भोपाल, मई 2013/ अक्षय तृतीया अथवा आखा तीज-13 मई को बाल विवाहों को रोकने के लिए सभी जिलों को सतर्क कर दिया गया है। राज्य शासन ने जिला कलेक्टरों को बाल विवाह की रोकथाम के लिए कड़े कदम उठाने के निर्देश दिये हैं। इस दिन होने वाले सामूहिक विवाह समारोह पर शासन की पैनी नजर रहेगी। अक्सर आखा-तीज पर सामूहिक विवाह की आड़ में कुछ बाल विवाह भी हो जाते हैं। इस बात को ध्यान में रखते हुए जिला प्रशासन और उसके अमले को मुस्तैद कर दिया गया है।

राज्य सरकार ने इस वर्ष बाल विवाह रोकथाम के लिये लाड़ो अभियान चलाया है। बाल विवाह रोकने के लिये जन-प्रतिनिधियों, समाज-सेवियों, एनजीओ आदि की मदद ली गई है।

सख्त कानून

बाल विवाह करना, बाल विवाह रोकथाम अधिनियम-1929 के अंतर्गत गैर कानूनी है। अधिनियम में बाल विवाह करने वाले इक्कीस वर्ष से कम आयु के वयस्क पुरूष के लिए दण्ड का प्रावधान है। इसके अनुसार बाल विवाह करने पर सादा कारावास, जिसकी अवधि 15 दिन तक की हो सकती है अथवा जुर्माना जो एक लाख तक हो सकता है या फिर दोनों ही तरह से दंडनीय अपराध है। कानून में माता-पिता या संरक्षक के लिए भी दण्ड का प्रावधान रखा गया है।

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