गिरीश उपाध्याय
इसे कहते हैं खबर। खबर भी ऐसी जो चौंकाने वाली ही नहीं बल्कि खोपड़ी भन्नाट कर देने वाली है। इस खबर का ताल्लुक जलभराव के उस सुलगते हुए मुद्दे से है जो ठीकठाक बारिश के चलते इन दिनों मध्यप्रदेश ही नहीं पूरे देश में चर्चा का विषय बना हुआ है। और खबर ये है कि मध्यप्रदेश की राजधानी भोपाल में नालों की साफ-सफाई की बात तो छोडि़ए, पिछले 100 सालों से नालों का सर्वे ही नहीं हुआ है। सौ साल पहले शहर में नालों की संख्या सिर्फ 100 हुआ करती थी और एक अनुमान के मुताबिक इस समय यह संख्या 779 हो गई है। जो लोग नालों की सफाई और उन पर होने वाले अतिक्रमणों को लेकर रो झींक रहे हैं, यह आंकड़ा सुनकर उनकी तबियत झक हो गई होगी। नालों में बजबजाती गंदगी के मानिंद उनके मुंह से भी झाग आने लगे होंगे।
यह आंकड़ा भोपाल नगर निगम के गलियारों से ही छनकर आया है। हालांकि तय मानिए कि भाई लोग आने वाले दिनों में इसे सरासर झूठ बताते हुए, आजादी के बाद की बहुत सी कहानियां दे मारेंगे। लेकिन ‘अंदर वालों’ ने ये आंकड़ा ऐसे समय पटका है, जब नाले-नालियों पर नगर निगम से लेकर आला सरकार तक के आंगन में यह गीत फुल वॉल्यूम में बज रहा है-ओ दुनिया के रखवाले सुन दर्द भरे मेरे नाले।
नालों का यह इतिहास राजधानी के एक मंत्रीजी के लिए कुछ कर दिखाने का अवसर लेकर आया है। अपने पूर्व विभाग में‘कथित अनुशासन’ के पालन को लेकर कोर्ट तक से भिड़ जाने वाले इन ‘भिड़ाकू’ मंत्रीजी के लिए यह सुनहरा मौका है,अपनी तेज तर्रार और फैसलों से न पलटने वाली छवि को एक बार फिर सच साबित करने का। हालांकि मंत्रीजी ने नया विभाग मिलते ही ऐलान कर दिया था कि अतिक्रमण सहन नहीं किए जाएंगे और उन्हें सख्ती से हटाया जाएगा।
चूंकि अपने पूर्व के विभाग में उन्होंने कॉलेज के मास्टरों/प्रोफेसरों पर जमकर सख्ती दिखाई थी, शायद इसीलिए महादेव ने प्रसन्न होकर उन्हें और अधिक सख्ती दिखाने की संभावना वाला दायित्व सौंपा है। अब प्रदेश में किसी को कोई चिंता करने की जरूरत नहीं है। प्रदेश में जहां-जहां भी सरकारी जमीन पर अतिक्रमण है, उसे चीन्ह-चीन्ह कर हटा दिया जाएगा, भले ही वह कालूराम का हो या भूरे मियां का। इस मामले में किसी पेलवान या किसी खां की नहीं चलेगी।
सुनने में यह भी आया है कि मंत्रीजी ने अतिक्रमणों की सूची मंगवाई है। उनको सूची जब मिलेगी तब मिलेगी। एक जिम्मेदार नागरिक होने के नाते उनकी मदद करने का फर्ज निभाते हुए दो चार मोटे-मोटे अतिक्रमण तो मैं ही बता देता हूं। और इसके लिए उन्हें ज्यादा कष्ट भी नहीं उठाना पड़ेगा। वो कहते हैं ना चैरिटी बिगिन्स एट होम… तो बस मंत्रीजी जरा-सा अपने घर से बाहर निकलकर सड़क के उस पार झांक लें, अतिक्रमण हटाने का एक शानदार अवसर तो घर के ठीक सामने ही उनका इंतजार कर रहा हे। और कभी निकट दृष्टि दोष हो, तो दूसरा विकल्प भी दे देता हूं। उसके लिए भी बहुत दूर जाने की जरूरत नहीं। मंत्रीजी के घर से सिर्फ तीन किलोमीटर दूर पंचशील नगर के नाले पर एक भरी पूरी बस्ती बस गई है। उसने पूरे नाले के प्रवाह को बाधित किया है। उस नाले के आसपास आज भी पक्के निर्माण होते देख जा सकते हैं। सरकारी एजेंसी को ये निर्माण न दिखते हों तो आसपास की कॉलोनी वाले दिखाने को तैयार हो जाएंगे।
इल्तजा यह है सरकार कि आप तो बस हुकुम जारी कर दीजिए। जो कहा है उस पर कायम रहते हुए बस अमल शुरू कर दीजिए। महसूस तो हो कि यह सरकार जो कहती है वह करती भी है। मुझे पक्का यकीन है कि आप अपने शब्दों पर कायम रहेंगे। आपकी ख्याति भी यही है। बिलकुल ‘प्राण जाए पर वचन न जाए’ वाली।
क्या कहा? यह मंत्री जी के खुद के निर्वाचन क्षेत्र का मामला है? नहीं नहीं, निर्वाचन क्षेत्र है तो क्या हुआ? मंत्रीजी चंद वोटों के लिए सिद्धांतों से कोई समझौता थोड़े ही करेंगे। विरोधी गुट के लोग भले ही कुछ धार्मिक स्थलों के टूटते अतिक्रमण को दबाव डालकर रुकवाने के किस्से कहानियां उनका नाम ले लेकर सुनाते हों, लेकिन मंत्रीजी ऐसे नहीं हैं। उन्हें बस पता चलना चाहिए कि कानून कायदे का उल्लंघन कहां हो रहा है। फिर देखिए वे कैसे सब को टाइट-राइट करते हैं। मंत्रीजी ने बैठक बुला ली है। कलेक्टर और नगर निगम के आला अफसरों को झाड़ पिला दी गई है, बस अब अतिक्रमण पर झाड़ू फिरी ही समझिए।
हां, हां वे नाले नालियों पर अतिक्रमण संबंधी सारी खबरें रोज पढ़ रहे हैं। उनको यह भी पता चल गया है कि शहरों में नालों और अतिक्रमणों की संख्या मौसेरे भाइयों की तरह बढ़ रही है। लेकिन यह ज्यादा दिन चलने वाला नहीं। अब तक आपने जगह-जगह निर्माण कार्य के लिए उनके खिलखिलाते हुए, भूमि पूजन का नारियल फोड़ते फोटो ही देखे होंगे। लेकिन अब भृकुटि ताने, बुलडोजर को अतिक्रमण-विध्वंस के लिए रवाना करते हुए उनके फोटो आपके पास बस आने ही वाले हैं। बहुत हो चुका लास्य, अब तांडव होगा। मंत्रीजी ने बुलडोजरों को निर्देशित कर दिया है। आपके पास भी यदि ऐसे किसी नाले-नाली पर अतिक्रमण की सूचना हो तो तत्काल मंत्रीजी तक पहुंचा दें। वे सब देख लेंगे।