भोपाल, मार्च 2015/ निजी स्कूल अगले शिक्षा सत्र से विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों पर विद्यालय परिसर में स्थित विक्रेता या किसी दुकान विशेष से पुस्तकें एवं गणवेश खरीदने का दबाव नहीं बना सकेंगे। राज्य शासन ने इस संबंध में सभी जिला कलेक्टर को निर्देश जारी किये हैं।

शासन को यह शिकायतें मिलीं थी कि अशासकीय विद्यालयों द्वारा शैक्षणिक सत्र शुरू होने के पहले शाला में प्रवेश लेने वाले तथा पढ़ रहे विद्यार्थियों पर दबाव बनाया जाता है कि वे दुकान विशेष से ही पुस्तकें, गणवेश और अन्य शैक्षणिक सामग्री खरीदें। शासन ने इस प्रवृत्ति को उचित नहीं माना है। प्रदेश में संचालित निजी हाई स्कूल एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल या तो सीबीएसई अथवा माध्यमिक शिक्षा मण्डल से संबद्ध हैं। शासन ने कहा हैं कि निजी विद्यालय अपने विवेकानुसार निजी प्रकाशकों/एनसीईआरटी/पाठ्य-पुस्तक निगम द्वारा प्रकाशित पुस्तकों में से चयन करें। सभी निजी स्कूल के लिये यह जरूरी होगा कि अगले शिक्षा सत्र के शुरू होने के कम से कम एक माह पहले पाठ्य-पुस्तकों की सूची लेखक एवं प्रकाशक के नाम तथा मूल्य के साथ सूचना-पटल पर प्रदर्शित करें। इससे विद्यार्थी एवं उनके अभिभावक पुस्तकों को अपनी सुविधा से खुले बाजार से खरीद सकेंगे।

किसी भी प्रकार की शिक्षण सामग्री पर अब विद्यालय का नाम अंकित नहीं होने दिया जाएगा। विद्यालय के नोटिस-बोर्ड पर यह अंकित करवाया जायेगा कि किसी दुकान विशेष से सामग्री खरीदने की बाध्यता नहीं है। कहीं से भी पुस्तकें और सामग्री खरीदी जा सकती है। पुस्तकों के अलावा शाला की यूनिफार्म, टाई, जूते, कॉपी आदि भी उन्हीं शालाओं से उपलब्ध करवाने का बलपूर्वक प्रयास करने की स्थिति पैदा नहीं होने दी जायेगी। सभी सामग्री, जिन्हें संबंधित शाला उपयुक्त मानती है, उनके लिये विद्यार्थी एवं अभिभावकों को यह स्वतंत्रता दी जायेगी कि वे उसे खुले बाजार से खरीद सकें। जिले में किसी भी स्थिति में विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों पर बलपूर्वक पुस्तकें और अन्य सामग्री किसी विशेष निजी विक्रेता से खरीदने का दबाव नहीं डाला जाना चाहिये। शासन ने जिलों को निर्देश का पालन करवाने के लिये समुचित व्यवस्था सुनिश्चित करने को कहा है।

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