भोपाल, जनवरी 2013/ कृषि के क्षेत्र में बीते कुछ वर्षों में अभूतपूर्व उपलब्धियाँ हासिल करने वाले मध्यप्रदेश को खाद्यान्न उत्पादन में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के लिये भारत सरकार का कृषि कर्मण अवार्ड मिल रहा है। दो करोड़ रुपये का यह पुरस्कार राष्ट्रपति श्री प्रणव मुखर्जी के हाथों मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान 15 जनवरी, 2013 को दिल्ली में प्राप्त करेंगे। इस अवसर पर कृषि मंत्री डॉ. रामकृष्ण कुसमरिया भी उपस्थित रहेंगे।

मध्यप्रदेश को कृषि कर्मण अवार्ड वर्ष 2011-12 में ‘खाद्यान्न उत्पादन केटेगरी फर्स्ट’ के लिये दिया जा रहा है। इसके साथ ही रायसेन जिले की कृषक श्रीमती राधाबाई दुबे और होशंगाबाद जिले में सिवनी-मालवा के श्री गंभीर सिंह पाल को भी जैविक खेती में श्रेष्ठ कार्य के लिये राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया जायेगा। इन्हें नगद एक-एक लाख रुपये तथा प्रमाण-पत्र दिया जायेगा।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2011-12 में मध्यप्रदेश ने कुल 216.08 लाख मीट्रिक टन खाद्यान्न उत्पादन किया। यह एक कीर्तिमान है। इससे पहले वर्ष 2010-11 में खाद्यान्न फसलों का अधिकतम उत्पादन 166.41 लाख मीट्रिक टन ही था। गेहूँ के उत्पादन में भी लम्बे डग भरते हुए वर्ष 2011-12 में 127.53 लाख मीट्रिक टन उत्पादन हासिल किया गया। गेहूँ की प्रति हेक्टेयर अधिकतम उत्पादकता वर्ष 2010-11 में 2065 किलोग्राम थी, जो वर्ष 2011-12 में बढ़कर 2609 किलोग्राम तक पहुँच गई है। प्रदेश में वर्ष 2010-11 में धान का उत्पादन 17 लाख 72 हजार मीट्रिक टन था। यह वर्ष 2011-12 में बढ़कर 22 लाख 27 हजार मीट्रिक टन हो गया है।

विशेष प्रयासों का सुफल

मध्यप्रदेश को खाद्यान्न उत्पादन में सर्वश्रेष्ठ कार्य के लिए जो पुरस्कार दिया जा रहा है वह राज्य सरकार द्वारा इस दिशा में किए जा रहे लगातार प्रतिबद्ध प्रयासों का सुफल है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में प्रदेश में कृषि और कृषकों के हित में महत्वपूर्ण निर्णय लेकर उन पर मुस्तैदी से अमल किया गया। प्रदेश में कृषि केबिनेट का गठन किया गया। किसानों को दिए जाने वाले सहकारी बैंकों पर ऋण घटाकर जीरो प्रतिशत कर दिया गया। किसानों के गेंहूँ के उपार्जन पर 100 रुपये प्रति क्विंटल तथा धान के उपार्जन पर 50 रुपये प्रति क्विंटल बोनस दिया गया। इस वर्ष धान पर भी 100 रुपये का बोनस देने का निर्णय लिया गया।

उच्च उत्पादकता वाली किस्मों को बढ़ावा देकर आदान पूर्ति की साप्ताहिक समीक्षा की गई। कुल 1,217 बीज उत्पादन समितियों का गठन कर बीजों का उत्पादन बढ़ाया गया। साथ ही 83 प्रतिशत बीजों का उपचार कर बोआई की गई और गेहूँ और धान में बीज प्रतिस्थापन दर में पर्याप्त वृद्धि की गई। माइक्रो न्यूट्रीएन्ट्स विशेषकर जिंक सल्फेट के उपयोग को बढ़ावा दिया गया। बड़े बाँधों से सिंचाई क्षमता में विस्तार कर 16 लाख 35 हजार हेक्टेयर में सिंचाई सुविधा दी गई। कृषि साख सीमा में 30.5 प्रतिशत वृद्धि की गई। वर्ष 2011-12 में किसानों को सहकारी बैंकों के माध्यम से 7,629 करोड़ 27 लाख रुपये के ऋण उपलब्ध करवाये गये।

राधाबाई  और गंभीर सिंह की उपलब्धि

रायसेन जिले की किसान श्रीमती राधाबाई दुबे जैविक खेती से प्रदेश में सर्वाधिक फसल उत्पादन का कीर्तिमान स्थापित कर एक तरह से प्रदेश की जैविक खेती की एम्बेसेडर बनकर उभरी हैं। राधाबाई ने एक हेक्टेयर में 23 क्विंटल चना फसल का उत्पादन कर सिद्ध कर दिया है कि रासायनिक खादों के मुकाबले भारत की परम्परागत जैविक पद्धति कहीं ज्यादा लाभकारी और पर्यावरण के अनुकूल है। श्रीमती राधाबाई को राष्ट्रपति द्वारा एक लाख रुपये का पुरस्कार और प्रमाण-पत्र दिया जायेगा। यह पुरस्कार प्राप्त करने वाली वे मध्यप्रदेश की पहली महिला के साथ ही महिला कृषक भी होंगी।

इसी तरह होशंगाबाद जिले में सिवनी-मालवा के श्री गंभीर सिंह पाल ने जैविक पद्धति से 74 क्विंटल प्रति हेक्टेयर गेहूँ उत्पादन कर कीर्तिमान बनाया है। उन्हें भी राष्ट्रपति द्वारा पुरस्कृत किया जायेगा।

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