आल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुसलमीन के अध्यक्ष और सांसद असदुद्दीन औवेसी की राजनीति से मैं कतई इत्तफाक नहीं रखता। लेकिन अपनी बात वे जिन तर्कों के साथ रखते हैं वह उनके पढ़े लिखे होने और सामने वाले को माकूल जवाब देने की ताकत रखने वाले शख्स होने की निशानी हैं। टीवी डिबेट में भी बहुत कम मौके ऐसे आते हैं जब उन्हें तर्कों से पराजित किया जा सके।
चौंकिये मत, मेरा इरादा आज ओवैसी का प्रशस्तिगान करने का नहीं है। लेकिन ओवैसी के बहाने मैं भारतीय राजनीति में चल रही कई सारी बेवकूफियों की ओर थोड़ा ध्यान दिलाना चाहता हूं। आज का मुद्दा ओवैसी नहीं बल्कि वह ताजमहल है जो दुनिया भर में भारत की अनूठी स्थापत्य कला के प्रतीक के रूप में अपनी अलग पहचान रखता है।
इसी ताजमहल को लेकर उत्तरप्रदेश के भाजपा विधायक संगीत सोम ने सोमवार को बहुत ही नामसझ सी टिप्पणी की। उन्होंने ताजमहल को ‘भारतीय संस्कृति पर कलंक’ बताते हुए कहा कि इसका निर्माण ‘गद्दारों’ ने किया था। वे बोले- “बहुत-से लोग इस बात से चिंतित हैं कि ताजमहल को यूपी टूरिज़्म की बुकलेट में ऐतिहासिक स्थानों की सूची से हटा दिया गया… किस इतिहास की बात कर रहे हैं हम…? जिस शख्स (शाहजहां) ने ताजमहल बनवाया था, उसने अपने पिता को कैद कर लिया था… वह हिन्दुओं का कत्लेआम करना चाहता था… अगर यही इतिहास है, तो यह बहुत दुःखद है, और हम इतिहास बदल डालेंगे… मैं आपको गारंटी देता हूं…” संगीत सोम ने मुगल बादशाहों बाबर, औरंगज़ेब और अकबर को ‘गद्दार’ कहा, और दावा किया कि उनके नाम इतिहास से मिटा दिए जाएंगे।
दरअसल ताजमहल उत्तरप्रदेश की राजनीति में कई दिनों से विवाद में है। इससे पहले जून माह में वहां के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी कह चुके हैं कि मुगल बादशाह शाहजहां द्वारा बनवाया गया ‘प्यार का स्मारक’भारतीय संस्कृति का परिचायक नहीं है। हाल ही में यूपी के टूरिज़्म ब्रोशर से ताजमहल को हटा दिए जाने पर भी काफी विवाद हुआ था।
हालांकि राज्य की पर्यटन मंत्री रीता बहुगुणा जोशी ने बाद में सफाई देते हुए कहा था, “ताजमहल हमारी सांस्कृतिक विरासत है, और दुनिया के सबसे मशहूर पर्यटन स्थलों में शुमार किया जाता है…” राज्य के एक अन्य मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह ने ताजमहल के सरकारी बुकलेट में नहीं होने को ‘मिसकम्युनिकेशन’ बताया था। लेकिन सोम के ताजा बयान के बाद सफेद संगमरमर की यह यादगार इमारत एक बार फिर विवाद के काले साये में है।
जैसे ही सोम का बयान आया, तय था कि उस पर प्रतिक्रिया जरूर होगी। और इस बार आवाज आई एक और प्रसिद्ध वास्तुशिल्प चारमीनार वाले शहर हैदराबाद से। वहां एमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने संगीत सोम के बयान पर कहा, “यह सरकार इतिहास से नफरत में अंधी हो गई है… मैं उन्हें चुनौती देता हूं कि दुनिया की सांस्कृतिक धरोहरों की सूची से ताजमहल को हटवाने के लिए UNESCO से कहें…”
ओवैसी ने ट्वीट कर कहा, ‘लाल किले को भी ‘गद्दारों’ ने बनाया था। तो क्या प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लाल किले पर तिरंगा फहराना छोड़ देंगे? क्या मोदी और योगी घरेलू और विदेशी पर्यटकों से कहेंगे कि वे ताजमहल देखने ना आएं? दिल्ली के हैदराबाद हाउस को भी ‘गद्दारों’ ने ही बनाया था। क्या मोदी यहां विदेशी मेहमानों की मेजबानी छोड़ देंगे?’’
