भोपाल, नवंबर 2012/ मध्यप्रदेश हस्त-शिल्प कला में ठप्पा छपाई के जनक तथा बाघ प्रिन्ट कला को अंतर्राष्ट्रीय पहचान दिलाने वाले बाघ प्रिन्टर्स इस्माइल सुलेमानजी खत्री को भारत सरकार द्वारा शिल्प-गुरु पुरस्कार से सम्मानित किया जायेगा। श्री खत्री यह पुरस्कार पाने वाले मध्यप्रदेश के पहले शिल्पी होंगे। इससे पहले किसी भी शिल्पी को शिल्प-गुरु पुरस्कार से सम्मानित नहीं किया गया।

राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी 9 नवम्बर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में समारोह में श्री खत्री को सम्मानित करेंगे। उन्‍हें गोल्ड मेडल के साथ ही 6 लाख रुपये का पुरस्कार भी दिया जायेगा।

76 वर्षीय इस्माइल खत्री को देश-विदेश में बाघ प्रिन्ट को स्थापित करने का श्रेय जाता है। आज भारत ही नहीं विश्व के कई देशों में बाघ प्रिन्ट को उनके नाम से जाना जाता है। उनके शिष्यों द्वारा कला को आगे बढ़ाने से भारत सरकार तथा प्रदेश सरकार को समय-समय पर गौरव प्राप्त हुआ है। उन्‍होंने देश-प्रदेश में आयोजित कई सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शनियों में भाग लिया। इसके साथ ही विदेश में हालैण्ड और स्पेन फेयर (यूरोप) तथा मंगोलिया फेयर में शिरकत की है।

इससे पहले भी श्री खत्री को सन् 1984 में तत्कालीन राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया था। वर्ष 1977-78 में मध्यप्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री ने इन्हें राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित किया था।

श्री खत्री से प्रशिक्षण प्राप्त शिष्य पुरस्कृत

श्री इस्माइल खत्री से प्रशिक्षण प्राप्त उनकी पत्नी, पुत्र तथा पोते को भी अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय तथा राज्य-स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। उनकी पत्नी हज्जानी जैतून बी को सन् 2007 में राष्ट्रीय पुरस्कार, पुत्र मोहम्मद यूसुफ खत्री को सन् 2003 में दो राष्ट्रीय और 5 अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार, अब्दुल कादर खत्री तथा मोहम्मद रफीक खत्री को सन् 2005 में राष्ट्रीय पुरस्कार, उमर फारूख खत्री तथा मोहम्मद दाउद खत्री को सन् 2007 में राष्ट्रीय पुरस्कार से पुरस्कृत किया जा चुका है। श्री खत्री परिवार की तीसरी पीढ़ी के शिल्पकार मोहम्मद बिलाल खत्री को सन् 2010 में राज्य-स्तरीय पुरस्कार से सम्मानित किया जाना शामिल है।

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