भोपाल। खरीफ मौसम में समय से बोई गई ज्यादातर फसलों की कटाई तेजी से चल रही है। मूँग, उड़द, तिल तथा सोयाबीन की फसलें कट कर खलिहानों में पहुँचने लगी हैं। परम्परागत साधनों के अलावा शीघ्रता की दृष्टि से कम्बाइन हार्वेस्टर एवं शक्ति-चलित रीपर द्वारा भी कटाई कार्य किया जा रहा है।

किसान-कल्याण तथा कृषि विकास संचालनालय द्वारा दी गई सलाह के अनुसार किसानों से अच्छी तरह तैयार फसलों की कटाई शीघ्र पूरी करने को कहा गया है। हरी फसल नहीं काटना है, क्योंकि उसके सड़ने का खतरा रहता है, गहाई में भी मुश्किल होती है और ज्यादा सूख जाने पर फली चटकने का खतरा भी बढ़ जाता है।

कृषि विशेषज्ञों के अनुसार बीज के लिए सुरक्षित फसल की गहाई और रख-रखाव साधारण फसल से अलग हटकर करना चाहिए। कीट और रोग-ग्रस्त फसल की छँटाई कर, उसे भी मुख्य फसल में मिलने नहीं देना चाहिए। यह भी आवश्यक है कि अनाज भंडारण करने से पहले कोठियों को साफ-सुथरा तथा कीट-रोग रहित कर लिया जाए। इसके लिए कोठियों को साफ कर तेज धूप में रखना, मेलाथियान दवा अथवा नीम तेल के घोल का छिड़काव करना और कोठियों के अंदर गंधक का धुआँ करना आदि कारगर उपाय हैं। अनाज की बोरियों का भी सूखा और साफ होना आवश्यक है।

संचालक कृषि ने किसानों से अपील की है कि कटाई के बाद खेतों में आग न लगायें बल्कि फसलों के अवशेष का उपयोग जैविक खाद निर्माण में करें। इसी तरह थ्रेशर का प्रयोग करते समय भी अत्यंत सावधान तथा चौकस रहा जाये।

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