नई दिल्ली/ देश में पत्रकारों को काफी विपरीत परिस्थितियों में काम करना पड़ रहा है। जिला स्तर पर तो स्थिति और भी खराब है। अंग्रेजी वेबसाइट ‘THE HOOT’ में छपी एक खबर के अनुसार, देश के तीन राज्यों छत्तीसगढ़, उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में पत्रकारों को काफी खराब हालातों से जूझना पड़ रहा है। यहां प्रेस की आजादी के कोई मायने ही नहीं है। इन राज्यों में न सिर्फ आए दिन मीडिया के खिलाफ मुकदमे दर्ज कराए जाते हैं बल्कि उन पर हमलों की संख्या भी लगातार बढ़ती जा रही है। इसके बावजूद पुलिस हमलावरों को पकड़ने में नाकामयाब रहती है। यदि हम इसी साल की बात करें तो पिछले चार महीनों में 22 पत्रकारों पर हमले हुए हैं। पिछली जुलाई से अब तक छत्तीसगढ़ में चार पत्रकारों को गिरफ्तार किया जा चुका है। वहीं तमिलनाडु में भी सरकार ने तमिल व अंग्रेजी अखबार के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया है।
पिछले साल उत्तर प्रदेश के शाहजहांपुर में जगेंद्र नामक पत्रकार को कुछ दबंगों ने आग के हवाले कर दिया था लेकिन इस मामले में अब तक कोई गिरफ्तारी नहीं हुई है, जिससे पत्रकारों की हालत का आसानी से अंदाजा लगाया जा सकता है। जगेंद्र के परिजनों का कहना है कि वे काफी डरे हुए हैं और उन पर केस वापस लेने का दबाव बनाया जा रहा है।
समाचार फोर मीडिया ने अंग्रेजी वेबसाइट ‘द हूट’ के हवाल से जो खबर दी है उसके अनुसार यदि हम इस साल प्रेस की आजादी पर हुए हमलों की बात करें तो चार महीनों (जनवरी 2016-अप्रैल 2016) के आंकड़े काफी चौंकाने वाले हैं।
इस दौरान न सिर्फ एक पत्रकार की हत्या हुई बल्कि 22 पर हमला किया गया। इसके अलावा एक पत्रकार को बंधक बनाकर रखा गया। पांच पत्रकारों को धमकी मिलने का मामला सामने आया जबकि छह के खिलाफ पुलिस ने कार्रवाई की। इस अवधि में तीन पत्रकारों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की गई और मानहानि के 10 मामले दर्ज किए गए, जिसमें दो को लीगल नोटिस भेजा गया। आइए इन तीनों राज्यों में इस साल मीडिया के खिलाफ होने वाली कार्रवाई पर एक नजर डालते हैं-
मानहानि के मामले
पांच जनवरी को तमिलनाडु सरकार ने तमिल अखबार और एक अंग्रेजी अखबार के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया था। इसके बाद छह जनवरी को यहीं के एक मंत्री ने तमिल के साप्ताहिक अखबार पर केस दर्ज कर दिया। 13 जनवरी को राज्य सरकार ने तमिल के साप्ताहिक अखबार के खिलाफ मानहानि के चार मामले दर्ज कराए। वहीं 14 जनवरी को विदर्भ क्रिकेट एसोसिएशन (VCA) ने अंग्रेजी के प्रमुख अखबार ‘टाइम्स ऑफ इंडिया’ को मानहानि का नोटिस भेजा। 19 जनवरी को मंत्री ने तमिल के साप्ताहिक अखबार के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया। मानहानि के अन्य मामलों की बात करें तो भारतीय क्रिकेट खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी ने 12 फरवरी को हिन्दी अखबार को नोटिस जारी कर मानहानि का मुकद़मा दर्ज कराने की धमकी दी। 15 फरवरी को तमिलनाडु सरकार ने एक अंग्रेजी दैनिक के खिलाफ मानहानि की रिपोर्ट दर्ज करा दी। इसके अलावा 8 अप्रैल को केरल के मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने चार पत्रकारों के खिलाफ मानहानि का मामला दर्ज कराया।
पुलिस की ज्यादती
