पश्चिम बंगाल में पिछले दिनों हुई हिंसा को लेकर एक सवाल बहुत जोर शोर से उठाया गया था कि क्या कोई धर्म इतना कमजोर हो सकता है कि वह एक ट्वीट या एक फेसबुक कमेंट से आहत हो जाए? सवाल बहुत मौजू था और सारे धर्मांधों से जवाब चाहता था। लेकिन जैसाकि अकसर होता है उस सवाल को तात्कालिक घटनाओं से जोड़कर केवल एक धर्म विशेष पर चस्पा कर दिया गया।
मंगलवार को ऐसी ही दो खबरें देखने को मिलीं। पहली खबर का वास्ता अपने मध्यप्रदेश से भी है। यह खबर कहती है कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के चिंतक और दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर राकेश सिन्हा द्वारा अपनी मां के साथ महाकाल मंदिर की पूजा करते हुए फोटो ट्वीट किए जाने पर ममता बैनर्जी के राज वाले पश्चिम बंगाल में उन पर आपराधिक प्रकरण कायम किया गया है।
राकेश सिन्हा का वह ट्वीट आज भी ट्विटर पर मौजूद है। उन्होंने 9 जुलाई के इस ट्वीट में लिखा है- ‘’गुरु पूर्णिमा की शुभकामनाये और बधाई। गुरु पूर्णिमा के दिन माँ के साथ महाकालेश्वर मंदिर, उज्जैन, में।‘’आपराधिक प्रकरण दर्ज होने की जानकारी खुद राकेश सिन्हा ने सोमवार को ट्वीट के जरिए दी। उन्होंने कहा-‘’मुझ पर बंगाल में साम्प्रदयिक सद्भाव खराब करने, षड्यंत्र करने, दंगा भड़काने का आरोप लगाकर FIR (224/19 17 July17) किया गया। दो साल से बंगाल नहीं गया!’’
इसके साथ ही सिन्हा ने पलटवार करते हुए सवाल किया कि मां के साथ महाकालेश्वर मंदिर में पूजा की फोटो या कि (आरएसएस के सरसंघचालक) मोहन भागवत द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर केंद्रित पुस्तक का विमोचन किया जाना, मुझ पर एफआईआर का कारण कैसे हो सकता है? उन्होंने ममता बैनर्जी को निशाने पर लेते हुए कहा- ‘’आपके तानाशाही राज की ये दमनकारी नीतियां मुझे मेरी लोकतांत्रिक, धर्मनिरपेक्ष और राष्ट्रवादी निष्ठा से विमुख नहीं कर सकतीं।‘’
राकेश सिन्हा का यह मामला चल ही रहा था कि मंगलवार को क्रिकेटर इरफान खान सोशल मीडिया पर ट्रोलर्स के निशाने पर आ गए। इरफान का दोष सिर्फ इतना था कि उन्होंने अपनी पत्नी के साथ वाली एक फोटो फेसबुक पर डाल दी थी। जैसे ही यह फोटो डली बवाल मच गया। इरफान को तरह तरह की नसीहतें और चेतावनियां मिलने लगीं। इरफान की पत्नी सफा बेग जेद्दाह में मॉडल रही हैं।
किसी ने इरफान को ‘सलाह’ दी कि उससे (इरफान की पत्नी) से कहो कि वह अपनी बाहें ढंक कर रखे। कोई बोला- पठान होने के नाते उसे परदे में रखें…, किसी की नसीहत थी कि- इरफान की पत्नी ‘’नेलपॉलिश का इस्तेमाल करने के बजाय मेहंदी लगाए…’’ लोगों ने क्या क्या लिखा जरा इसकी बानगी देखिए-
किसी जग्गा जासूस(?) ने कहा- ‘’उससे कहो कि वह अपनी बाहें ढंक कर रखे। एक मुस्लिम और पठान होने के नाते आपका यह फर्ज है कि उससे ऐसा करवाएं।‘’
किन्हीं मोहम्मद मुजीबुर्रहमान मजीद की नसीहत तो बहुत हैरान करने वाली थी, उन्होंने लिखा- ‘’भाई बहुत सुंदर फोटो है। लेकिन अपनी पत्नी या किसी भी मुस्लिम लड़की का फोटो अपडेट न करें। मैं आपके परिवार का बहुत सम्मान करता हूं क्योंकि आपका परिवार दूसरों के लिए उदाहरण है। मेरी गुजारिश है कि मुस्लिमों के फोटो अपडेट न करें, हमारी लड़कियां बहुत खास हैं। वे कभी इस तरह बाहर नहीं आतीं, भाई मैं आपको बहुत चाहता हूं…’’
कोई फारूक शाह तो दो कदम आगे बढ़ गए, उन्होंने तंज किया- ‘’आज उन्होंने आधा चेहरा दिखाया है, कल पूरा दिखाएंगे, फिर हिजाब हटा देंगे और एक दिन हया भी…’’
दरअसल ये दोनों ही घटनाएं हमारे समाज के ऐसे नासूर की ओर इशारा कर रही हैं जो तरक्की के हमारे तमाम दावों के बावजूद हमें खोखला करता जा रहा है। यह असहिष्णुता की पराकष्ठा है। क्या अब दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की पहचान रखने वाले इस देश में मां और पत्नी के साथ खींचे गए फोटो शेयर करना भी गुनाह हो जाएगा? क्या हम इतने दकियानूसी और बर्बर होते जा रहे हैं कि किसी की निजी जिंदगी के खुशनुमा पलों को भी जंजीरों में कैद कर देना चाहते हैं? यह व्यक्ति की नितांत निजता से जुड़ा मामला है, हम कौन होते हैं उन्हें रोकने या नसीहत देने वाले?
और फिर यदि फोटो में किसी तरह की अश्लीलता, हिंसा अथवा वैमनस्य भड़काने वाली बात दूर दूर तक भी दिखाई दे रही हो तो आप उंगली उठाइए, लेकिन क्या इस देश में कोई बेटा अपनी मां के साथ मंदिर में पूजा अर्चना के फोटो भी सार्वजनिक नहीं कर सकता, क्या कोई पति अपनी पत्नी के साथ खुशी के पल बिताते हुए नजर नहीं आ सकता? जरा आप भी देखिए इन दोनों फोटो को और खुद तय कीजिए कि इनमें क्या और कौनसी आपत्तिजनक बात है?
यदि ऐसे फोटो भी इस समाज में विवाद या वैमनस्य का कारण माने जा रहे हैं तो लानत है इस समाज पर और ऐसी मानसिकता पर…
shandar