यान रखते हुए राज्य सरकार द्वारा अक्षय ऊर्जा के वैकल्पिक स्रोत पर विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। नवकरणीय ऊर्जा के लिये प्रदेश में निजी निवेशकों को प्रोत्साहित करने के लिये बॉयोमास एवं लघु जल विद्युत परियोजना आधारित क्रियान्वयन नीति-2011 लागू की गयी है। इसके साथ ही प्रदेश में सौर ऊर्जा पार्क परियोजना क्रियान्वयन नीति-2013 भी लागू की गयी है।

राज्य में अक्षय ऊर्जा के क्षेत्र में पवन ऊर्जा से लगभग 818 मेगावॉट, सौर ऊर्जा से 453 मेगावॉट, बॉयोमास ऊर्जा से 67 मेगावॉट एवं लघु जल विद्युत ऊर्जा से 86 मेगावॉट बिजली का उत्पादन किया जा रहा है। प्रदेश में इनके उपयोग से प्रतिवर्ष 18 लाख टन (co2) कार्बन डाई-आक्साइड के उत्सर्जन में कमी आयी है। पिछले वित्त वर्ष में पवन ऊर्जा के क्षेत्र में 450 मेगावॉट और सौर ऊर्जा के क्षेत्र में 110 मेगावॉट परियोजना स्थापित करने पर मध्यप्रदेश देशभर में दूसरे स्थान पर रहा है। इसके लिये इसी साल फरवरी में दिल्ली में आयोजित रि-इन्वेस्ट इन्वेस्टर समिट के दौरान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने मध्यप्रदेश को नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में किये गये उल्लेखनीय कार्य के लिये सम्मानित भी किया है।

प्रदेश में नवकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में वर्तमान में सौर ऊर्जा की 48 परियोजना में 570 मेगावॉट, पवन ऊर्जा की 147 परियोजना में 6,310 मेगावॉट, बॉयोमास ऊर्जा की 30 परियोजना में 272 मेगावॉट और लघु जल विद्युत ऊर्जा की 49 परियोजना में 272 मेगावॉट की परियोजना पर काम चल रहा है।

राज्य में सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन के क्षेत्र में उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल की गयी है। नीमच जिले में देश का सबसे बड़ा सोलर पॉवर प्लांट 130 मेगावॉट का स्थापित किया गया है। दुनिया का सबसे बड़ा सोलर पॉवर प्लांट प्रदेश सरकार और विश्व बेंक के सहयोग से रीवा जिले में स्थापित किया जा रहा है।

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