भोपाल, जनवरी 2013/ वर्ष 2012 में 7 पुरातात्विक स्मारक राज्य संरक्षित स्मारक घोषित हुए है। इसी साल 47 स्मारक एवं 5 बावड़ी का अनुरक्षण और 1655 विभिन्न प्रतिकृति का निर्माण भी हुआ।
इस साल प्राचीन स्मारकों एवं स्थलों के संधारण एवं सरंक्षण पर विशेष जोर दिया गया। गोलघर स्मारक भोपाल के स्टोन पिलर एवं भित्ति-चित्र, शिव मंदिर वरावली मुरैना और शिव मंदिर बरूखेड़ा नीमच का रासायनिक संरक्षण किया गया। इसके साथ ही पुरातत्वीय स्मारक शिव मंदिर व्यास बदौरा छतरपुर, शंकरमठ कुण्डा जबलपुर, सावन-भादों तथा टकसाल भवन ओरछा जिला टीकमगढ़, राजवाड़ा इंदौर स्थित होलकर दीर्घा, लालबाग पैलेस इंदौर, समसगढ़ भोपाल, शिव मंदिर देवलघाट विदिशा, विजयपुर का किला, शिव मंदिर बिलोटा एवं आशापुरी जिला रायसेन का अनुरक्षण कार्य हुआ।
पुरातत्वीय स्मारकों एवं अभिलेखों से आम-जन को परिचित करवाने के उद्देश्य से विभिन्न विषय पर प्रदर्शनी लगायी गयी। ‘मृण्मयी प्रतिमाओं का संसार’, ‘भोपाल और उसके आसपास के शैलचित्र’, ‘परमार कला एवं स्थापत्य’, ‘शिवलिगंम’, ‘भारतीय कला में नंदी प्रतिमाएँ’, ‘आदि-शक्ति पार्वती’ एवं ‘भारत के प्रसिद्ध चर्च’ पर केन्द्रित राज्य संग्रहालय भोपाल में, तात्याटोपे के बलिदान दिवस पर शिवपुरी में, ‘बीसवीं सदी में मध्यप्रदेश में स्वाधीनता आंदोलन-इंदौर के विशेष संदर्भ में’ पर इंदौर में, ‘प्लेस नेम ऑफ मध्यप्रदेश’ पर महेश्वर संग्रहालय जिला खरगोन में और ‘कांस्य प्रतिमाओं का संसार‘ पर केन्द्रित छायाचित्र प्रदर्शनी रामबन जिला सतना में लगायी गयी।
इस वर्ष तुलसी संग्रहालय रामवन के बौद्ध एवं जैन प्रतिमाओं का केटलाग प्रकाशित किया गया। धुबेला एवं आसपास के पुरातत्वीय स्मारकों पर केन्द्रित पुस्तक और नोन-अननोन हिस्टोरिकल मान्युमेंटस ऑफ मध्यप्रदेश का इन्साइक्लोपीडिया भाग-2 तथा 1857 के चतुर्थ भाग का प्रकाशन किया गया। ओरछा स्मारकों पर केन्द्रित हेरीटेज वॉक फोल्डर का मुद्रण भी करवाया गया।
इसके साथ ही ‘परमार स्थापत्य कला एवं संस्कृति’ पर इंदौर संग्रहालय में, ‘प्लेस नेम ऑफ मध्यप्रदेश’ पर महेश्वर संग्रहालय और जिला पुरातत्व संग्रहालय राजगढ़ में, ‘मध्यप्रदेश की कला एवं पुरातत्व’ पर राज्य संग्रहालय भोपाल में, ‘अनुरक्षण’ पर राजा महल ओरछा में और ‘चंबल संभाग की सांस्कृतिक धरोहर’ पर श्योपुर में शोध संगोष्ठी एवं कार्यशाला हुई।