नई दिल्ली/ अपनी बेबाक और खरी खरी टिप्पणियों के लिए पहचाने जाने वाले वरिष्ठ पत्रकार एनके सिंह ने कहा है कि चाहे जो परिस्थितियां हों लेकिन भारत में मीडिया को खरीदना संभव ही नहीं है। एनके सिंह ब्रॉडकास्ट एडिटर्स एसोशिएशन के महासचिव हैं।
विश्व प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर यूनेस्को द्वारा आयोजित कार्यक्रम में एन.के.सिंह ने कहा कि जिस देश में 273 टीवी चैनल्स और दो लाख से अधिक अखबार मौजूद है, वहां कितने उद्योगपतियों की हैसियत है, जो पूरे मीडिया को खरीद सके। दरअसल ये संभव ही नहीं है। भारत में मीडिया का नजरिया या सोच गलत नहीं है, हां ये जरूर है कि हमारे पत्रकारों में नॉलेज की कमी है। डेवलपमेंट जर्नलिज्म की समझ नहीं है।
टीवी न्यूज पर आज के दौर में जिस तरह के कार्यक्रम आते हैं, उनसे असहमति जताते हुए सिंह ने कहा कि जिस तरह टैम मीटर्स की संख्या में बढ़ोत्तरी हुई है, उसके आधार पर अब सिर्फ शहरी रिपोर्टिंग न्यूज का हिस्सा नहीं रह जाएगी, छोटे जिलों और छोटे शहरों की भी खबरें प्राइम टाइम का हिस्सा बनेंगी। आने वाले पांच सालों में टीवी कार्यक्रमों का परिदृश्य पूरी तरह से बदल जाएगा। 8000 से बढ़कर अब देश में 35,000 टैम मीटर्स लग गए हैं। सहारनपुर में भी 10 टैम मीटर्स लगे है, ऐसे में संपादकों को सभी जगह की खबरों पर नजर रखनी ही होगी।
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर उन्होंने एक न्यायाधीश की टिप्पणी का हवला देते हुए कहा कि एक कार्यक्रम में मैंने एक जज साहब को यह कहते हुए सुना कि ‘फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन’ तो है पर ‘नॉट फ्रीडम आफ्टर एक्सप्रेशन…. ये बात अपने आप में सब कुछ कह जाती है। आज रिपोर्टिंग करते समय पत्रकारों पर कानूनी शिकंजा हमेशा रहता है। करीब 38 तरह की धाराएं मीडिया रिपोर्टिंग पर शिकंजा बनाए हुए हैं।
संपादकों पर तीखी टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा कि आज के कई संपादकों को कंपनी का सीईओ बनने पर गर्व महसूस होता है और फिर वे मुनाफे पर ही केंद्रित हो जाते हैं। पत्रकारिता कोई प्रोफेशन नहीं है, ये समाज के प्रति आपका कमिटमेंट है। आप प्रोफेशनल बनेंगे तो ‘फ्रीडम ऑफ एक्सप्रेशन’ का हक खो देंगे। बड़े-बड़े चैनल खबरों पर अपना बजट का सिर्फ दस फीसदी ही खर्च करते हैं, टीवी बजट का बहुत बड़ा हिस्सा डिस्ट्रिब्यूशन खा जाता है।
पत्रकारिता की विश्वनीयता खो रही है या इसमें गिरावट आ रही है, जैसे मुद्दों पर एन.के.सिंह का कहना था कि कौन सा स्तंभ आज विश्वनीय है। हर महकमा अपनी विश्वसनीयता खो रहा है। मीडया में आत्म नियंत्रण ही काम कर सकता है। सरकार का किसी भी तरह का नियंत्रण हमें कतई स्वीकार नहीं है।