भोपाल, जून 2015/ केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी ने कहा है कि बाँस उत्पाद और उत्पादन आधारित रोजगार निर्माण करने की नीति तैयार करने के लिए नीति आयोग से चर्चा की जायेगी। देश के सामने सबसे बड़ी चुनौती ग्रामीण क्षेत्र में रोजगार सृजन की है।
यहाँ प्रशासन अकादमी में देश की पहली बाँस निवेशक मीट को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि बाँस का उत्पादन बढ़ाने और उत्पाद डिजाइनिंग की जरुरत है। अच्छे उत्पादों के लिए बाजार की कमी नहीं है। ग्रामीण क्षेत्र में प्रतिभा और उद्यमिता की कमी नहीं है सिर्फ अवसर की उपलब्धता जरूरी है। राष्ट्रीय राजमार्गों के किनारों पर बाँस रोपण की शुरूआत जल्द की जायेगी। अच्छी प्रजाति के बाँस के बीज और पौधे तौयार करने के लिये रोपणियां तैयार करने पर विचार किया जाना चाहिए।
बाँस उत्पादन और उत्पाद निर्माण उद्योग में रुचि रखने वाले निवेशक मध्यप्रदेश में निवेश करें। मध्यप्रदेश में निवेश के लिये सभी जरूरी अधोसंरचनाएँ मौजूद हैं। अधिक उत्पादन से कम लोगों को लाभ मिले तो अर्थव्यवस्था के लिये ज्यादा लाभदायक नहीं होता। उत्पादन से अधिकाधिक लोगों को लाभ मिलना चाहिये। विकास के लिये राजनैतिक इच्छा शक्ति सबसे बड़ी पूंजी होती है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश में नमामि देवी नर्मदे अभियान चलाया जायेगा। इस अभियान में नर्मदा के किनारे वनों में बाँस लगाये जायेंगे। प्रदेश में बाँस को रोजगार और समृद्धि का माध्यम बनाया जायेगा। मध्यप्रदेश के वनों को वरदान बनायेंगे। इसमें बाँस का महत्वपूर्ण योगदान रहेगा। प्रदेश में किसानों को बाँस लगाने के लिये प्रेरित किया जायेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के 51 जिलों में पाँच करोड़ बाँस वृक्ष लगाने का लक्ष्य तय किया गया है, इसे बढ़ाया जायेगा।
बाँस के उत्पादों के माध्यम से रोजगार के नये अवसर पैदा करने पर जोर देते हुए श्री चौहान ने कहा कि बाँस के क्षेत्र में निवेशकों को सभी सुविधाएँ उपलब्ध करवायी जायेंगी। वनों के सुधार और वनों के माध्यम से रोजगार के लिये निजी निवेश को प्रोत्साहित किया जायेगा। प्रदेश में अब रोजगार वृद्धि पर फोकस किया गया है। इसके लिये निवेश के नये क्षेत्रों को बढ़ावा दिया जायेगा।
वन मंत्री डॉ गौरी शंकर शेजवार ने कहा कि बाँस के उत्पादों के लिये बेहतर विपणन व्यवस्था तथा अच्छे किस्म के बाँस के उत्पादन की आवश्यकता है। प्रदेश में वन नियम 2015 में संशोधन कर वन समितियों को विशेष अधिकार दिये गये हैं। वे निवेशकों से सीधे चर्चा कर सकती हैं। इन्हें वनों की सुरक्षा और बाँस के उत्पादन के लिये प्रेरित किया जायेगा।
इस अवसर पर बाँस उत्पाद से जुडे उद्यमियों और कंपनियों ने बाँस उत्पादन एवं उत्पाद और बाजार से संबंधित अपने अनुभव सुनाये। बाँस गान के रचयिता महेश श्रीवास्तव को सम्मानित किया गया।