शर्म आती है मगर आज ये कहना होगा…

मंजे हुए कलाकारों की बेहतरीन अदाकारी और लाजवाब गानों के कारण आज भी उतनी ही ताजी, 1968 की मशहूर हास्‍य फिल्‍म ‘पड़ोसन’ में राजेंद्र कृष्‍ण का रचा एक मधुर गीत था, जिसके बोल हैं- शर्म आती है मगर आज ये कहना होगा, अब हमें आपके कदमों ही में रहना होगा…

गीत संगीत से थोड़ा लगाव होने के कारण ऐसे गाने मैं अकसर गुनगुना लेता हूं। लेकिन ‘पड़ोसन’ फिल्‍म का यह गाना रविवार को मुझे राजधानी भोपाल के एक अखबार में छपी खबर के शीर्षक से याद आया। यह शीर्षक था- ‘’शर्म आती है घोटालेबाजों का प्रदेशाध्‍यक्ष होने पर…’’

यह खबर मध्‍यप्रदेश में सत्‍तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी के सहकारिता प्रकोष्‍ठ की बैठक की है। और जिस वाक्‍य को खबर के शीर्षक के तौर पर प्रकाशित किया गया है वह प्रदेश भाजपा अध्‍यक्ष नंदकुमार सिंह चौहान का बयान बताया गया है। यही खबर एक और अखबार ने चौहान के हवाले से एक दूसरे शीर्षक से छापी है जो कहता है-‘’पार्टी के ही कुछ लोगों ने पूरे सिस्‍टम को भ्रष्‍ट कर रखा है’’

चूंकि मैं उस बैठक में मौजूद नहीं था और नंदकुमार सिंह चौहान ने ठीक ठीक क्‍या कहा वह बात मैंने अपने कानों से नहीं सुनी, इसलिए मैं यह कहने की स्थिति में नहीं हूं कि उन्‍होंने वास्‍तव में किस शब्‍दावली का इस्‍तेमाल किया होगा। लेकिन एक बात जरूर है, जहां जहां भी सहकारिता प्रकोष्‍ठ की इस बैठक की खबर छपी है, उसकी ध्‍वनि यही है कि प्रदेश अध्‍यक्ष जी एक तरह से जीभ पर जूता लिए बैठे थे और उन्‍होंने सहकारिता में हो रहे भ्रष्‍टाचार के मामले पर अपनी ही पार्टी के लोगों की उस जूते से जमकर धुनाई की।

आप मानें या न मानें, आज चारों तरफ पसरी झूठ की इस मंडी में, लोग भले ही सच बोलने, सच दिखाने या सच का ही बखान करने के लाख दावे करते हों, लेकिन अंतत: वे परोसते या बेचते झूठ ही हैं। ऐसे में मुझे पहली बार लगा है कि राजनीति में कोई बंदा छाती ठोक कर पूरे साहस से सच बोल रहा है। इसके लिए नंदकुमारसिंह के नाम एक बधाई संदेश तो बनता ही है।

वैसे आप यह भी जानना चाहता होंगे कि जिस बैठक का मैं जिक्र कर रहा हूं उसमें आखिर क्‍या–क्‍या हुआ, तो सुनिए, उसमें भाजपा के प्रदेश अध्‍यक्ष बोले- ‘’समाज के अंतिम व्यक्ति के उत्थान के लिए पंडित दीनदयाल की अंत्योदय की अवधारणा भी फेल हो रही है। कोऑपरेटिव और अंतिम व्यक्ति (गरीब) के बीच कुछ ऐसे व्यक्ति खड़े हैंजिन्होंने पूरे सिस्टम को ही भ्रष्ट कर दिया है।‘’

‘’कोऑपरेटिव और अंतिम व्यक्ति के बीच खड़े लोग कोई और नहींबल्कि पार्टी के लोग ही हैं। मैंने ऐसे व्यक्तियों को मरते देखा हैजिनकी मौत के बाद कीड़े पड़ते हैं। लेकिन हम ऐसे लोगों का कुछ नहीं कर सकते क्योंकि वे पार्टी में हैं।‘’ उन्होंने चेतावनी भरे लहजे में कहा- ‘’ऐसे लोगों को यह अंतिम मौका है। नहीं सुधरे तो हश्र अच्छा नहीं होगा।‘’

