राकेश अचल
भारतीय वायुसेना के जांबाज विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान की पाकिस्तान से सकुशल वापसी का तहेदिल से अभिनंदन करते हुए मुझे खुशी है कि भारत के कूटनीतिक प्रयास आश्चर्यजनक रूप से सफल रहे। इस सफलता का श्रेय भारत सरकार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को देने में किसी को कोई संकोच नहीं होना चाहिए भले ही मोदी जी और उनकी पार्टी इस उपलब्धि को किसी और मकसद से भुनाने का प्रयास कर रही हो। (ये मुद्दा अलग है)
पाक पोषित आतंकवाद के खिलाफ खो-खो के खेल में पाकिस्तान की मात हुयी और उसे अपने शिकंजे में आये भारत के विंग कमांडर को सकुशल रिहा करना पड़ा। बीते पांच साल में लगातार आतंकी घटनाओं के पार्श्व में खड़े पाकिस्तान को भारत सरकार लम्बी कोशिशों के बाद न सिर्फ घेर पायी है बल्कि उसने पाकिस्तान को ‘बैकफुट’ पर खड़े होने को विवश कर दिया है। भारत की इस कामयाबी का लाभ वास्तव में तब मिल पायेगा जब भारत दो कदम और आगे बढ़कर आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान से कोई पक्की गारण्टी भी हासिल कर ले।
पाकिस्तान अभी अंतर्राष्ट्रीय दबाब में है, इसलिए भीगी बिल्ली बना हुआ है, किन्तु भीगी बिल्ली हो, तुरग हो या उरग हो, इनका झुकना अति दुखदायी होता है, ये हमारा पुराना अनुभव है। बाबा तुलसीदास ने बहुत पहले ही लिख दिया था कि- “नवनि नीच कै अति दुखदाई। जिमि अंकुस धनु उरग बिलाई।” यानि हमारी प्रसन्नता को यदि स्थाई बनाना है तो इस स्थिति को भविष्य के लिए आगे तक ले जाने की जरूरत है, क्योंकि पाकिस्तान का चरित्र जग-जाहिर है, वो अपनी बात पर टिका नहीं रहता।
पाकिस्तान की आंतरिक परिस्थितियां वहां के हुक्मरानों के अनुकूल नहीं हैं, सत्ता में बने रहने के लिए आतंकवाद और भारत का विरोध पाकिस्तानी हुक्मरानों की पहली जरूरत और आखरी विवशता है। हमारे यहां भी कमोवेश ये ही स्थिति है लेकिन ये हमारे हुक्मरानों की विवशता बिलकुल नहीं है, हाँ पाकिस्तान की अदावत हमेशा से हुक्मरानों के लिए काम आती रही है। पहले कम आती थी, अब ज्यादा आ रही है।
भारत की ओर से बालाकोट में वायुप्रहार के बाद पाकिस्तान कुछ दिनों के लिए चुप हो सकता है लेकिन स्थायी तौर पर वो आतंकवादियों को पालना बंद कर देगा इसमें मुझे संदेह ही नहीं परम संदेह है। इसलिए जरूरी है कि भारत सरकार इस मामले में जितनी सतर्क और सक्रिय आज है उतनी ही लगातार बनी रहे। भारत में दो महीने बाद आम चुनाव होना है इसलिए ये सुनिश्चित किया जाना बहुत जरूरी है कि सत्ता में जो भी आये आज की स्थिति को बरकरार रखे, इस मुद्दे पर सार्वजनिक राजनीति नहीं होना चाहिए। सरकार से पहली बार इस मामले में कथित रूप से भूल हुई और विपक्ष को शिकायत करने का अवसर मिला, लेकिन इसकी पुनरावृति को रोका जाना चाहिए।
पाकिस्तान पोषित आतंकवाद भारत के चहुंमुखी विकास की दूसरी सबसे बड़ी बाधा है। हमारी सबसे बड़ी मुश्किल आबादी है और पड़ोस की आतंकवाद। बीते 73 साल से ये सिलसिला बना हुआ है। दुनिया के अनेक देशों में ऐसी स्थितियां हैं किन्तु भारत में स्थिति सर्वथा भिन्न है। मौजूदा स्थिति में सर्वशक्तिमान अमेरिका ने भारत का साथ देने का अभिनय जरूर किया है किन्तु उसका चरित्र भी जग-जाहिर है। उसका एक हाथ भारत के हाथ में तो दूसरा पाकिस्तान की पीठ पर भी रहता आया है। पाकिस्तान की पीठ पर इन दिनों चीन का हाथ भी है, ये तथ्य हमें कभी नहीं भूलना चाहिए।
बहरहाल भारत-पाकिस्तान के लिए बिना युद्ध के मसले को हल करने का नया अवसर फिर उपस्थित हुआ है, पाकिस्तान को इस अवसर का लाभ लेना चाहिए, भारत को भी इस मामले में पीछे नहीं हटना चाहिए, क्योंकि हर बार स्थितियां हमारे ही अनुकूल हों इस बात की कोई गारंटी नहीं है। एक अभिनंदन की रिहाई हमारे लिए प्रसन्नता का विषय है किन्तु बड़ी संख्या में पाकिस्तानी जेलों में हमारे निर्दोष लोग वर्षों से पड़े हुए हैं, उनकी वापसी के लिए भी अब भारत को नए सिरे से प्रयास करना चाहिए। सरकार हम नामालूम लेखकों से ज्यादा दूर तक सोचती है इसलिए उम्मीद की जाना चाहिए कि युद्धोन्माद से परे समस्या के निदान की पहल की जाएगी। वोट-वोट खेलने के लिए तो हमारे पास बहुत से अवसर आते-जाते रहेंगे, लेकिन देश की अस्मिता, संप्रभुता, एकता और अखण्डता के लिए कुछ कर गुजरने के अवसर यदा-कदा ही हाथ आते हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं)