भोपाल, अगस्त 2015/ आँगनवाड़ी केन्द्र में आने वाले बच्चों को शाला पूर्व शिक्षा दी जायेगी। इसके लिये विशेष पाठ्यक्रम तैयार किया गया है, जिसे पॉयलेट प्रोजेक्ट के तौर पर 8 जिले में लागू किया गया है। महिला-बाल विकास मंत्री माया सिंह ने बताया कि इससे बच्चों में पढ़ने के प्रति रुचि जागृत होगी। इसके बेहतर परिणाम मिलने पर इसे प्रदेश के 92 हजार आँगनवाड़ी केन्द्र में विस्तारित किया जायेगा।

माया सिंह ने बताया कि राज्य सरकार आँगनवाड़ी केन्द्रों में बच्चों को शिक्षित और संस्कारित बनाने के लिये व्यवस्था कर रही है। इसी कड़ी में बच्चों को शाला जाने के पहले शिक्षा देने का निर्णय लिया है। इसके लिये प्रदेश के 8 जिले धार, मण्डला, रीवा, सतना, छतरपुर, पन्ना, सागर और सीहोर के 8 ग्रामीण, 4 शहरी और 2 आदिवासी क्षेत्र के एकीकृत बाल विकास परियोजना क्षेत्र को चुना गया है। इनके अधीन आने वाले आँगनवाड़ी केन्द्र में प्रतिदिन 3 से 4 घंटे तक शाला पूर्व शिक्षा दी जायेगी। इसके लिये स्टॉफ को प्रशिक्षित किया गया है। राष्ट्रीय ई.सी.सी.ई. (अर्ली चाइल्ड केयर एण्ड एजुकेशन) नीति के अनुसार केन्द्र में बाल केन्द्रित पाठ्यक्रम खेल तथा शिक्षण सामग्री स्थानीय, देशी एवं मातृभाषा में उपलब्ध करवायी जायेगी। बच्चों को बोल-चाल के जरिये अंग्रेजी भाषा के अक्षरों का भी सामान्य ज्ञान दिया जायेगा।

शाला पूर्व शिक्षा देने के लिये विशेष पाठ्यक्रम की 3 पुस्तक तैयार की गयी हैं। पुस्तकें 3 से 4, 4 से 5 और 5 से 6 वर्ष आयु के बच्चों के मुताबिक बनायी गयी हैं। विशेष पाठ्यक्रम के अनुसार 12 माह की 19 गतिविधि तैयार की गयी हैं। इनमें बच्चों से की जाने वाली बातचीत, कहानी, नाटक, ड्रामा, कविताएँ और खेल शामिल हैं।

जुलाई से जून तक का एक वर्षीय गतिविधियों का केलेण्डर बनाया गया है, जो पॉयलेट प्रोजेक्ट में चयनित आँगनवाड़ी केन्द्र में लागू हो गया है। जुलाई माह में बच्चों को स्वयं की पहचान मेरा घर, व्यक्तिगत साफ-सफाई के बारे में बताया गया है। अगस्त माह में रंगों की पहचान और आकृति की पहचान की जानकारी दी जायेगी। सितम्बर में समय, स्थान, दिशा, पानी और अक्टूबर में तापमान, हमारा पर्यावरण और पेड़-पौधों के बारे में बताया जायेगा। नवम्बर में पशु-पक्षी, जनवरी में हमारे मददगार, फरवरी में संख्या पूर्व अवधारणा और उसकी समझ, मार्च में आहार, अच्छी आदतें, अप्रैल में मौसम, मई में वैज्ञानिक अवधारणा, हमारे त्यौहार और जून माह में बच्चों को आत्म-विश्वास के बारे में शिक्षित किया जायेगा।

शाला पूर्व शिक्षा देने का यह पॉयलेट प्रोजेक्ट 8 जिले के 2,569 आँगनवाड़ी केन्द्र में लागू किया गया है, जिनमें लगभग 90 हजार बालक-बालिका को शिक्षित किया जायेगा। इनमें 44 हजार 679 बालक और 44 हजार 584 बालिका हैं।

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