भोपाल। प्रदेश में लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत अब तक विभिन्न जिलों के 137 अधिकारियों/कर्मचारियों पर लगभग दो लाख बावन हजार चार सौ बीस (2,52,420) रुपये का जुर्माना लगाया गया। साथ ही 406 आवेदकों को क्षतिपूर्ति के रूप में 1 लाख 86 हजार से ज्यादा की राशि बाँटी गई। अधिनियम के तहत यदि किसी व्यक्ति को अधिसूचित सेवाएँ निर्धारित समय-सीमा में नहीं मिलती तो संबंधित पर जुर्माना लगाने का प्रावधान है।

अधिनियम के प्रावधान के अनुसार आमजन को समय-सीमा में लोक सेवा उपलब्ध न करवाने पर भोपाल संभाग में तीन अधिकारियों पर 7450 रुपये का जुर्माना लगाया गया। इन प्रकरण में निर्धारित समय-सीमा पर सेवाएँ उपलब्ध न होने पर क्षतिपूर्ति के रूप में तीन आवेदकों को 7450 रुपये दिए गए। ग्वालियर संभाग में 17 अधिकारी/कर्मचारियों पर एक लाख 500 रुपये का जुर्माना लगाया गया जिसमें 95 हजार 700 रुपये 282 आवेदकों को बाँटा गया। इसी प्रकार चम्बल संभाग में तीन अधिकारियों पर कुल 11 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया। संभाग में दस आवेदक को क्षतिपूर्ति के रूप में 11 हजार रुपये वितरित किए गए। इंदौर संभाग में तीन अधिकारियों पर 6 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया तथा तीन आवेदकों को इतनी ही राशि वितरित की गई। जबलपुर संभाग में 75 अधिकारी/कर्मचारी पर 31 हजार 920 रुपये का जुर्माना लगाया गया। प्रावधानों के तहत 60 आवेदकों को 22 हजार 150 रुपये की राशि प्रदान की गई। इसी प्रकार नर्मदापुरम संभाग में एक अधिकारी पर 5 हजार रुपये का दण्ड निरूपित किया गया तथा आवेदक को क्षतिपूर्ति के रूप में इतनी ही राशि दी गई। रीवा संभाग में 9 अधिकारियों पर 20 हजार 300 रुपये का जुर्माना तथा इतनी ही राशि 29 आवेदकों को बाँटी गई। सागर संभाग में 2 अधिकारियों पर 6750 रुपये का अर्थ दण्ड लगाया गया तथा एक आवेदक को 1750 रुपये उपलब्ध करवाये गये।

इसी प्रकार शहडोल संभाग में अधिनियम के तहत कर्मचारी के विरूद्ध 35 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया तथा 7 आवेदक को 8500 रुपये की राशि वितरित की गई। उज्जैन संभाग में 7 अधिकारियों पर समय-सीमा में सेवाएँ उपलब्ध ना करवाने पर 15 हजार 250 रुपये का जुर्माना लगाया गया तथा दस आवेदक को 12 हजार रुपये की क्षतिपूर्ति राशि दी गयी।

उल्लेखनीय है कि लोक सेवा गारंटी अधिनियम के तहत अब तक एक करोड़ 45 लाख से ज्यादा आवेदन का निराकरण किया गया है। सितंबर माह में लगभग 33 हजार 159 आवेदन प्राप्त हुए जिसमें से 32 हजार 632 आवेदन का निराकरण किया गया।

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