भोपाल। मुख्यमंत्री श्री शिवराज सिंह चौहान की अध्यक्षता में आज सम्पन्न मंत्रि-परिषद की बैठक में ग्राम-पंचायत स्तर पर 100 एबीपीएस की विश्वसनीय ब्रॉड-बैण्ड कनेक्टिविटी उपलब्ध करवाने के लिये नेशनल आप्टिकल फॉयबर नेटवर्क परियोजना के क्रियान्वयन को स्वीकृति दी गई। परियोजना से ग्राम-पंचायत स्तर पर 100 एबीपीएस की विश्वसनीय ब्राड-बैण्ड कनेक्टिविटी उपलब्ध हो जायेगी। परियोजना क्रियान्वयन की सीमा 31 अक्टूबर, 2013 निर्धारित की गई है।

परियोजना के माध्यम से विभिन्न ग्राम-पंचायत एवं ग्रामीण विकास योजनाओं तथा ई-गवर्नेंस कार्यक्रमों के क्रियान्वयन और लोक-सेवाओं की इलेक्ट्रॉनिक डिलीवरी प्रभावी रूप से की जा सकेगी। इस नेटवर्क के माध्यम से सभी प्रकार के सेवा-प्रदाताओं (मोबाइल ऑपरेटर, इंटरनेट सर्विस प्रोवाइडर, केबल टी.व्ही. ऑपरेटर आदि) की नेटवर्क तक समान पहुँच हो सकेगी। साथ ही वीडियो कान्फ्रेंसिंग तथा जी टू सी सुविधाएँ भी प्राप्त हो सकेंगी। विकासखण्डों और ग्राम-पंचायतों के बीच कनेक्टिविटी गेप समाप्त हो जायेगा। परियोजना के लिये मंत्रि-परिषद ने राज्य सरकार, दूरसंचार विभाग तथा भारत ब्राड-बैण्ड लिमिटेड के मध्य निष्पादित किये जाने वाले त्रिपक्षीय समझौता ज्ञापन का सैद्धांतिक अनुमोदन किया।

परियोजना क्रियान्वयन इकाइयाँ

मंत्रि-परिषद ने लोक निर्माण विभाग में परियोजना क्रियान्वयन इकाई (पीआईयू) की वर्तमान संख्या 15 को बढ़ाकर 21 करने का निर्णय लिया। भोपाल, इंदौर, ग्वालियर, जबलपुर सहित अन्य बड़े जिलों में एक-एक पीआईयू तथा शेष जिलों में दर्शाए क्षेत्राधिकार वाली पीआईयू बनाने की अनुमति दी गई है। पीआईयू के नये सेटअप के लिये पदों के सृजन एवं पूर्ति की अनुमति भी दी गई। मंत्रि-परिषद ने महत्वपूर्ण भवनों के रूपांकन की प्रूफ चेकिंग प्रदेश के शासकीय इंजीनियरिंग कॉलेज, आई.आई.टी. अथवा मध्यप्रदेश भूमि विकास नियम में पंजीकृत विशेषज्ञों से करवाने की अनुमति दी। सुपरविजन एवं क्वालिटी कंट्रोल की बाह्य सेवाओं का उपयोग करने की अनुमति भी दी गई।

मंत्रि-परिषद ने वास्तुविदीय सेवाएँ, डीपीआर बनाने, क्वालिटी कंट्रोल कंसलटेंट नियुक्त करने एवं कंटनजेंसी आदि पर 6 प्रतिशत सुपरविजन प्रभार की राशि को बढ़ाकर अधिकतम 9 प्रतिशत करने की अनुमति दी। मंत्रि-परिषद ने 50 लाख से अधिक लागत के भवन कार्यों पर प्री-क्वालिफिकेशन लागू करने की अनुमति दी।

पुलिस बल

मंत्रि-परिषद ने वर्ष 2012-13 के लिये पुलिस बल में वृद्धि के उद्देश्य से 4,124 पद के सृजन करने के संबंध में मुख्यमंत्री द्वारा दिये गये आदेश का अनुसमर्थन किया। यह आदेश 10 जुलाई, 2012 को दिया गया था।

