भोपाल, जनवरी 2013/ ग्रामीण क्षेत्रों में सतही जल-स्रोत आधारित पेयजल योजनाओं को प्रोत्साहन, जल निगम का गठन, गाँवों में प्रतिदिन प्रति व्यक्ति 55 लीटर जल प्रदाय का मापदण्ड निर्धारित
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग (पीएचई) ग्रामीण क्षेत्रों में स्वच्छ पेयजल उपलब्ध करवाने के दायित्व का निर्वहन कर रहा है। प्रदेश के सभी बसाहटों में पूर्व निर्धारित मानदण्ड 40 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन के मान से पेयजल की व्यवस्था जा चुकी है। इस वर्ष से ग्रामीण क्षेत्रों में 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन जल प्रदाय का मानदंड निर्धारित किया गया है। विभाग द्वारा इस दिशा में प्रभावी रूप से कार्य किया जा रहा है।
मध्यप्रदेश में भूमि के गिरते जल-स्तर को देखते हुए अब ग्रामीण क्षेत्रों में सतही जल आधारित समूह नल-जल योजनाओं को प्रोत्साहित किया जा रहा है। सतही जल योजनाओं के लिए प्रदेश में मध्यप्रदेश जल निगम का गठन किया गया है। इस वर्ष प्रथम चरण में 20 जिलों के 654 ग्राम में 754 करोड़ लागत की 27 समूह नल-जल योजना को मंजूरी दी गई। प्रदेश की समस्त शालाओं में पेयजल व्यवस्था के लक्ष्य की पूर्ति के उद्देश्य से इस वर्ष 3,500 शालाओं में विभाग द्वारा पेयजल व्यवस्था की गई। प्रदेश में अब तक एक लाख से अधिक शालाओं में पेयजल की व्यवस्था की जा चुकी है। इसके साथ ही दुर्गम आदिवासी क्षेत्रों में शेष रही 350 आश्रम-शालाओं में भी इस वर्ष पेयजल व्यवस्था किये जाने का निर्णय लिया गया।
मुख्यमंत्री पेयजल योजना में वर्ष 2012 में 1000 पेयजल योजना के क्रियान्वयन को मंजूरी दी गई। ग्रामीण नल-जल प्रदाय योजना में सामान्य श्रेणी के ग्रामों में 3 प्रतिशत एवं अनुसूचित जनजाति बहुल ग्रामों में 1 प्रतिशत राशि जन-भागीदारी से लिए जाने का निर्णय लिया गया। इस वर्ष 131 ग्रामीण नल-जल योजना को भी मंजूरी मिली।
गाँवों में पेयजल व्यवस्था के साथ-साथ स्वच्छता पर भी ध्यान दिया जा रहा है। मर्यादा अभियान में जिन निर्मल ग्रामों में नल-जल प्रदाय योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है, उनके अधिकतम घरों में निजी नल कनेक्शन दिये जाने के लिये विभाग के बजट में 10 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों की बसाहटों में निवास करने वाली आबादी को बगैर व्यावधान के सतत् रूप से पेयजल की उपलब्धता के लिए विभाग द्वारा इस वर्ष प्रदेश के चयनित 5 जिलों की 1200 बसाहटों में सोलर ऊर्जा के माध्यम से पेयजल उपलब्ध करवाये जाने का भी निर्णय लिया गया। इनमें कुछ बसाहटें तो बालाघाट जिले के माओवाद प्रभावित क्षेत्रों की भी हैं।
वर्ष 2012 के बजट सत्र में लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री श्री गौरीशंकर बिसेन ने सदन में प्रत्येक ग्रामीण विधानसभा क्षेत्र में 25-25 हेण्ड-पम्प खनन किये जाने की घोषण की थी। इस परिप्रेक्ष्य में अब तक 2000 हेण्ड-पम्प सफलतापूर्वक स्थापित किये गये जा चुके हैं। प्रदेश के बुन्देलखण्ड क्षेत्र के 6 जिलों में 1287 नल-जल योजना के लिये 100 करोड़ रुपये मंजूर किये गये। बुन्देलखण्ड पैकेज में स्वीकृत योजनाओं को इस वर्ष के अंत तक अनिवार्य रूप पूरा किये जाने का निर्णय भी लिया गया है।
ग्रामीण क्षेत्रों में भू-जल संवर्धन को बढ़ाने के लिये इस वर्ष 3200 जल-संरचनाओं के निर्माण का निर्णय भी लिया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में रहने वाली आबादी को शुद्ध पेयजल की सुलभता के उद्देश्य से इस वर्ष 32 बड़े विकासखण्ड में पेयजल की गुणवत्ता के परीक्षण के लिये विकासखण्ड स्तरीय प्रयोगशाला स्थापित किये जाने का भी निर्णय लिया गया।