भोपाल, अगस्‍त 2013/ मध्यप्रदेश में बाढ़ की स्थिति बिगड़ने के कारण सेना बुला ली गई है। राहत और बचाव के लिये व्यापक इंतजाम किये गये हैं। एयरफोर्स के दो हेलीकॉप्टर भी लगाये जा रहे हैं। सभी प्रभावित जिलों में चौबीस घंटे सतर्कता बरती जा रही है। बाढ़ से नौ जिले प्रभावित हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने उच्च-स्तरीय आपात बैठक में राहत और बचाव कार्यों की जिलेवार-गाँववार समीक्षा कर निर्देश दिये कि प्रशासन हर स्थिति से निपटने के लिये तत्पर रहे। श्री चौहान ने बीती रात सभी प्रभावित जिलों के कलेक्टरों से बाढ़ की स्थिति तथा बचाव कार्यों की जानकारी ली।

बैठक में निर्देश दिये गए कि अति वर्षा के दौरान नर्मदा नदी के आस-पास के गाँवों में पानी भरने की स्थिति को देखते हुए लोगों को सुरक्षित निकालने के हरसंभव उपाय किये जायें। नागरिकों से अपील की कि प्रशासन को सहयोग करें। तेज बहते पानी में अनावश्यक नहीं जायें। शासन द्वारा बाढ़ प्रभावित प्रत्येक गाँव की सुरक्षा के लिये सभी जरूरी कदम उठाये जा रहे हैं।

बैठक में बताया गया कि होशंगाबाद और सीहोर जिले के कोमलवाड़ा, साढ़े तीन गाँव और जनवासा पानी से घिरे हैं। वहाँ से लोगों को  निकालने के लिये वायुसेना के हेलीकॉप्टर बुलवाये हैं, जरूरत पर तत्काल कार्रवाई की जायेगी। अति वर्षा के कारण होशंगाबाद, हरदा, सीहोर, रायसेन, देवास, खरगोन, खण्डवा, बड़वानी और अलीराजपुर जिले प्रभावित हैं। इन जिलों में छोटे-बड़े सभी बाँध भर गये हैं। बरगी, बारना और कोलार बाँध के सभी गेट खोल दिये गये हैं। होशंगाबाद में तवा बाँध के कारण पानी खतरे के निशान से 18 फीट ऊपर बह रहा है। पानी से घिरे गाँवों से लोगों को निकाला जा रहा है। सेना से भी राहत कार्यों में मदद का आग्रह किया गया है। सेना का राहत दल सोहागपुर की ओर से मोटर बोट से आ रहा है। इन जिलों में होमगार्ड के 3000 जवान तथा 70 वोट राहत कार्य में लगी हैं। कल हुई अति वर्षा में नरसिंहपुर जिले के गाडरवारा में 12 तथा सागर जिले में 5 लोगों की हुई है। मृतकों के परिजनों को एक-एक लाख रुपये तथा गंभीर घायलों के लिये पचास-पचास हजार और सामान्य घायलों के लिए दस-दस हजार रुपये की सहायता राशि स्वीकृत की गयी है। लगभग पचास गाँवों की 6 हजार हेक्टेयर फसल अति वर्षा के कारण प्रभावित हुई। प्रभावित क्षेत्र के स्कूलों में दो दिन का अवकाश घोषित किया गया है।

श्री चौहान ने लोगों से अपील की है कि नदियों को लकड़ी की नावों से पार नहीं करें। जिन रपटों पर पानी है उन पर वाहन न ले जायें।

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