भोपाल। खाद्य, नागरिक आपूर्ति मंत्री पारस जैन ने कहा है कि मध्यप्रदेश में विकसित होने वाले औद्योगिक क्षेत्रों में दस प्रतिशत भूमि वेयर-हाउस के लिये आरक्षित रखने की पहल की जा रही है। श्री जैन आज राज्य भण्डार गृह निगम एवं सी.आई.आई. (कांफीडिरेशन ऑफ इण्डियन इण्डस्ट्रीज) द्वारा आयोजित वेयर-हाउस निवेशकों की इनवेस्टर्स मीट को संबोधित कर रहे थे। कार्यक्रम में भण्डार गृह निगम के अध्यक्ष श्री राजेन्द्र सिंह राजपूत, अपर मुख्य सचिव, खाद्य श्री अंंटोनी जे.सी. डिसा भी उपस्थित थे।
श्री पारस जैन ने कहा कि मध्यप्रदेश में इस साल गेहूँ के रिकार्ड उत्पादन को देखते हुए भण्डार गृहों की व्यवस्था आज की प्रमुख आवश्यकता है। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर राज्य सरकार निजी क्षेत्र को अधिकाधिक सुविधाएँ देने पर विचार कर रही हैं। हाल में घोषित नई वेयर-हाउस नीति में भी निवेशकों के हितों का पर्याप्त ध्यान रखा गया है। नीति में ऐसे प्रावधान किये गये हैं कि अधिक संख्या में निवेशक आकर्षित हों। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की मंशा के अनुरूप मध्यप्रदेश में निजी निवेशकों को हर-संभव सुविधाएँ उपलब्ध करवाई जा रही हैं।
श्री पारस जैन ने कहा कि अधिक खाद्यान्न उत्पादन को देखते हुए निवेशकों की भागीदारी से भण्डारण की व्यवस्था को अब और पुख्ता किया जा रहा है। इसी दृष्टि से इनवेस्टर्स मीट में निवेशकों के सुझावों पर राज्य सरकार पूरा ध्यान देगी। उन्होंने कहा कि गोदाम निर्माण के साथ-साथ सायलो, कोल्ड स्टोरेज और पक्के व कन्वर्टिकल केप निर्माण मध्यप्रदेश सरकार की पहली प्राथमिकता में शामिल हैं। नई भण्डारण नीति में वेयर-हाउस निर्माण को उद्योग का दर्जा दिया गया है। श्री जैन ने बताया कि प्रदेश सरकार द्वारा लगभग 20 लाख मीट्रिक टन गोदाम निर्माण का लक्ष्य रखा गया है। केन्द्र सरकार की 10 वर्षीय भण्डारण गारंटी योजना में 20 लाख मीट्रिक टन क्षमता के गोदाम और सायलो गोदाम का निर्माण करवाया जायेगा।
उन्होंने बताया कि प्रदेश में 55 लाख मीट्रिक टन के गोदाम प्रायवेट क्षेत्र में हैं। इस साल साढ़े तीन माह की व्यवसाय गारंटी द्वारा लगभग 40 लाख मीट्रिक टन गोदाम क्षमता का उपयोग किया गया है। इसी क्रम में शासकीय क्षेत्र में भी लगभग 22 लाख मीट्रिक टन के गोदाम उपलब्ध हैं, जिनका भरपूर उपयोग हो रहा है। मुख्यमंत्री द्वारा गेहूँ के समय ही धान की खरीदी पर भी 100 रुपये का बोनस घोषित किया गया है। इस साल लगभग 20 लाख मीट्रिक टन धान की खरीदी होने की संभावना है।
इनवेस्टर्स मीट में श्री राजेन्द्र सिंह राजपूत ने कहा कि प्रदेश में अधिकाधिक भण्डारण क्षमता विकसित करने के प्रयास किये जा रहे हैं। उन्होंने निवेशकों से भण्डार गृहों के निर्माण में आगे आने का आव्हान भी किया। कार्पोरेशन के प्रबंध संचालक श्री शिवशेखर शुक्ला ने प्रस्तुतिकरण द्वारा मध्यप्रदेश में निवेशकों को उपलब्ध सुविधाओं की विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि वर्ष 2007-08 में जहाँ प्रदेश में भण्डारण क्षमता 64 लाख मीट्रिक टन थी, वहीं वर्ष 2011 में बढ़कर 91 लाख मीट्रिक टन हो गई है। अब इसे वर्ष 2013-14 तक 151 लाख मीट्रिक टन बढ़ाने का लक्ष्य है। इसमें 52 लाख मीट्रिक टन प्रायवेट वेयर-हाउसिंग की क्षमता का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। इस प्रकार अगले दो वर्ष में लगभग 60 लाख मीट्रिक टन भण्डारण क्षमता विकसित करने का लक्ष्य रखा गया है। नई भण्डार गृह नीति 20 लाख मीट्रिक टन क्षमता को ध्यान में रखकर बनाई गई है। नीति में 15 लाख मीट्रिक टन वेयर-हाउस और 5 लाख मीट्रिक टन सायलो निर्माण का लक्ष्य शामिल है। कार्यक्रम को ट्रायफेक के प्रबंध संचालक श्री अरुण कुमार भट्ट ने भी संबोधित किया।