भोपाल, मई 2015/ कृषि को लाभकारी बनाने के लिए चल रहे कृषि महोत्सव के सातवें दिन 1 जून को जबलपुर में बॉयो फर्टिलाईजर यूनिट का लोकार्पण मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान करेंगे। इसी दिन मछुआरों का राज्य-स्तरीय महासम्मेलन होगा। इसमें 10,000 मछुआरे शामिल होंगे।

जबलपुर के जवाहरलाल नेहरू कृषि विश्वविद्यालय में स्थापित यह यूनिट कृषि को रासायनिक उर्वरक के प्रतिकूल प्रभाव से बचाने के लिए जैविक उर्वरक के उपयोग को प्रोत्साहन देने के प्रयासों की श्रंखला की एक कड़ी में है।

जैव उर्वरक जीवाणु खाद है। इसमें मौजूद लाभकारी सूक्ष्म जीवाणु वायु-मंडल में पहले से विद्यमान नाइट्रोजन फसल को उपलब्ध करवाते हैं और मिट्टी में मौजूद अघुलनशील फास्फोरस को पानी में घुलनशील बनाकर पौधों को देते हैं। वैज्ञानिक अनुसंधान से यह सिद्ध हुआ है कि जैविक खाद के उपयोग से 30 से 40 किलोग्राम नाइट्रोजन प्रति हेक्टेयर भूमि को मिलती है और उपज 10 से 20 प्रतिशत तक बढ़ जाती है। इसी तरह फास्फो बेक्टीरिया और माइकोराईजा उर्वरक के उपयोग से खेत में फास्फोरस की उपलब्धता में 20 से 30 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी होती है। रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग करने के बदले अगर जैविक खाद का उपयोग किया जाता है तो उत्पादकता में वृद्धि होती है और यह भूमि की उर्वरता को बढ़ाती हैं।

जैव उर्वरक राइजोबियम सभी दलहनी फसलों के लिए उपयोगी है। एजोटोबेक्टर दलहनी फसल को छोड़कर अन्य सभी फसलों के लिए उपयोगी है। एजोस्पिरिलम उर्वरक दलहनी फसलों को छोड़कर अन्य सभी फसलों के साथ ही गन्ने के लिए विशेष उपयोगी है। फोफोबेक्टीरिया उर्वरक सभी फसलों के लिए उपयोगी है।

जैव उर्वरक रासायनिक उर्वरक से सस्ते होते हैं। जिससे फसल उत्पादन की लागत घटती है। नाईट्रोजन और घुलनशील फास्फोरस फसल की उत्पादकता बढ़ाती है। इससे रासायनिक खाद का उपयोग कम होता है। इससे भूमि की उर्वरता बढ़ती है। पौधों में वृद्धिकारक हारमोंस उत्पन्न होते हैं इससे उसकी बढ़त पर अच्छा प्रभाव पड़ता है। जैविक खाद से ली जाने वाली फसल में मृदाजन्य रोग नहीं होते। लाभकारी सूक्ष्म जीवों की बढ़ोत्तरी होती है और पर्यावरण सुरक्षित रहता है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here