भोपाल, सितंबर 2013/ राज्य सरकार ने विपत्तिग्रस्त, पीड़ित, कठिन परिस्थितियों में निवास कर रही महिलाओं को समाज में पुनर्स्थापित करने तथा आत्म-निर्भर बनाने के उद्देश्य से ‘मुख्यमंत्री महिला सशक्तिकरण योजना’ को लागू किया है। ऐसी महिलाओं को स्वावलम्बी बनाने के लिये उन्हें कौशल उन्नयन प्रशिक्षण कार्यक्रम से जोड़ा जायेगा, जो भविष्य में स्वयं के अलावा अपने परिवार का भी भरण-पोषण कर सकेंगी। महिलाओं के आर्थिक-सामाजिक उन्नयन के उद्देश्य से शुरू की गई इस योजना में स्थाई प्रशिक्षण द्वारा उन्हें रोजगार भी प्राप्त होगा।
विपत्तिग्रस्त महिलाओं को प्रशिक्षण ऐसी संस्थाओं के माध्यम से मिलेगा, जिनकी डिग्री/प्रमाण-पत्र शासकीय अथवा अशासकीय सेवाओं में मान्य हो। प्रशिक्षण पर होने वाला पूरा खर्च महिला सशक्तिकरण संचालनालय द्वारा वहन किया जायेगा। पात्र महिलाओं का चयन जिला-स्तर पर गठित समिति करेगी। राज्य शासन ने योजना के लिये लक्ष्य समूह निर्धारित किये हैं। इन समूह में ऐसी विपत्तिग्रस्त महिलाएँ, जिनके परिवार में कोई न हो, बलात्कार से पीड़ित महिला या बालिका, दुर्व्यापार से बचाई गईं महिलाएँ, ऐसिड विक्टिम/दहेज प्रताड़ित/अग्नि पीड़ित, कुवाँरी माताएँ या सामाजिक कु-प्रथा की शिकार महिलाएँ, परित्यक्ता/तलाकशुदा महिलाएँ, आश्रय/बालिका/अनुरक्षण गृह में रहने वाली बालिकाएँ अथवा महिलाएँ शामिल होंगी।
योजना का लाभ उठाने के लिये पात्रता भी निर्धारित की गई है। हितग्राही पीड़ित की श्रेणी में आती हो, आवेदिका/उसके परिवार का मुखिया आयकर-दाता न हो, जीवन-यापन के पर्याप्त साधन न हों, मानसिक रूप से विक्षिप्त न हो, सामान्य वर्ग की महिला की उम्र 43 वर्ष से कम न हो, विधवा, परित्यक्ता, तलाकशुदा, एससीएसटी, पिछड़ा वर्ग का होने की स्थिति में 48 वर्ष की आयु हो, प्रशिक्षण पाठ्यक्रम के अनुसार न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता हो तथा कम पढ़ी-लिखी/साक्षर/अनपढ़ महिलाओं के लिये योग्यता अनुसार प्रशिक्षण दिया जायेगा। ऐसी महिलाओं का चयन प्रत्येक वर्ष एक जनवरी से 31 जनवरी के मध्य समाचार-पत्रों में विज्ञापन देकर किया जायेगा।
पात्र महिलाओं द्वारा अपने आवेदन जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी को देना होंगे अथवा संचालनालय की वेबसाइट पर ऑनलाइन आवेदन करना होगा। महिलाओं को प्रशिक्षण शासन द्वारा मान्यता प्राप्त संस्थाओं के माध्यम से मिलेगा। प्रशिक्षण संस्थाओं का दायित्व होगा कि वे इन महिलाओं को रोजगार उपलब्ध करवायें। जिन विषयों में महिलाओं को प्रशिक्षण मिलेगा, उनमें फार्मेसी, नर्सिंग, फिजियोथेरेपी, ब्यूटीशियन, कम्प्यूटर डिप्लोमा/शॉर्ट हेण्ड, टाइपिंग, शॉर्ट टर्म मैनेजमेंट कोर्स, डी.एड./बी.एड., आईटीआई पाठ्यक्रम, हॉस्पिटेलिटी, बैंकिंग, होटल/ईवेंट मैनेजमेंट, प्रयोगशाला सहायक आदि होंगे।
राज्य, संभाग एवं जिला-स्तर पर प्रशिक्षण कार्यक्रमों का मूल्यांकन होगा। जिला-स्तर पर हितग्राही की केस फाइल तैयार होगी, जिसमें उसका पूर्ण विवरण होगा। साथ ही तब तक फॉलोअप किया जायेगा, जब तक उसे रोजगार नहीं मिलेगा। जिला महिला सशक्तिकरण अधिकारी प्रत्येक हितग्राही की जानकारी वेबसाइट पर प्रतिमाह अपलोड करेगा। संभागीय संयुक्त संचालक/उप संचालक योजना की मासिक समीक्षा/निगरानी कर उसकी रिपोर्ट मुख्यालय को भेजेंगे। राज्य-स्तर पर योजना का संचालन भोपाल स्थित महिला संसाधन केन्द्र भवन द्वारा किया जायेगा।