भोपाल, अक्टूबर 2014/ मध्यप्रदेश में उद्योगों की माँग के अनुरूप औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थानों (आई.टी.आई.) में ट्रेड प्रारंभ किये जायेंगे। अनुपयोगी ट्रेड बंद होंगे। गांव-गांव में परंपरागत कारीगरों को वर्तमान जरूरत के मान से प्रशिक्षण उपलब्ध करवाने के लिये कारीगर समृद्धि योजना प्रारंभ की जायेगी। मुख्यमंत्री श्री शिवराजसिंह चौहान ने कहा है कि प्रदेश के युवा धनतेरस में काबिलियत से धन कमा कर लायें, किसी रोजगार में पहुँचे अथवा रोजगार देने वाले बनें, ऐसे प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाये।

मुख्यमंत्री यहाँ तकनीकी शिक्षा एवं कौशल विभाग की समीक्षा कर रहे थे। बैठक में तकनीकी शिक्षा मंत्री उमाशंकर गुप्ता, मुख्य सचिव अंटोनी डिसा, प्रमुख सचिव तकनीकी शिक्षा संजय सिंह और मुख्यमंत्री के सचिव हरिरंजन राव भी उपस्थित थे।

मुख्यमंत्री ने प्रत्येक जिले की स्क्लि मेपिंग करने के निर्देश दिये हैं। उन्होंने कहा है कि जिलों में संचालित और ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट के परिप्रेक्ष्य में संभावित उद्योगों की आवश्यकता का आकलन किया जाय। इसके अनुरूप स्थानीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान और कौशल विकास केन्द्रों में प्रशिक्षण पाठ्यक्रम संचालित किये जाएँ। पाठ्यक्रमों का पुनर्गठन किया जाये। आवश्यक नये पाठ्यक्रम शुरू किये जाएँ और अनावश्यक पाठ्यक्रमों को बंद किया जाये।

बैठक में बताया गया कि विभाग द्वारा कारीगर समृद्धि योजना आगामी वर्ष में प्रारम्भ की जायेगी। योजना में राष्ट्रीय कौशल विकास निगम द्वारा निर्धारित मापदंड अनुसार प्रशिक्षणार्थियों के स्किल गेप का चिन्हांकन किया जायेगा। उनका प्री-असेसमेंट कर एम.पी.सी.वी.ई.टी. और एन.एस.डी.सी. द्वारा प्रमाणीकरण किया जायेगा। प्रमाणीकरण से परंपरागत कारीगरों के लिए व्यवसाय और रोजगार के व्यापक स्तर पर नये अवसर बनेंगे।

बैठक में बताया गया कि प्रदेश के समस्त आई.टी.आई. को स्वयं के भवन में संचालित करने का कार्य तेजी से चल रहा है। कार्य की पूर्णता पर शेष 70 आई.टी.आई. एन.सी.वी.टी. से सम्बद्ध हो जाएँगे। भोपाल में इंस्टीट्यूट फॉर ट्रेनिंग ऑफ ट्रेनर बन गया है। यह संस्थान इसी माह से प्रारंभ हो जायेगा। जबलपुर तथा इंदौर में निजी भागीदारी से मेगा आई.टी.आई. तथा भोपाल और ग्वालियर में मॉडल आई.टी.आई. स्थापित करने का प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा गया है। ऐसे क्षेत्र, जहाँ आई.टी.आई. संचालित नहीं है। वहाँ निजी क्षेत्र को आई.टी.आई. खोलने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। उनके वाइविलिटी गेप की सरकार द्वारा प्रतिपूर्ति की जाएगी। फ्लेक्सी एम.ओ.यू. योजना में आई.टी.आई. को स्थानीय उद्योगों से जोड़ने की पहल की गई है। विद्यार्थियों को नियमित शिक्षा के साथ तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त करने की सुविधा उपलब्ध करवाने की पहल की जा रही है। आधुनिक आवश्यकताओं के अनुरूप आई.टी.आई. के पाठ्यक्रमों की अवधि बढ़ाकर 1200 घंटे कर दी गई है।

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