भोपाल, मई 2013/ वित्तीय वर्ष 2012-13 में मध्यप्रदेश की विकास दर 10.02 प्रतिशत रही। यह देश में सर्वाधिक है। इसी तरह कृषि विकास दर भी गत वर्ष देश में सर्वाधिक आँकी गयी। मध्यप्रदेश में किसानों को जीरो प्रतिशत ब्याज दर पर दिये जा रहे ऋण, कृषि केबिनेट का गठन, उर्वरकों के अग्रिम भण्डारण आदि की सुविधाओं के फलस्वरूप इस वर्ष भी कृषि वृद्धि दर 16 प्रतिशत होने की उम्मीद है। सिंचाई, विद्युत व्यवस्था में भी पूरे प्रदेश में व्यापक सुधार आया है। यह जानकारी मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान द्वारा योजना आयोग के साथ 22 मई को दिल्ली में होने वाली बैठक से पहले की गयी राज्य स्तरीय समीक्षा में दी गयी।
श्री चौहान ने कहा कि प्रदेश के हर परिवार को स्वास्थ्य सुविधाएँ सुलभ हों, विद्युत व्यवस्था में हुए सुधार से गाँव-गाँव में लघु और कुटीर उद्योगों का जाल बिछे, प्रदेश के सभी युवाओं को रोजगार उपलब्ध हों, राज्य शासन की सभी योजनाओं का लाभ आमजन तक पहुँचे, ऐसे प्रयत्न किये जा रहे हैं। उन्होंने मनरेगा में स्थायी परिसम्पत्तियों के निर्माण पर जोर दिया। बैठक में बताया गया कि मध्यप्रदेश वर्ष 2006-07 से लगातार रेवेन्यू सरप्लस की स्थिति में है। राज्य का शुद्ध ऋण वर्ष 2005-06 के 33.27 प्रतिशत की तुलना में 2012-13 में 14.26 प्रतिशत रह गया है।
गत वर्ष गेहूँ का कुल उपार्जन तथा मंडी की आवक मिला कर 95.6 लाख मीट्रिक टन रहा। इस वर्ष यह 100 मीट्रिक टन अनुमानित है। उद्यानिकी का क्षेत्र गत पाँच वर्ष में 7 लाख हेक्टर बढ़ा और उत्पादन में भी 140 लाख मीट्रिक टन की वृद्धि हुई। प्रदेश की दुग्ध संग्रहण क्षमता प्रति वर्ष 10 प्रतिशत के मान से बढ़ती हुई 9 लाख लीटर प्रतिदिन हो गयी है।
मध्यप्रदेश अगले वर्ष तक विद्युत आधिक्य वाला प्रदेश होगा। बताया गया कि वर्ष 2007-08 में जहाँ प्रदेश की विद्युत उपलब्धता 6822 मेगावाट थी, वह वर्ष 2012-13 में बढ़कर 10 हजार 699 मेगावाट हो गयी। विद्युत वितरण क्षमता में भी 65 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। सिंचाई क्षमता 7 लाख हेक्टर से बढ़कर 25 लाख हेक्टर से भी अधिक हो गयी है।
ग्यारहवीं पंचवर्षीय योजना में प्रदेश की औद्योगिक विकास दर 10.4 प्रतिशत रही। वर्ष 2007 से 2012 की अवधि में करीब 33 हजार करोड़ के निवेश के साथ 90 औद्योगिक इकाइयाँ प्रारंभ हुईं। अभी एक लाख 74 हजार करोड़ की 122 औद्योगिक इकाइयों का कार्य प्रगति पर है।