चौहान ने फटकारा- ‘’पार्टी में मौजूद लोगों ने बैंकों से लोन लिया हुआ है। उसे जमा करने के बजाए यह रास्ता देख रहे हैं कि सरकार उनके लोन को माफ कर दे। ऐसे लोग जेल जाएंगे तो उन्हें रोने वाला भी कोई नहीं मिलेगा।‘’

नंदकुमार यहीं नहीं रुके, उन्‍होंने आगे कहा- ‘’एक रुपए प्रति किलो में गरीबों को दिए जाने वाले अनाज में भी घोटाला हो रहा है। यह सब देखकर दीनदयाल जी और श्यामाप्रसाद मुखर्जी की आत्मा रो रही होगी। शर्म आती है ऐसे सहकारी नेताओं का अध्यक्ष होने पर। ऐसे नेता पार्टी छोड़कर चले जाएं।‘’

अध्‍यक्ष जी बोले- सहकारी बैंकों के अध्‍यक्षों ने इतनी गड़बडि़यां कीं कि पार्टी बदनाम हो गई। लोगों का सहकारिता से विश्‍वास उठ गया। सहकारिता सेवा का काम है। यदि सहकारी क्षेत्र के नेता नहीं सुधरे तो हम तो बाद में कार्रवाई करेंगे, जनता पहले जूते मारेगी। चोरों के लिए पार्टी में कोई जगह नहीं है।‘’

खबरें कहती हैं कि सहकारिता के क्षेत्र में मध्‍यप्रदेश में कई सालों से बड़े बड़े घोटाले हो रहे हैं। पिछले साल सार्वजनिक वितरण प्रणाली (पीडीएस) के गेहूं में मिट्टी के ढेले मिले। वेयर हाउस फर्जीवाड़ा हुआ। प्याज खरीदी में 500 करोड़ का घोटाला सामने आया। मंदसौर जिला सहकारी बैंक में अध्‍यक्ष ने 12 करोड़ के लोन परिजनों के नाम पर बांट दिए। बीते वर्ष जिला सहकारी बैंकों में 80 करोड़ के घोटाले सामने आए।

विपक्ष तो प्रदेश के सहकारिता क्षेत्र में हुए भ्रष्‍टाचार को लेकर अकसर आरोप लगाता रहा है, लेकिन अब आरोप प्रत्‍यारोप की कोई गुंजाइश ही नहीं बची है। खुद सत्‍तारूढ़ दल के अध्‍यक्ष ने दूध का दूध और पानी का पानी (आप इसे कीचड़ का कीचड़ और गोबर का गोबर भी पढ़ सकते हैं) कर दिया है। विभाग के मंत्री की मौजूदगी में उन्‍होंने सहकारिता क्षेत्र के भ्रष्‍टाचार पर मुहर लगाकर जो स्‍वीकारोक्ति की है, उसने साबित कर दिया है कि भाजपा सिर्फ पारदर्शी ही नहीं बल्कि आर-पारदर्शी पार्टी है।

बस सवाल इतना सा है कि अध्‍यक्ष जी मन मसोस कर कब तक ऐसे भ्रष्‍टाचारियों, घोटालेबाजों और चोरों के नेता बने रहेंगे? ऐसे लोगों पर कब तक ये जबानी जूते ही चलते रहेंगे? कब पार्टी हाथ में संटी लेकर निकलेगी और कब ऐसे लोगों के पृष्‍ठभाग पर नेतृत्‍व के पदचिह्न नजर आएंगे…???

जनता की ओर से उठने वाले ऐसे ही सवालों पर, अपनों की ही काली करतूतों के चलते उधर अध्‍यक्ष जी शर्म से गड़े जा रहे हैं और इधर स्‍व. राजेन्‍द्र कृष्‍ण जी की तर्ज पर मेरा मन यह कहने को हो रहा है-

शर्म आती है मगर आज ये कहना होगा

पता नहीं कब तक हमें इस राज में रहना होगा

 

4 COMMENTS

  1. हुज़ूर जब मैंने ग्वालियर के सरकारी अस्पताल में व्याप्त भ्र्ष्टाचार को समाप्त करने के लिए दीन दयाल जी की दुहाई दी थी तो मुझे तो निलंबन का नोटिस देने का फरमान सुना दिया गया था।
    अध्यक्ष जी ने भी लगभग वही बात कही है, यदि मैं ठीक से समझा हूं तो।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here