ग्वालियर, 01 जूनः गाँवों में अकेले पड़ गए बुजुर्ग अब एकाकी जीवन नहीं जियेंगे। वे अब अपने गाँव के स्कूली बच्चों को दिए जा रहे मध्यान्ह भोजन की स्वच्छता व गुणवत्ता की निगरानी रखेंगे और बच्चों के साथ बैठकर भोजन भी करेंगे। कुछ उसी अंदाज में जिस तरह भारतीय समाज की संयुक्त परिवार व्यवस्था में घर के बड़े बुजुर्गों की अनुमति से ही सारे काम काज संपादित होते आए हैं।
प्रदेश सरकार ने गाँवों के निराश्रित बुजुर्गों को यह सम्मानजनक दायित्व सौंपने का फैसला किया है। गाँवों में पूर्णतः अकेले रह गए ऐसे वरिष्ठ जन जिनके परिवारी जन गाँव में मौजूद नहीं हैं, प्रदेश सरकार उन्हें मध्यान्ह भोजन के अनुश्रवण एवं पर्यवेक्षण की जिम्मेदारी देने जा रही है। नवीन शैक्षणिक सत्र के पहले ही दिन अर्थात आगामी 16 जून से प्रदेश भर में यह व्यवस्था लागू हो जायेगी। यह जिम्मेदारी खासकर 60 वर्ष से अधिक आयु वर्ग के ऐसे निराश्रित वरिष्ठ जनों को दी जायेगी जो अंत्योदय कार्डधारी हैं। हर गाँव में अंत्योदय कार्डधारियों में से ऐसे बुजुर्गों का चयन ग्राम सभा के माध्यम से होगा। हर ग्राम से अधिकतम 3 से 5 अंत्योदय कार्डधारी निराश्रित वरिष्ठ जन का चयन किया जायेगा।
गाँव के बुजुर्ग मध्यान्ह भोजन कार्यक्रम के तहत तैयार किए गए भोजन को हर रोज पहले खुद खाकर देखेंगे और उनकी पूरी संतुष्टि और अनुमति के पश्चात ही यह भोजन स्कूली बच्चों को परोसा जायेगा। चयनित वृद्धजन गाँव के सरकारी स्कूलों में दिए जा रहे मध्यान्ह भोजन का बारीकी से निरीक्षण करेंगे। इस दौरान वह देखेंगे कि बच्चों को निर्धारित मात्रा व मीनू के अनुसार दोपहर का भोजन मिले। भोजन स्वच्छ, शुद्ध व ताजगी भरा हो इस पर ये बुजुर्ग खास ध्यान रखेंगे। भोजन पकाने तथा ग्रहण करने वाले वर्तनों तथा किचन शेड व भोजन ग्रहण करने के स्थान की साफ-सफाई पर भी बुजुर्गों की विशेष नजर रहेगी।