सेंधवा वन मंडल में वन-समितियों की सजगता और मेहनत ने 25 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र की काया-पलट कर दी है। सेंधवा वन मंडल- बड़वानी जिले का दक्षिणी भाग है, जहाँ लगभग दो दशक पूर्व वड़ियापानी गाँव में पहली वन सुरक्षा समिति का गठन किया गया था। उस समय तेजी से घटते वनावरण के चलते सूखे नदी-नाले, वनोपज को जिन्दा रखने की मशक्कत, वन भूमि पर अतिक्रमण आदि ने क्षेत्र के वनों को लगभग खत्म कर दिया था। समिति के माध्यम से ग्रामीण आगे आये। आज लगभग निर्वृक्ष पहाड़ियाँ न केवल हरी-भरी हैं, बल्कि बिगड़े वन सघन वन में तब्दील होते जा रहे हैं। लघु वनोपज से आमदनी बढ़ी है। भू-जल स्तर सुधर रहा है। बिगड़े वन क्षेत्र के घनत्व में आये चमत्कारिक बदलाव को गूगल अर्थ पर भी देखा जा सकता है।
एक दशक में वन पुनरुत्पादन में ढाई से तीन गुना वृद्धि
वड़ियापानी गाँव से प्रारंभ यह प्रयास सेंधवा वन मंडल में वरला, धवली, पानसेमल, अम्बापानी, अजगरिया, खड़ीखम, खपाड़ा, महानीम, हिंगवा आदि गाँवों में भी बदलाव लाया। विनाश की ओर अग्रसर धवली और वरला परिक्षेत्र के 9887 हेक्टेयर क्षेत्र के जंगलों में वर्ष 2014 में हुए पुनरुत्पादन सर्वे सुखद आश्चर्य के साथ चौंकाने वाले थे। एक दशक पहले जिन वनों का औसत मात्र 880 था वह वर्ष 2014 में 939 पर पहुँच गया। पुनरुत्पादन में ढाई से तीन गुना की यह वृद्धि प्रदेश के लिये ही नहीं देश के पर्यावरण के लिये भी मुफीद है।
संयुक्त वन प्रबंधन के चलते आज सेंधवा वन मंडल के अनेक गाँव के 12 हजार हेक्टेयर वन क्षेत्र की वनावरण वृद्धि के साथ सफल सुरक्षा हुई है।
वर्ष 2006-07 में कार्य-आयोजना बनाने वाले वर्तमान में यहाँ के मुख्य वन संरक्षक डॉ. पंकज श्रीवास्तव 90 के दशक में यहाँ वन मण्डलाधिकारी रह चुके हैं। डॉ. श्रीवास्तव ग्रामीणों, वनाधिकारियों और कर्मचारियों के साथ वड़ियापानी के स्व. श्री माँगीलाल पटेल को इसका श्रेय देते हैं। स्व. पटेल ने इस अभियान की नींव रखी थी। निमाड़ अंचल में शुरू हुई यह पहल वनों की सुरक्षा में चिंतित देश-विदेश की संस्थाओं और पर्यावरणविदों के लिये अनुपम मिसाल बनती जा रही है।