भोपाल। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा है राज्य सरकार विकास के मुद द्मदों पर अमेरिका में बसे अप्रवासी भारतीयों और मध्यप्रदेश के बीच संवाद स्थापित करने के लिये विशेष वेबसाइट बनायेगी। इसके माध्यम से संवाद के अलावा अप्रवासी भारतीयों को मध्यप्रदेश के विकास में सहयोग करने में भी आसानी होगी। श्री चौहान छह अक्टूबर 2012 को अमेरिका के शिकागो में अप्रवासी भारतीयों द्वारा आयोजित सम्मान समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस सम्मेलन में ढाई सौ से ज्यादा अप्रवासी भारतीयों ने भाग लिया जो अमेरिका के विभिन्न प्रांतों में बस गये हैं।

अप्रवासी भारतीय और उनके परिवारजन मध्यप्रदेश के बारे जानने-समझने के लिये उत्सुक थे। मुख्यमंत्री ने मध्यप्रदेश सरकार के आर्थिक विकास और वर्तमान परिदृश्य के संबंध में विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मध्यप्रदेश सबसे तेज गति से विकास करने वाले भारतीय राज्यों में शामिल है।

अप्रवासी भारतीय परिवारों ने मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना के संबंध में उत्सुकता दिखाते हुए मुख्यमंत्री से इस योजना के उद्देश्य, संचालन और प्रबंधन के बारे में सवाल किये। श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार की सभी योजनाएँ आम लोगों के साथ परस्पर संवाद के बाद लोगों के सुझावों के आधार बनाई गई हैं। मुख्यमंत्री तीर्थ-दर्शन योजना भी इसी संवाद का परिणाम है। उन्होंने कहा कि यदि अप्रवासी भारतीय, समूह में भारत के तीर्थ-स्थलों का भ्रमण करने आते हैं, तो मध्यप्रदेश सरकार उन्हें हर प्रकार का सहयोग देगी। उन्होंने अप्रवासी भारतीयों को भारतीय तीर्थ-दर्शन के लिये आमंत्रित करते हुए कहा कि तीर्थाटन आध्यात्मिक ऊर्जा और स्फूर्ति प्राप्त करने का सबसे अच्छा अनुष्ठान है।

मुख्यमंत्री के विकास दर्शन और भारतीय दर्शन की व्याख्या से प्रभावित होकर अप्रवासी भारतीयों ने कहा कि वे भी मध्यप्रदेश के विकास में अपना योगदान देना चाहते हैं। इसके लिये अप्रवासी भारतीय समुदाय ने मुख्यमंत्री से परस्पर संवाद की विशेष वेबसाइट बनाने की मांग की जिसके माध्यम से कोई भी इच्छुक अप्रवासी भारतीय मध्यप्रदेश शासन के साथ संवाद कर सकता है। इस मांग पर तुरंत अपनी सहमति देते हुए श्री चौहान ने कहा कि मध्यप्रदेश सरकार यह वेबसाइट बनायेगी।

विवेकानंद स्मारक का भ्रमण और पुष्पांजलि

इसके पहले श्री चौहान ने शिकागो में विवेकानंद स्मारक का भ्रमण किया और स्वामी विवेकानंद की स्मृति को नमन कर श्रद्धा व्यक्त की। इसी सभागार में 11 सितम्बर 1893 को स्वामी विवेकानंद ने विश्व धर्म संसद में वेदांत दर्शन पर व्याख्यान देकर न सिर्फ अमेरिका को वेदांत ज्ञान से परिचित कराया बल्कि बल्कि पूरे विश्व में भारत को गौरवान्वित किया था। स्वामी विवेकानंद के महान व्याख्यान के कारण ही पूर्व और पश्चिम के धर्मों के बीच संवाद पथ स्थापित हुआ।

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