भोपाल। मध्यप्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य बना है जहां पहली बार नदी-तालाब को जोड़ने की परियोजना पर काम शुरू किया गया है। निश्चित रूप से यह शुरुआत देश के अन्य स्थानों पर भी उदाहरण बनेगी। राज्य में सागर संभाग के टीकमगढ़ जिले बुंदेलखण्ड पैकेज के तहत हरपुरा सिंचाई और नदी-तालाब जोड़ो परियोजना का काम शुरू किया गया है। इस परियोजना से 1980 हैक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई सुविधा उपलब्ध होने के साथ-साथ एक हजार साल पुराने ऐतिहासिक चंदेल कालीन तालाबों को भी नया जीवन मिलेगा।
बुंदेलखण्ड अंचल का टीकमगढ़ जिला धसान और जामनी नदी के बीच बसा है। यहाँ अधिकतर सिंचाई ऐतिहासिक चंदेल कालीन तालाबों से होती है। पिछले लगभग 25 वर्ष से बरसात कम होने के कारण इन तालाबों का भराव 20 से 50 प्रतिशत ही हो पाता है। इससे जिले की खेती तथा आर्थिक स्थिति पर लगातार विपरीत प्रभाव पड़ रहा था।
इन तथ्यों के मद्देनजर राज्य सरकार ने देश की पहली नदी-तालाब जोड़ो परियोजना प्रस्तावित की। इसमें वर्षा काल के पानी को नदी में रोक कर नहर के जरिये तालाबों में भरा जाना है। यह पानी किसानों को सिंचाई के लिये दिया जायेगा। वर्ष 2010 में सर्वेक्षण एवं अनुसंधान संभाग टीकमगढ़ द्वारा जामनी नदी पर बनने वाले हरपुरा वियर से नहर निकालकर तालाबों को भरकर 22.90 एम.सी.एम. पानी का उपयोग करने तथा 1980 हैक्टेयर में अतिरिक्त सिंचाई के लिये 41 करोड़ 33 लाख रुपये की कार्य-योजना बनाई गई।
हरपुरा वियर निर्माण-स्थल टीकमगढ़, ललितपुर रोड व्हाया महरौनी से अंदर ग्राम हरपुरा के पास स्थित है। परियोजना को अगस्त, 2011 में 41 करोड़ 33 लाख रुपये की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई। योजना का सर्वेक्षण पूरा कर भू-अर्जन का कार्य चल रहा है। इसमें 44.28 किलोमीटर लम्बी मुख्य नहर और 13 किलोमीटर लम्बी शाखा नहर के द्वारा 12 तालाब भरने तथा मुख्य नहर के दोनों तरफ 100 कुओं का निर्माण प्रस्तावित है।
परियोजना से जिन तालाबों को नया जीवन मिलेगा, उनमें हनुमान सागर, जगत नगर गाँव के दो, पूर्वी गोर गाँव के दो तथा दरगाय कलाँ, ररगॉय खुर्द, मोहनगढ़, कुम्हैड़ी, अर्चरा और वृषभानपुरा तालाब शामिल हैं। जामनी नदी में उपलब्ध बारहमासी जल-प्रवाह से इन सभी तालाबों में पूरे वर्ष पूर्ण जलाशय स्तर तक पानी उपलब्ध रहेगा।