भोपाल, अगस्त 2013/ प्रदेश में पुरातात्विक एवं ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण का काम लगातार जारी है। परिणामस्वरूप अब राज्य संरक्षित स्मारक की संख्या 383 हो गई है। वर्ष 2003 तक कुल 289 राज्य संरक्षित स्मारक थे।
प्रदेश में विगत 9 वर्ष में व्यापक-स्तर पर स्मारकों का अनुरक्षण करवाया गया है। इनमें से ओरछा, ग्वालियर, नरवर, बुरहानपुर, मण्डला, व्यास भदौरा और माण्डव के स्मारक महत्वपूर्ण हैं। वर्ष 2005 में भोपाल में राज्य संग्रहालय का निर्माण करवाया गया, जो देश के सर्वश्रेष्ठ संग्रहालयों में से एक है। राज्य संग्रहालयों के सभी दीर्घाओं की जानकारी विभागीय वेबसाइट http://www.mparchaeology.org/ पर वर्चुअल टूल के माध्यम से तैयार करवाई गई है। इसके अतिरिक्त राजवाड़ा स्मारक इंदौर में होलकर वीथिका और गोलघर स्मारक में नवाबकालीन कला एवं स्थापत्य संग्रहालय की स्थापना की गई।
पुरातात्विक स्थलों की जानकारी को संकलित करने के उद्देश्य से मध्यप्रदेश के स्मारकों पर केन्द्रित ‘नोन-अननोन इनसाइक्लोपीडिया ऑफ हिस्टोरिकल मान्युमेंट्स ऑफ मध्यप्रदेश”, विंटेज श्रंखला में मध्यप्रदेश, इंदौर, भोपाल, ग्वालियर, 50 वर्ष एज केपिटल ऑफ भोपाल, पेंटेड रॉक शेल्टर ऑफ इण्डिया और मास्टर पीसेज ऑफ मध्यप्रदेश का प्रकाशन करवाया गया। प्रथम स्वतंत्रता संग्राम-1857 के अभिलेखों से संबंधित 4 वाल्यूम प्रकाशित किये गये। कर्नल स्लीमन के पत्र-व्यवहार पर आधारित पुस्तक के वाल्यूम-1 का प्रकाशन शीघ्र किया जायेगा।
पुरातत्व विभाग द्वारा पहली बार वर्ष 2006 में डॉ. विष्णु श्रीधर वाकणकर सम्मान की स्थापना कर प्रतिष्ठित विद्वानों को सम्मानित करने का कार्य शुरू हुआ। प्रदेश की सांस्कृतिक विरासत को जन-सामान्य तक पहुँचाने के लिये प्रदेश एवं जिला-स्तर पर प्रशिक्षण, शोध संगोष्ठी एवं विभिन्न विषय पर प्रदर्शनी लगवाई जा रही है। वर्ष 2012 में अंतर्राष्ट्रीय शोध संगोष्ठी का आयोजन राज्य संग्रहालय, भोपाल में किया गया। नर्मदा परियोजना के 34 स्मारक की पुन: स्थापना की गई।
राज्य सरकार द्वारा पुरातत्व के क्षेत्र में किये जा रहे उल्लेखनीय कार्यों को देखते हुए भारत सरकार द्वारा जहाँ 12वें वित्त आयोग में 18 करोड़ रुपये दिये गये थे, वहीं 13वें वित्त आयोग में 175 करोड़ की राशि स्मारकों एवं संग्रहालयों के विकास के लिये स्वीकृत की गई है।