भोपाल। राज्य शासन ने वर्तमान तथा नई खदानों का कंटूर-मेप तैयार करने के निर्देश जिला कलेक्टर को दिये हैं। इसके लिये कार्य-योजना बनाकर 15 दिन के अंदर अनिवार्य रूप से जानकारी भेजने को कहा गया है।
शासन ने इस संबंध में यह सुनिश्चित करने को कहा है कि कोई भी खनिज प्रकरण बिना कंटूर-मेप के मंजूर न किये जायें। साथ ही निर्देश दिये गये हैं किसी भी गौण खदान की नवीन लीज स्वीकृत करने के पूर्व उसका कंटूर-मेप तैयार करवाने के बाद ही प्रकरण में नियमानुसार कार्यवाही की जाये। जिला खनिज अधिकारी/सहायक खनिज अधिकारी अथवा प्रभारी अधिकारी खनिज शाखा इसके लिये व्यक्तिश: जिम्मेदार होंगे कि खनिज के कोई भी प्रकरण बिना कंटूर-मेप के स्वीकृत न किये जाये।
इसी प्रकार तैयार किये गये कंटूर-मेप का संधारण संबंधित खनि-लीज की नस्ती में करने तथा वर्तमान में जितनी भी खदानें, जिनमें कंटूर-मेप नहीं हैं, उनकी एक कार्य-योजना समय-सीमा में बनाने को कहा गया है। खदानों की संख्या तथा उपलब्ध स्टॉफ के मान से जिला कलेक्टर स्वयं समय-सीमा तय कर उसमें सभी खदानों के कंटूर-मेप तैयार करवायेंगे। कार्य-योजना की जानकारी निर्धारित प्रारूप में भेजने को कहा गया है। इसमें गौण खनिज खदानों की संख्या, जिन गौण खदानों में कंटूर-मेप नहीं हैं उनकी संख्या, किस समय-सीमा में कंटूर की जायेगी (माह एवं वर्ष), प्रत्येक माह में की जाने वाली कंटूरिंग की संख्या तथा अभ्युक्ति कंटूरिंग के लिये उपलब्ध स्टॉफ आदि की जानकारी 15 दिन के अंदर अनिवार्य रूप से भेजने को कहा गया है।
उल्लेखनीय है कि मुख्य खनिजों में खनि-पट्टा स्वीकृति से पूर्व माइनिंग प्लॉन तैयार करवाया जाता है। इसके तैयार करते समय खदानों की कंटूरिंग की जाती है। गौण खनिज खदानों में वर्तमान में ग्रेनाइट तथा मार्बल के लिये माइनिंग प्लॉन का पूर्व से ही प्रावधान है। इन ग्रेनाइट तथा मार्बल खनिज खदानों की कंटूरिंग की जाती है। शेष गौण खनिजों की वर्तमान में कंटूरिंग का प्रावधान नहीं है। खनन पूर्व भौगोलिक स्थिति की जानकारी संकलित करने के उद्देश्य से इन क्षेत्रों का कंटूर-मेप तैयार किया जाना आवश्यक है। स्वीकृत क्षेत्र का कंटूर-मेप होने से खदानों से निकाले जाने वाले खनिज का आँकलन सुगमता से हो सकेगा।