मध्यप्रदेश में वर्ष 2012 अनुसूचित जाति कल्याण के प्रयासों की दृष्टि से कुछ खास रहा। इस वर्ष प्रदेश की कुल जनसंख्या के 15.17 प्रतिशत से अधिक जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करने वाली अनुसूचित-जातियों के कल्याण के उद्देश्य से मंत्रालय स्तर पर पहली बार पृथक विभाग का गठन किया गया। विभाग का विभागाध्यक्ष प्रमुख सचिव स्तर का बनाया गया। नये विभाग के जरिये प्रदेश सरकार के कुल बजट का 15 प्रतिशत हिस्सा अनुसूचित-जाति वर्ग के कल्याण पर खर्च किया जा रहा है। इसके अलावा भी इस वर्ष इन वर्गों के कल्याण के लिये कई महत्वपूर्ण निर्णय लिये गये।
इस वर्ष अनुसूचित-जाति कल्याण विभाग का बजट पिछले वर्ष के 744 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 934 करोड़ किया गया। अनुसूचित-जाति वर्ग के युवाओं को स्व-रोजगार से जोड़ने के लिये इस वर्ष 10 हजार युवाओं को कौशल उन्नयन का प्रशिक्षण दिलाये जाने का निर्णय लिया गया। इसके लिये बजट में भी 15 करोड़ का प्रावधान किया गया। अंत्योदय स्व-रोजगार योजना के माध्यम से अनुसूचित-जाति वर्ग के 12 हजार 500 व्यक्तियों को स्वयं का व्यवसाय शुरू करने के लिये 62 करोड़ 50 लाख रुपये का ऋण-अनुदान देने का लक्ष्य रखकर इस दिशा में कार्य किया गया, जो सतत जारी है।
साल में 119 नए 50 सीटर प्री-मेट्रिक छात्रावासों की स्थापना कर 5,950 विद्यार्थियों को आवासीय सुविधा उपलब्ध कराई गई। इसी अवधि में पचास सीटर के 3 नए पोस्ट-मेट्रिक छात्रावास अशोकनगर के चंदेरी, टीकमगढ़ के जतारा एवं खण्डवा के हरसूद में बनाये गये। वर्तमान में संचालित प्री-मेट्रिक छात्रावासों में 3000 सीट की वृद्धि भी की गई है। साथ ही 17 प्री-मेट्रिक छात्रावास में 15 करोड़ के नये भवनों का निर्माण किया गया। इसी प्रकार प्रदेश के 3 संभागीय आवासीय विद्यालय शहडोल, होशंगाबाद और मुरैना में मंजूर हुए हैं।
अनुसूचित-जाति वर्ग के 27 लाख विद्यार्थियों को 250 करोड़ रुपये की छात्रवृत्तियाँ मंजूर हुई। इस वर्ग के व्यक्तियों में सुरक्षा की भावना को मजबूत करने के लिये समस्त 50 जिलों में अजाक पुलिस थानों की स्थापना और 43 जिलों में विशेष न्यायालयों का संचालन किया गया। अनुसूचित-जाति वर्ग की बस्तियों के विकास पर 65 करोड़ एवं विद्युतीकरण पर 17 करोड़ रुपये व्यय किये जाने का निर्णय लिया गया। इस वर्ग के किसानों के खेतों के कुओं पर विद्युतीकरण पर 25 करोड़ रुपये व्यय किये जाने का निर्णय भी लिया गया। इसी वर्ग के 14 विद्यार्थियों को विदेश में उच्च अध्ययन के लिये विदेश अध्ययन छात्रवृत्ति की मंजूरी भी दी गई।