भोपाल, जुलाई 2014/ राज्यपाल रामनरेश यादव ने कहा है कि दीक्षांत समारोह विद्यार्थियों के जीवन का गौरवमयी क्षण है। जीवन में पदार्पण के साथ ही राष्ट्र एवं समाज के उत्थान का मिशन लेकर अपने लक्ष्य की ओर आगे बढ़ना चाहिये। हमारे जीवन की सार्थकता इसी में है कि हम राष्ट्र के विकास में अपना योगदान दे सकें। राज्यपाल विक्रम विश्वविद्यालय के 21वें दीक्षान्त समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। सांसद डॉ.चिन्तामणि मालवीय, विधायक डॉ.मोहन यादव, विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ.जे.एल.कौल उपस्थित थे।
राज्यपाल ने कहा कि उज्जैन भारत के प्राचीनतम विद्या केन्द्रों में अपना विशेष महत्व रखता है। यह नगर संस्कृति, परम्परा और साधना की दृष्टि से इतिहास में प्रसिद्ध है। यहाँ के सान्दीपनि आश्रम में कृष्ण, बलराम एवं सुदामा ने भी अध्ययन एवं विद्या प्राप्त की है।
उच्च शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता ने कहा कि उपाधि प्राप्ति शिक्षा की समाप्ति नहीं है। जीवन में सदैव सीखने की ललक रहना चाहिये। प्रदेश में नये प्रयोगों द्वारा शैक्षणिक सुधार के प्रयत्न किये जा रहे हैं। प्रत्येक विश्वविद्यालय को निर्देशित किया गया है कि वे कम से कम दो-दो ऐसे विषय चिन्हांकित करें, जिनमें पूर्ण रूप से विशेषज्ञता हासिल की जाये।
स्कूल शिक्षा मंत्री पारस जैन ने कहा कि शिक्षा केवल किताबी ज्ञान तक सीमित नहीं रखी जाये, बल्कि यह मूल्य आधारित हो, जो व्यक्तित्व विकास का माध्यम बने। भारतीय राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय बैंगलुरु के प्रो.आर.वेंकटराव ने कहा कि जीवन में कड़ी मेहनत का कोई विकल्प नहीं है। विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति ने स्वागत उदबोधन दिया। समारोह में वर्ष 2012 के 79 एवं 2013 के पीएच.डी. एवं स्नातकोत्तर उपाधियाँ प्रदान की गईं। वर्ष 2012 के लिये 79 तथा 2013 के 90 विद्यार्थियों को पीएच.डी. उपाधि प्रदान की गई। समारोह में स्नातकोत्तर के 23 विद्यार्थियों को स्वर्ण पदक भी राज्यपाल ने प्रदान किये।
राज्यपाल ने एक करोड़ 30 लाख की लागत का श्रीमती रमाबाई कन्या छात्रावास, एक करोड़ 20 लाख लागत के फार्मेसी भवन, एक करोड़ 21 लाख लागत के परीक्षा भवन एवं 56 लाख रूपये की लागत के कन्या जिम्नेशियम का लोकार्पण किया।