अब जरा उन संगीत सोम के बारे में भी जान लें जिनके बयान ने इस आग को फिर भड़काया है। आपको याद होगा उत्तरप्रदेश के मुजफ्फरनगर में सितंबर 2013 में सांप्रदायिक हिंसा की घटना हुई थी जिसमें 60 से अधिक लोग मारे गए थे। उस हिंसा के सिलसिले में सोम को सोशल मीडिया पर फर्जी वीडियो अपलोड करने और भड़काऊ भाषण देने के आरोप में राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत गिरफ्तार किया गया था।
2014 में लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में सत्तारूढ़ हुई नरेंद्र मोदी सरकार ने संगीत सोम को जेड प्लस सुरक्षा प्रदान की थी। सपा नेता आजम खान ने इसका खासा विरोध करते हुए कहा था कि दंगों में शामिल जिन लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कार्रवाई हुई, सरकार उन्हें ही झेड प्लस सुरक्षा दे रही है।
उसके बाद सोम उस समय फिर चर्चा में आए जब सितंबर 2015 में उत्तरप्रदेश के दादरी इलाके के बिसाहड़ा गांव में कुछ लोगों ने गोमांस सेवन के कथित आरोप के चलते अखलाक नाम के व्यक्ति की हत्या कर दी। घटना के बाद पुलिस ने राजनेताओं के उस इलाके में जाने पर रोक लगा दी थी, लेकिन संगीत सोम ने वहां जबरिया प्रवेश की कोशिश की और निषेधाज्ञा के बावजूद लोगों को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि उत्तरप्रदेश सरकार गाय काटने वालों को संरक्षण दे रही है। उस समय मीडिया में रिपोर्ट छपी थी कि सोम की बयानबाजी पर खुद प्रधानमंत्री ने नाराजी जताई है। भाजपा अध्यक्ष अमित शाह ने भी कहा था कि सोम को दादरी नहीं जाना चाहिए था।
लेकिन सोम नहीं बदले। जून 2016 में उत्तरप्रदेश के कैराना में उन्होंने मुस्लिम समुदाय के कथित आतंक के चलते वहां से हिन्दुओं के पलायन का मुद्दा उठाया और पुलिस रोक के बावजूद अपने 2000 समर्थकों के साथ उस इलाके में निर्भय यात्रा निकाली। उत्तरप्रदेश चुनाव के दौरान सोम ने बयान दिया था कि राज्य में भाजपा की हार का मतलब होगा पाकिस्तान की जीत। भाजपा हारी तो यूपी पाकिस्तान बन जाएगा। बाद में सोम मेरठ जिले की सरधाना सीट से भाजपा टिकट पर जीत कर आए।
इन्हीं सोम के बयान पर ओवैसी ने जो पलटवार किया है वह गौर करने लायक है। यदि सोम के तर्कों को माना जाए तो फिर वास्तव में लालकिले से लेकर राष्ट्रपति भवन तक कोई भी जगह ‘गद्दारों’ के निर्माण की परिभाषा से अछूती नहीं रहेगी। सवाल यह है कि आखिर भाजपा नेताओं को इस तरह के ऊलजलूल बयान देने की जरूरत क्या है? इससे तो वे उलटे अपना ही नुकसान कर रहे हैं, क्योंकि ऐसे बयानों के चलते उन लोगों को बखूबी तार्किक और सटीक पलटवार करने का मौका मिल रहा है जिन्हें वे अपना विरोधी समझते हैं।
क्या ताजमहल का विरोध मुस्लिमों की बात का वजन बढ़ाने के इरादे से किया जा रहा है? आप मानें या न मानें लेकिन ये इमारतें देश की धरोहर हैं क्योंकि इन्हें इसी मिट्टी के कारीगरों ने अपने खून पसीने से सींचकर खड़ा किया है। उस मायने में ताज का अपमान हमारे अपने शिल्पियों का भी अपमान है। क्या हम ऐसा ही चाहते हैं?