जेएनयू यूनिवर्सिटी के छात्र उमर खालिदद के पत्रकार मित्र से पुलिस ने 22 फरवरी को पूछताछ की। वहीं 24 फरवरी को जेएनयू छात्रसंघ अध्यक्ष कन्हैया कुमार और एक पत्रकार पर हमले के आरोप में दिल्ली पुलिस ने एक वकील को गिरफ्तार कर लिया। 2 मार्च को पुलिस ने दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट में हुए विवाद के मामले में नौ पत्रकारों को नोटिस जारी किया। 23 मार्च को पुलिस ने छत्तीसगढ़ में एक पत्रकार को व्हाट्स एप पर एक पुलिसकर्मी के बारे में अश्लील मैसेज पोस्ट करने के आरोप में गिरफ्तार किया। 28 मार्च को पुलिस ने छत्तीसगढ़ के बस्तर में एक पत्रकार को गिरफ्तार कर लिया। वहीं जमशेदपुर में पुलिस द्वारा 11 अप्रैल को किए गए लाठीचार्ज में छह पत्रकार घायल हो गए।
पत्रकारों की हत्या
फरवरी में उत्तर प्रदेश के सुल्तानपुर में एक पत्रकार की हत्या कर दी गई। विपक्षी पार्टियों ने सरकार की काफी आलोचना भी की।
कानूनी कार्रवाई का फंदा
यौन प्रताड़ना के मामले में टेरी के तत्कालीन प्रमुख आरके पचौरी ने 29 फरवरी को मीडिया प्रतिष्ठानों के खिलाफ हाई कोर्ट की शरण ली। एक मार्च को ब्लूमबर्ग को एक आर्टिकल के प्रकाशन को लेकर कानूनी नोटिस भेजा गया। 23 मार्च को कोलकाता हाई कोर्ट ने नारद न्यूज पोर्टल को उस विडियो के रॉ फुटेज सौंपने के आदेश दिए जिसमें तृणमूल कांग्रेस के नेताओं का स्टिंग करने का आरोप है।
मीडिया को धमकी
आदिवासियों के बारे में लिखने पर 13 जनवरी को फ्रीलॉन्स पत्रकार से पूछताछ की गई। वहीं फरवरी में मुंबई पुलिस ने ट्विटर पर एक महिला पत्रकार को दुष्कर्म की धमकी देने के आरोप में केस दर्ज कर लिया। इसके अलावा मीडिया कर्मियों से अभद्र व्यवहार व गाली-गलौज के मामले में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ओडिसा के प्रमुख के खिलाफ केस दर्ज किया गया। वहीं महिषासुर जयंती के बारे में बात करने पर टीवी न्यूज एंकर को मार्च में कुछ लोगों ने धमकी भरे कई कॉल किए। इसके अलावा जेएनयू प्रकरण में इसी साल मार्च में टीवी एंकर बरखा दत्त ने पुलिस में धमकी मिलने की शिकायत दर्ज कराई।
पत्रकारों पर हमले
चेन्नई में जनवरी में पत्रकार पर हमला करने का मामला सामने आया। इसमें एक एमएलए समेत कई लोगों का नाम सामने आया और उन्हें गिरफ्तार किया गया। जनवरी में ही ओडिसा में न्यूज के प्रकाशन को लेकर एक पत्रकार पर हमला किया गया। 13 जनवरी को मणिपुर में पत्रकार पर हमले के आरोप में एक व्यक्ति को गिरफ्तार किया गया। किसी खबर को लेकर गुजरात दंगों के अपराधी द्वारा जनवरी में ही पत्रकार पर हमला कर दिया गया। वहीं पत्रकार सिद्धार्थ वरदराजन को इलाहाबाद में कुलपति कार्यालय में अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के कार्यकर्ताओं ने बंधक बना लिया। देश भर में पत्रकारों पर हमले की घटनाएं यहीं नहीं थमीं, जनवरी में ही नालंदा में पत्रकार के घर पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। वहं 23 जनवरी को ओडिसा में एक पत्रकार पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। वहीं 28 जनवरी को जम्मू म्यूनिसिपल कमिश्नर के आदेश पर उनके सुरक्षा सहायक ने एक पत्रकार का कैमरा छीन लिया। वहीं फरवरी में रोहित वैमुला मामले में चल रहे विरोध प्रदर्शन में पुलिस ने खूब लाठी चलाईं, जिनमें कई पत्रकार भी घायल हो गए। आईआईएसी की अल्युमिनी एसोसिएशन ने पत्रकार किशन बराई पर हुए हमले की निंदा की। इस तरह के ये तो सिर्फ चंद उदाहरण हैं, इसके अलावा भी इस साल के शुरुआती चार महीनों में देश भर में पत्रकारों पर हमले की कई घटनाएं हुई हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि देश भर में पत्रकारों के खिलाफ हालात कितने विषम हैं और उन्हें खबरों के संकलन में किस तरह की कठिनाइयों का सामना करना पड़़ रहा है।