भोपाल। राज्य शासन ने 5 हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल के गौण खनिजों के उत्खनि-पट्टों को पूर्व पर्यावरण अनुमति देने के लिये राज्य पर्यावरण प्रभाव निर्धारण प्राधिकरण (सिया) द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार समय-सीमा में कार्यवाही सुनिश्चित करने के निर्देश जिला कलेक्टर्स को दिये हैं।

जिला कलेक्टर से कहा गया है कि 5 हेक्टेयर से कम के गौण खनिज की नई खदानों/नवीनीकरण/ नीलाम में स्वीकृत खदानों/अस्थाई अनुज्ञा-पत्र के जो प्रकरण पूर्व पर्यावरण अनुमति के अभाव में लम्बित हैं, उन सभी से निर्धारित आवेदन तथा परिशिष्ट में जानकारी तैयार करवाकर आवेदक के माध्यम से 25 अक्टूबर तक प्रस्तुत करवाया जाये। आवेदकों को इन आवेदन-पत्रों तथा परिशिष्ट को भरने में सहायता के लिये जिले में खनिज/राजस्व विभाग के माध्यम से अथवा अन्य उचित व्यवस्था (हेल्प-डेस्क) की जाये।

सिया के निर्धारित परिशिष्ट की जानकारी, जो आवेदक द्वारा दी जायेगी, का प्रमाणीकरण जिले के वन मण्डलाधिकारी द्वारा किया जाना है। प्रमाणीकरण संबंधित जिले/तहसील के उप-खण्ड मजिस्ट्रेट/तहसीलदार द्वारा किया जाना है। अत: उप-खण्ड मजिस्ट्रेट तथा तहसीलदार को कहा जाये कि पूर्व के लम्बित प्रकरणों का 7 दिवस तथा नये आवेदनों का 15 दिवस में प्रमाणीकरण करना सुनिश्चित किया जाये।

कलेक्टर्स से कहा गया है कि साप्ताहिक टीएल बैठक में जिले में गौण खनिज की पूर्व पर्यावरण अनुमति के अभाव में कितनी खदानों के अस्थाई अनुज्ञा-पत्र/नवीनीकरण के आवेदन लम्बित हैं एवं कितने आवेदन सिया में दिये गये हैं, की भी समीक्षा की जाये। यह भी देखा जाय कि निर्धारित परिशिष्ट के कितने प्रकरण वन मण्डलाधिकारी तथा उप-खण्ड मजिस्ट्रेट/तहसीलदार के पास लम्बित हैं।

गौण खनिज की नई खदानों/नीलाम खदानें/नवीन खदानें/नवीनीकरण तथा अस्थाई अनुज्ञा-पत्र के लम्बित सभी प्रकरण में 25 अक्टूबर, 2012 तक आवेदन पूर्व पर्यावरण अनुमति के परिशिष्ट-1 तथा 2 के साथ एवं जो आवेदक सिया में पूर्व में ही आवेदन कर चुके हैं, उनके द्वारा परिशिष्ट-1, 2 सिया कार्यालय में लगा दिये जाये, का समन्वय करने को भी कहा गया है।

शासन ने सभी जिला खनिज अधिकारी/प्रभारी खनिज शाखा को जिले में कितनी खदानों/अस्थाई अनुज्ञा-पत्र के प्रकरण थे एवं उनमें कितने आवेदन-पत्र सिया में लग चुके हैं, की जानकारी 30 अक्टूबर, 2012 तक संचालक भौमिकी तथा खनि-कर्म को भेजने को कहा है।

मध्यप्रदेश सिया द्वारा संधारण रेत, बजरी, ईंट, बर्तन, कवेलू आदि बनाने के लिये साधारण मिट्टी, पत्थर, बोल्डर, रोड-मेटल, गिट्टी, ढोका, खण्डा, परिष्कृत पत्थर, रबल, चिप्स, मुरम, लाइम कंकर भवन निर्माण सामग्री के रूप में उपयोग में लाये जाने वाले चूने के विनिर्माण के लिये भट्टी में जलाकर उपयोग के लिये एवं ग्रेवल गौण खनिजों की 5 हेक्टेयर से कम क्षेत्रफल की उत्खनि-पट्टों की पर्यावरण अनुमति जारी करने के लिये भारत शासन वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की अधिसूचना 14 सितम्बर, 2006 के अनुसार संक्षिप्त प्रक्रिया का पालन करते हुए बी-2 श्रेणी में रखा गया है। इन प्रकरण में राज्य पर्यावरण प्रभाव निर्धारण प्राधिकरण के फील्ड विजिट की सामान्यत: आवश्यकता नहीं होगी।

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