भोपाल, सितम्बर  2014/ राज्य शासन ने अनुसूचित जाति और जनजाति वर्ग के विरुद्ध अत्याचारों एवं अपराध के प्रकरणों में राहत राशि बढ़ा दी है। इसके लिए आकस्मिकता योजना नियम में संशोधन किया गया है।

संशोधन के अनुसार, अखाद्य या घृणात्मक पदार्थ पिलाना या खिलाना, व्यक्ति को अपमानित या क्षुब्ध करना और अनादरसूचक कार्य के अपराध पर पीड़ित को अब 90 हजार या उससे अधिक राहत राशि दी जायेगी। पूर्व में यह राशि 60 हजार रुपये प्रति व्यक्ति थी।

इसी तरह सदोष भूमि अभिभोग में लेना या उस पर कृषि करना या भूमि परिसर या जल से संबंधित अपराध होने पर 90 हजार रुपये या उससे अधिक की राहत राशि दी जायेगी। भूमि या परिसर में जल आपूर्ति जहाँ जरूरी होगी शासन के खर्च पर पुनः बहाल की जायेगी। इन वर्ग के व्यक्ति से बेगार या बंधुआ मजदूरी करवाने पर प्रत्येक पीड़ित व्यक्ति को 90 हजार की राहत दी जायेगी। पहले यह राहत 60 हजार प्रत्येक व्यक्ति दी जाती थी। मतदान के अधिकार संबंधी अपराध पर 75 हजार की सहायता दी जा सकती है। इसके पहले पीड़ित व्यक्ति को 50 हजार दिए जाते थे।

व्यक्ति के साथ मिथ्या, द्वेषपूर्ण तंग करने एवं झूठी या तुच्छ जानकारी के अपराध पर पीड़ित को दी जाने वाली राहत अब 60 हजार से बढ़ाकर 90 हजार कर दी गई है। व्यक्ति के अपमान, अभित्रास, अवमानना महिला की लज्जा भंग करने और दैहिक शोषण करने पर प्रत्येक पीड़ित को एक लाख 20 हजार की जगह अब 1 लाख 80 हजार रूपये की राहत दी जायेगी।

पानी गंदा करने और उसे साफ करने की सामान्य सुविधा को बहाल करने के लिए जिला प्रशासन द्वारा अपने विवेक से दी जाने वाली राहत राशि को भी बढ़ाकर 3 लाख 75 हजार किया गया है। मार्ग पर आवागमन के अधिकार से वंचित करने और अधिकार को पुनः बहाल करने की पूरी लागत और नुकसान पर एवं दोष सिद्ध होने पर 2 लाख 50 हजार के स्थान पर अब 3 लाख 75 हजार की राहत राशि दी जायेगी।

किसी व्यक्ति को निवास स्थान छोड़ने के लिए मजबूर करने और मकान नष्ट होने पर पीड़ित को स्थल बहाल करने और ठहराने का अधिकार, शासन के खर्च पर मकान का पुनर्निमाण किया जायेगा। इसके लिए 60 हजार रुपये की राशि को बढ़ाकर 90 हजार किया गया है। अनुसूचित जाति-जनजाति व्यक्ति के प्रति होने वाले अन्याय जैसे मिथ्या साक्ष्य के कारण उठाई गई हानि पर 3 लाख 75 हजार रुपये देने का प्रावधान किया गया है। भारतीय दंड संहिता के अधीन 10 वर्ष या उससे अधिक की अवधि में दंड अपराध में कारावास होने पर व्यक्ति या आश्रितों को अपराध के स्वरूप और गंभीरता को देखते हुए एक लाख 80 हजार देने का प्रावधान किया गया है।

हत्या, मृत्यु, नरसंहार, बलात्संग, सामूहिक बलात्संग, गैंग द्वारा किया गया बलात्संग, स्थायी असमर्थता और डकैती पीड़ित व्यक्ति को दी गई राहत राशि के अतिरिक्त राहत की व्यवस्था और अत्याचार के दिनांक से तीन माह में राहत राशि दिये जाने का प्रावधान किया गया है। अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति के मृतक की विधवा या अन्य आश्रितों को 4,500 रुपये प्रतिमाह की दर से या परिवार के एक सदस्य को रोजगार या कृषि भूमि, मकान यदि आवश्यक हो, तो तत्काल खरीदकर दिये जाने का प्रावधान किया गया है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here