भोपाल, जनवरी 2013/ प्रदेश के जैव संसाधनों से व्यावसायिक लाभ प्राप्त करने वाले व्यक्ति, संस्थान, विभाग तथा निजी कम्पनियों को लाभ का अंश मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड की जैव विविधता निधि को देना होगा। इस राशि से क्षेत्रीय स्तर पर जैव विविधता संरक्षण एवं ग्रामीण क्षेत्रों के विकास के साथ-साथ वनों पर निर्भरता कम करने, वनीकरण का कार्य तेज करने तथा जैव संसाधनों से जीविका के साधन बढ़ाने संबंधी कार्य किये जाएँगे। साथ ही स्थानीय निकायों में गठित जैव विविधता प्रबंधन समितियों की व्यवस्थाओं को मजबूत किया जाएगा।

मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड के सदस्य सचिव डॉ. आर.जी.सोनी ने बताया कि यह प्रावधान जैव विविधता अधिनियम 2002 में किया गया है। इसके आधार पर मध्यप्रदेश द्वारा 2004 में बनाये गये नियम में लाभांश जमा करने का प्रावधान है।

डॉ.सोनी ने बताया कि जैव संसाधनों से तात्पर्य पौधे, जीव-जन्तु या उनके भाग से है। इसके अन्तर्गत मानव अनुवांशिक पदार्थ उनमें शामिल नहीं है। व्यावसायिक उपयोग से तात्पर्य वाणिज्य उपयोग के लिये औषधि, औद्योगिक किण्वक, खाद्य सुगंध,सुवास, प्रसाधन, तेल राल, रंग,सत्त और जीन के अंतिम उपयोग से है। बहरहाल, इसमें कृषि, बागवानी, कुक्कुट पालन, दुग्ध उद्योग, पशुपालन या मधुमक्खी पालन में उपयोग आने वाले पारंपरिक प्रजनन या परम्परागत पद्धतियाँ शामिल नहीं हैं।

इसके अलावा मध्यप्रदेश जैव विविधता नियम के अनुसार मध्यप्रदेश से अनुसंधान अथवा वाणिज्यिक उपयोग के लिये जैव संसाधन तथा उनसे संबंधित ज्ञान प्राप्त करने वाले व्यक्ति अथवा संस्थान को इसके लिये मध्यप्रदेश राज्य जैव विविधता बोर्ड में आवेदन दिया जाना अनिवार्य है।

डॉ. सोनी के अनुसार जैव विविधता अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन करने पर तीन वर्ष तक कारावास अथवा 5 लाख तक जुर्माना अथवा दोनों सजा का प्रावधान है। जैव विविधता बोर्ड के निर्देशों का उल्लघन करने पर एक लाख रुपये जुर्माना तथा पुनः अपराध करने पर और उल्लंघन जारी रहने पर दो लाख रुपये प्रतिदिन जुर्माना किया जा सकता है। मध्यप्रदेश के संसाधनों से व्यावसायिक लाभ अर्जित करने वाले सभी लोगों से अपेक्षा की गई है कि वे निर्धारित प्रपत्र में जानकारी मध्यप्रदेश राज्य विविधता बोर्ड को तत्काल भेजे। इसकी विस्तृत जानकारी www.mpsbb.info  पर उपलब्ध है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here