भोपाल, अगस्त 2012/ नर्मदा घाटी के इंदिरा सागर और ओंकारेश्वर जलाशय को पूर्ण क्षमता तक भरने से किसी को कोई खतरा नहीं है। मानसून को ध्यान में रखते हुए संबंधित जिला प्रशासन किसी भी आपात स्थिति में सहायता और सुरक्षा के लिये मुस्तैद है। इन जलाशय का स्तर मानव जीवन की सुरक्षा को ध्यान में रखकर ही क्रमशः बढ़ाया जायेगा। यह बात नर्मदा घाटी विकास प्राधिकरण के उपाध्यक्ष और नर्मदा घाटी विकास के प्रमुख सचिव श्री रजनीश वैश ने कही है। श्री वैश ने बताया कि इंदिरा सागर जलाशय से कुल 44 हजार 631 परिवार और ओंकारेश्वर जलाशय से कुल 6,290 परिवार प्रभावित हैं। इंदिरा सागर परियोजना से प्रभावित परिवारों को उनकी अचल सम्पत्ति के मुआवजों के रूप में रूपये 88508.44 लाख राशि तथा ओंकारेश्वर परियोजना प्रभावित परिवारों को उनकी अचल सम्पत्ति के रूप में रूपये 8668.68 लाख राशि का भुगतान किया जा चुका है।
इसके अतिरिक्त इंदिरा सागर परियोजना प्रभावितों को रूपये 23349.47 लाख विशेष पुनर्वास अनुदान के रूप में, रूपये 27375.98 लाख पुनर्वास और परिवहन अनुदान के रूप में दी गई है। इसी प्रकार ओंकारेश्वर परियोजना प्रभावितों को रूपये 2019.36 लाख विशेष पुनर्वास अनुदान के रूप में, रूपये 3116.17 लाख पुनर्वास और परिवहन अनुदान के रूप में उपलब्ध करवाई गई है। उपाध्यक्ष ने बताया कि दोनों परियोजना जलाशय प्रभावितों के पुनर्वास के लिये 34 + 12 कुल 46 पुनर्वास स्थल विकसित किये गये हैं। इनमें प्रत्येक परिवार को 90ग60 फीट आकार का विकसित भूखण्ड निःशुल्क उपलब्ध करवाया गया है। जिन परिवारों ने स्वेच्छा से भूखण्ड नही लिया है उन्हे भूखण्ड के बदले 20 हजार रूपये दिये गये हैं। पुनर्वास स्थलों पर सभी बुनियादी सुविधायें सुलभ हैं। डूब प्रभावित परिवारों की शिकायतों और समस्याओं के निराकरण के लिये शिकायत निवारण प्राधिकरण कार्यरत है। श्री वैश ने दोनों परियोजना जलाशयों से संबंधित लोगों को विश्वास दिलाया है कि उनकी जायज मांगों पर पूरी सहानुभूति के साथ विचार किया जायेगा।