भोपाल इंदौर के बीच डबल डेकर ट्रेन चलाए जाने का मामला बहुत समय से लंबित है। इस ट्रेन को लेकर हर बार नई नई खबरें आती रहती हैं। हमारे पाठक मनोज शर्मा ने इस बारे में विस्तार से लिखा है-
भोपाल-इंदौर रात्रि पेसेंजर का हबीबगंज से चलना बहुत ही जरुरी है लेकिन इतनी छोटी-सी सुविधा भी अभी तक लंबित है. यह ट्रेन रात ११ बजे भोपाल से चलती है. न्यू भोपाल के विशाल आवासीय क्षेत्र/तथा दूरस्थ कॉलोनीज से भोपाल स्टेशन पंहुचना बहुत बड़ी समस्या रहती है. कोई भी साधन उपलब्ध नहीं रहता। कई भाग तो ऐसे हैं जहाँ ऑटो तक मिलता नहीं, अगर मिला भी तो मज़बूरी देख मनमाना किराया लेते हैं.
यदि इस ट्रेन को हबीबगंज तक कर दिया जायेगा तो सुबह की उज्जैन पेसेंजर भी अपने आप ही हबीबगंज-उज्जैन बन जाएगी जिससे न्यू भोपालवासियों को दोहरी सुविधा मिल जाएगी।
इंदौर/भोपाल रात्रि पेसेंजर (नं ५९३८९/९०) का हबीबगंज तक विस्तार बहुत छोटी बात है जिसका अधिकार डीआरएम भोपाल मंडल को होना चाहिए। यह ट्रेन आती है, कुछ देर रुक कर पुनः वापस चली जाती है. इसका हबीबगंज लाया जाना शताब्दी से भी जरुरी है क्योंकि यह आम जनता की ट्रेन है, शताब्दी जैसी व्हीआईपी ट्रेन नहीं।
डबल डेकर का यहाँ से अन्य कहीं जाना भोपाल/रतलाम मंडलों के साथ ही पश्चिम/मध्य ज़ोन के लिए बहुत लज्जास्पद और प्रदेश के लिए अपमानास्पद घटना होगी। पूरा प्रयास किया जाये कि ऐसा नहीं हो और यह ट्रेन पूर्व-निश्चित मार्ग पर ही चले.
इस ट्रेन को अन्यत्र ले जाने के लिए जो भी शक्तियां/न्यस्त स्वार्थ, अथवा तत्व सक्रीय हों उन्हें पराजित करने और उनका यह षड्यंत्र विफल करने हेतु सब जन सम्मिलित प्रयास करें। सबसे पहले वे कारन सामने लाये जाएँ जो यह सब होने के लिए जिम्मेदार हैं. दुःख की बात तो यह है कि रेल प्रशासन द्वारा कुछ भी बताया नहीं जाता कि आखिर बात क्या है जो यह ट्रेन चल नहीं रही.
बार बार कमिश्नर रेलवे सेफ्टी चेतन बक्षी का नाम ही उछल रहा है जो भरोसे काबिल बात नहीं लगती। मामला कुछ और है जो सामने नहीं आ रहा.
डबल डेकर को लेकर जो खबर आयी है कि उसे बंगलौर भेजने की सम्भावना है, यह पूरे प्रदेश के लिए प्रतिष्ठा का प्रश्न है. यह नहीं होना चाहिए। डबल डेकर हबीबगंज/इंदौर रूट पर ही चलना चाहिए जैसी कि रेल मंत्रीजी ने रेल-बजट प्रस्तुति के दौरान संसद में घोषणा की थी. बंगलोरे/चेन्नई, दिल्ली/जयपुर डबल डेकर चल ही रहीं हैं. हबीबगंज/इंदौर को लेकर ही यह विवाद क्यों हो रहा है?
इसमें निहित स्वार्थों द्वारा षड्यंत्र की बू आ रही है. यह उलझन जो पैदा हुई है या तो राजनैतिक है या निहित स्वार्थ आड़े आ रहे हैं. रेल प्रशासन ही असलियत जानता है कि यह मामला कहाँ और क्यों उलझा है और वही इसे सुलझा सकता है. जो भी स्थिति हो यह हाई टेक ट्रेन प्रदेश से छिन न जाये इसका ध्यान रखना होगा। यह सबकी जिम्मेदारी है.
डबल डेकर को शताब्दी से लिंक करने का विचार भी ठीक है क्योंकि तब उसे सवारी मिलेगी। लेकिन डबल डेकर कहीं अन्यत्र जाना नहीं चाहिए। इसके बंगलौर जाने सम्बन्धी जो खबर छपी है उससे चिंता हुई.
भोपाल/इंदौर तेज रफ़्तार ट्रेन की बहुत जरुरत है. एक ऐसी ट्रेन जो दो घंटे में इंदौर पंहुचा दे. वह डबल डेकर ही हो सकती है. अभी तक यह ट्रेन कब की चल जाना चाहिए थी। बेकार में हबीबगंज यार्ड में पटक रखा है. रेलवे को प्रतिदिन करोड़ों रु. का नुकसान हो रहा है.