सहायक आपूर्ति अधिकारी

मंत्रि-परिषद ने सार्वजनिक वितरण प्रणाली से जुड़े हितग्राहियों को बेहतर सुविधाएँ सुनिश्चित करने के उद्देश्य से खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के कनिष्ठ आपूर्ति अधिकारी के रिक्त सभी 280 पद को एक साथ भरे जाने की अनुमति दी। इनमें वर्तमान में विज्ञापित 62 और शेष रिक्त 218 पद शामिल हैं।

नई तहसीलें

मंत्रि-परिषद ने 10 नई तहसील के गठन को अनुसमर्थन दिया और 2 नई तहसील के सृजन की स्वीकृति दी। जिन नवीन तहसील के गठन को अनुसमर्थन दिया गया, उनमें टीकमगढ़ जिले की लिधोरा, बालाघाट जिले की बिरसा, नीमच जिले की रामपुरा, छिन्दवाड़ा जिले की चाँद, सिंगरोली जिले की सरई और माढ़ा, अलीराजपुर जिले की सोण्डवा एवं कठ्ठीवाड़ा तथा शहडोल जिले की बुढ़ार और गोहपारू शामिल हैं। इन तहसीलों के लिये प्रत्येक तहसील के मान से एक तहसीलदार, एक नायब तहसीलदार, 5 सहायक ग्रेड-3 के पद सृजन की स्वीकृति दी गई।

मंत्रि-परिषद ने खरगोन जिले के सनावद टप्पा कार्यालय का नई तहसील के रूप में उन्नयन करने की मंजूरी दी। साथ ही डिण्डोरी जिले के बजाग विकासखण्ड को तहसील बनाने की मंजूरी दी गई। इन तहसीलों में भी एक-एक तहसीलदार, एक-एक नायब तहसीलदार तथा 5-5 सहायक ग्रेड-3 के पद सृजित करने की अनुमति दी गई।

पुनरीक्षित स्वीकृति

मंत्रि-परिषद ने राजीव गाँधी ग्रामीण विद्युतीकरण योजना में धार, डिण्डोरी और टीकमगढ़ जिले की योजनाओं की पुनरीक्षित स्वीकृति दी। पूर्व में इन योजनाओं की लागत क्रमश: रुपये 81.02, 34.38 तथा 49.70 करोड़ थी। इनकी पुनरीक्षित लागत क्रमश: रुपये 94.77, 39.92 तथा 55.98 करोड़ है। इन परियोजनाओं में 3,165 विद्युतीकृत ग्राम के 100 से अधिक आबादी वाले सभी मजरों, टोलों, बसाहटों के विद्युतीकरण का काम किया जायेगा। इससे एक लाख 27 हजार 468 गरीबी रेखा से नीचे जीवन-यापन करने वाले हितग्राहियों को बिजली कनेक्शन मिल सकेगा।

अन्य निर्णय

  • मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश श्रम कल्याण निधि अधिनियम-1982 में संशोधन करने का निर्णय लिया। इसका उद्देश्य मध्यप्रदेश श्रम कल्याण मण्डल द्वारा अधिक से अधिक श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा योजना में शामिल करना है।
  • मंत्रि-परिषद ने पंचायत राज की 12वीं पंचवर्षीय योजना के लिये 50 करोड़ रुपये से अधिक की 5 योजना को स्वीकृति दी। यह योजनाएँ हैं- जिला निर्देशन एवं प्रशासन, राष्ट्रीय ग्राम स्व-रोजगार योजना, पिछड़ा क्षेत्र अनुदान निधि, पंचायत भवन का निर्माण तथा ग्राम-सभा का सुदृढ़ीकरण एवं सामाजिक अंकेक्षण।
  • मंत्रि-परिषद ने मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी अधिनियम-1960 में संशोधन के लिये मध्यप्रदेश सहकारी सोसायटी (संशोधन) अध्यादेश-2012 का अनुमोदन किया।

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