भोपाल जून 2015/ उद्यानिकी, कुटीर एवं ग्रामोद्योग मंत्री कुसुम महदेले ने किसानों को खेती के साथ-साथ उद्यानिकी फसलें लेने के लिये भी प्रेरित करने को कहा है। उद्यानिकी फसलों के लिये किसानों को प्रशिक्षण दिलवाने के निर्देश उन्होंने दिये हैं। सुश्री महदेले उद्यानिकी स्वर्ण क्रांति अभियान के क्रियान्वयन तथा खाद्य प्र-संस्करण के माध्यम से किसानों की आय में दस गुनी वृद्धि के लिये राज्य-स्तरीय कार्यशाला को संबोधित कर रही थीं।
कार्यशाला में प्रमुख सचिव उद्यानिकी प्रवीर कृष्ण, प्रमुख सचिव जनसंपर्क एवं एग्रो के प्रबंध संचालक एस.के. मिश्रा, संत रविदास हाथकरघा एवं हस्तशिल्प विकास निगम की प्रबंध संचालक दीप्ति गौड़ मुखर्जी, आयुक्त उद्यानिकी महेन्द्र सिंह धाकड़ और आयुक्त रेशम सत्यानंद भी उपस्थित थे।
सुश्री कुसुम महदेले ने मध्यप्रदेश को तीन बार निरंतर प्राप्त हुए कृषि कर्मण अवार्ड में उद्यानिकी और पशुपालन की उल्लेखनीय भूमिका का जिक्र किया। कहा कि बिना पशुपालन के खेती-किसानी अधूरी है। जैविक खाद के लिये पशुओं की आवश्यकता को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। बारिश न होने की स्थिति में भी किसान उद्यानिकी फसलें लेकर होने वाली क्षति से बच सकते हैं। सुश्री महदेले ने जुलाई माह से प्रत्येक जिले में किसानों को उद्यानिकी संबंधी प्रशिक्षण दिलवाने को कहा। किसानों को फल-फूल, मसाले आदि फसलें लेने के लिये प्रोत्साहित करने के निर्देश भी दिये। कहा उद्यानिकी गतिविधियों से कोई भी जिला वंचित नहीं रहे। उद्यानिकी फसलों के विस्तार की योजनाएँ 2-4 जिलों तक सीमित न रहकर अन्य जिलों तक भी पहुँचे। बुंदेलखण्ड में भी उद्यानिकी के विस्तार की अपार संभावनाएँ हैं।
सुश्री महदेले ने जिलों में स्थानीय फसलों के आधार पर मिट्टी का हेल्थ-कार्ड तैयार करवाने तथा उद्यानिकी में शोध और अनुसंधान करवाने को कहा। उन्होंने कहा कि जो फसल जहाँ ज्यादा होती है, वहीं उसके मार्केटिंग और संग्रहण की व्यवस्था होनी चाहिये। उन्होंने अधिकारियों से कहा कि फल और मसालों की विलुप्त हो रही प्रजातियों के बारे में चिंता कर उन्हें संरक्षित करने की पहल की जाये।
श्री एस.के. मिश्रा ने कहा कि पिछले दस साल में सिंचाई का रकबा निरंतर बढ़ा है। साथ ही बीज और उर्वरक की उपलब्धता के साथ ही मात्रा भी बढ़ी है। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की खेती को लाभ का धंधा बनाने की मंशा के अनुरूप दस साल में सिंचाई का रकबा 7 लाख हेक्टेयर से बढ़कर 25 लाख हेक्टेयर हो गया। आने वाले वर्षों में इसे बढ़ाकर 50 लाख हेक्टेयर किया जायेगा। किसान खेती-किसानी में सफल रहे, इसलिये बिजली, पानी की भरपूर व्यवस्था की गयी है। यही कारण है कि मध्यप्रदेश सबसे अधिक विकास दर वाला राज्य बन चुका है। उद्यानिकी के विकास के फलस्वरूप मध्यप्रदेश के फूल दिल्ली, मुम्बई और मसाले विदेश भेजे जा रहे हैं।
श्री प्रवीर कृष्ण ने बताया कि उद्यानिकी स्वर्ण क्रांति अभियान को सफल बनाने तथा खाद्य प्र-संस्करण के माध्यम से किसानों की आय में वृद्धि तथा उद्यानिकी फसलों के क्षेत्रफल को अगले दो वर्ष में दोगुना किया जायेगा। उद्यानिकी फसलों के उत्पादन और उत्पादकता में वृद्धि करते हुए खाद्य प्र-संस्करण उद्योगों की स्थापना कर प्रदेश को अग्रणी स्थान पर लाने की योजना है। उद्यानिकी स्वर्ण क्रांति अभियान को जनांदोलन का स्वरूप देने के लिये सभी ग्रामों में ग्राम उद्यानिकी समिति गठित की जायेगी। समितियों के जरिये हर वर्ष 5 लाख किसान को जोड़ा जायेगा। हर गाँव में 10-10 किसान के समूह बनाकर उन्हें उद्यानिकी से जोड़ने की पहल होगी। प्रदेश की 307 नर्सरी में किसानों को प्रशिक्षण मिलेगा। उन्होंने बताया कि उद्यानिकी फसल लेने से किसान को प्रति एकड़ 2 लाख रुपये की आय हो सकती है। अभियान में पहले साल 5 लाख तथा दूसरे साल 10 लाख कुल 15 लाख किसान उद्यानिकी से जुड़ेंगे। प्रत्येक जिले में मिनी और संभाग में मेगा फूड पार्क स्थापित होंगे। आगामी 15 जुलाई तक इसकी कार्य-योजना तैयार कर ली जायेगी। आगामी 15 अगस्त तक समयबद्ध कार्यक्रम तैयार कर लिया जायेगा। उन्होंने निवेशकों से मिनी और मेगा फूड पार्क लगवाने के लिये पहल करने को भी कहा।
कार्यक्रम में खाद्य प्र-संस्करण के निवेशक, प्रशिक्षित किसान और उद्यानिकी विभाग के अधिकारी उपस्थित थे।