भोपाल, अप्रैल 2015/ बाल विवाह रोकने के लिये इस बार विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। आम तौर पर यह देखने में आया है कि बाल विवाह अक्षय तृतीया (अख-तीज) को बड़ी संख्या में होते हैं। इस बार अक्षय तृतीया 21 अप्रैल को है। ग्रामीण अंचलों में जागरूकता की कमी के कारण अभी भी बाल विवाह की कुप्रथा को पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सका है।
दो वर्ष से चल रहे लाडो अभियान के तहत अबकी बार से यह आवश्यक कर दिया गया है कि विवाह पत्रिका में वर- वधु की आयु का स्पष्ट उल्लेख किया जाये। प्रदेश में बाल विवाह रोकने में इलेक्ट्रानिक और प्रिंट मीडिया ने विशेष सराहनीय योगदान दिया है। इस बार भी उनसे सहयोग की अपेक्षा की गई है। सामूहिक विवाह आयोजनों में बाल विवाह होने की संभावना सबसे अधिक रहती है। इस बार सामूहिक विवाह कार्यक्रमों के आयोजकों से कहा गया है कि वे सुनिश्चित करें उनके द्वारा आयोजित विवाह कार्यक्रमों में बाल विवाह न हों। आम-जन से अपेक्षा की गई है कि वे ऐसे कार्यक्रमों में शामिल न हों।
इसी प्रकार मंदिरों के पटल पर बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम और उसके उल्लंघन पर सजा का उल्लेख करने के निर्देश महिला सशक्तिकरण विभाग द्वारा दिये गये हैं। साथ ही किशोरी बालिकाओं को भी इस अभियान से जोड़ा जायेगा। साथ विवाह सम्पन्न कराने वाले व्यक्तियों की मदद भी बाल विवाह रोकने में ली जायेगी।