बड़े बड़े नामों के साथ ऐसी छोटी छोटी बातें होती रहती हैं

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सोमवार को सोशल मीडिया पर एक घटना घटी। घटना यह कि अभी-अभी कांग्रेस की मुख्‍यधारा का हिस्‍सा बनीं प्रियंका गांधी वाड्रा ने सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म ट्विटर पर अपनी आमद दर्ज कराई। वैसे करने वाले तो बहस इस बात पर भी कर सकते हैं कि प्रियंका आखिर कब कांग्रेस की मुख्‍यधारा का हिस्‍सा नहीं रहीं। वे तो हमेशा से पार्टी के अहम फैसलों से किसी न किसी रूप में जुड़ी रही हैं और प्रत्‍यक्ष न सही पर परोक्ष रूप से तो उनकी भूमिका सदैव रहती ही आई है।

पर मीडिया का चलन बन चुकी ऐसी ‘मूर्खधारा’ की बहस में पड़ना न तो मेरा उद्देश्‍य है और न ही उसमें मेरी कोई रुचि है। क्‍योंकि ये किसी पार्टी का अंदरूनी मामला है, वो चाहे जिसको नेता माने, चाहे किसी को न माने, हम उनके फटे में टांग अड़ाने वाले कौन होते हैं। आपको बहुत ज्‍यादा शौक है आरोप लगाने का या आपकी जीभ परिवारवाद का ताना मारने के लिए लपलपाती रहती है तो यह आपकी प्रॉब्‍लम है।

तो मैं बता रहा था कि प्रियंका पूर्वी उत्‍तरप्रदेश की महासचिव बनाए जाने के बाद जिस दिन लखनऊ में रोड शो के जरिए प्रत्‍यक्ष रूप से पब्लिक में उतरीं वहीं उन्‍होंने वर्चुअल सोसायटी के चर्चित सोशल प्‍लेटफार्म ट्विटर पर भी उसी दिन अपनी मौजूदगी दर्ज कराई। इससे पहले प्रियंका की सोशल मौजूदगी तो थी पर सोशल मीडिया पर वे ऑफिशियली मौजूद नहीं थीं।

कांग्रेस इस बात को लेकर बहुत खुश हो सकती है कि प्रियंका,राहुल (और साथ में ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया) के रोड शो में सड़कों पर भीड़ का जो नजारा था, कुछ कुछ वैसा ही नजारा प्रियंका के ट्विटर प्‍लेटफार्म पर भी देखने को मिला। ट्विटर रिकार्ड के अनुसार प्रियंका ने रविवार यानी 10 फरवरी 2019 की रात 10:45 बजे ट्विटर को जॉइन किया और जिस समय मैं यह कॉलम लिख रहा हूं यानी 11 फरवरी की रात सवा आठ बजे तक उन्‍हें करीब एक लाख लोग फॉलो कर चुके थे।

रिकार्ड के अनुसार प्रियंका ने अभी तक सिर्फ 7 लोगों को फॉलो किया है जिसमें कांग्रेस अध्‍यक्ष और उनके भाई राहुल गांधी के अलावा संगठन में उनके समकक्ष पदाधिकारी, पश्चिमी उत्‍तरप्रदेश के संगठन महासचिव ज्‍योतिरादित्‍य सिंधिया, पार्टी कोषाध्‍यक्ष अहमद पटेल, मीडिया इंचार्ज रणदीपसिंह सुरजेवाला, राजस्‍थान के मुख्‍यमंत्री अशोक गहलोत, राजस्‍थान के ही उप मुख्‍यमंत्री सचिन पायलट के अलावा कांग्रेस पार्टी का ऑफिशियल हैंडल @INCIndia शामिल है।

लेकिन इन सारी जानकारियों के बीच एक बात ने मुझे हैरान कर दिया। वो बात ये कि प्रियंका के ट्विटर हैंडल पर एक भी ट्वीट पोस्‍ट नहीं हुआ और बिना कोई ट्वीट देखे एक लाख से ज्‍यादा लोगों ने उन्‍हें फॉलो कर लिया। और यह संख्‍या लगातार बढ़ रही है। सिर्फ नाम भर सामने आ जाने पर प्रियंका के समर्थन में फैन फॉलोइंग की सुनामी आ जाने का क्‍या मतलब निकाला जाए? क्‍या ये समझा जाए कि ट्विटर और फेसबुक जैसे मंच चेहरा देखकर तिलक लगाने वालों से भरे हैं। हालांकि प्रियंका को फॉलो करने वालों में कई बड़े राजनेताओं और पत्रकारों के नाम भी शामिल हैं।

हो सकता है आने वाले दिनों में प्रियंका को फॉलो करने वालों में होड़ मच जाए और वे ट्विटर मंच पर कोई इतिहास रच डालें। एक स्‍टेटस सिंबल कांग्रेस में इस बात का भी हो सकता है कि प्रियंका खुद किन किन लोगों को फॉलो कर रही हैं। यह देखना दिलचस्‍प होगा कि प्रियंका द्वारा फॉलो किए जाने वाले मौजूदा सात लोगों की संख्‍या कब बढ़ती है और उनकी सूची में शामिल होने का सौभाग्‍य किन्‍हें मिलता है।

कोई ट्विटर पर अपना अकाउंट बनाए, न बनाए, कब बनाए, किस नाम से बनाए यह उसका निजी मामला है। यह भी लोगों की निजी पसंद-नापसंद का क्षेत्र है कि वे किसे फॉलो करें और किसे नहीं। लेकिन इस तरह किसी की बात या उसके विचार को जाने अथवा उसकी ओर से कोई भी कमेंट न किए जाने पर भी लोगों का टूट पड़ना साफ बताता है कि सोशल मीडिया की यह दुनिया कितनी दिखावटी, कितनी बनावटी और कितनी खोखली है।

सबसे बड़ी दिक्‍कत यह है कि हमारी राजनीति आज इस खोखली दुनिया के सहारे ही चलने लगी है। जिसके जितने अधिक फॉलोअर वह उतना ही बड़ा या लोकप्रिय नेता माना जाने लगा है। फिर भले ही उसके ट्विटर हैंडल पर सामग्री चाहे जो डली हो या न भी डली हो। भले ही वहां लगातार गाली गलौज चलती रहे, किसी को कोई फर्क नहीं पड़ता, व्‍यक्ति सिर्फ खुद को मिलने वाले लाइक्‍स या कमेंट्स की संख्‍या भर देखता है। इसी संख्‍या बल से ट्विटर पर उसकी ताकत को तौला जाता है।

इस दिखावटी ताकत में दम कितना है यह तो ऊपर वाला ही जाने लेकिन हकीकत यह है कि इसकी हवा बहुत तगड़ी होती है। शायद यही कारण है कि इतने सालों तक सोशल मीडिया आदि से दूर रहने वाली और इसे फालतू का चोचला बताने वाली बसपा सुप्रीमो बहन मायावती भी पिछले दिनों ट्विटर पर नमूदार हो गई हैं।

वैसे मायावती जी ने ट्विटर को जॉइन तो अक्‍टूबर 2018 में ही कर लिया था। लेकिन लगता है प्रचार को प्रचारित करने के लिए भी प्रचार की जरूरत पड़ती है। शायद यही कारण रहा होगा कि ट्विटर पर अपनी मौजूदगी के बारे में मायावती को 22 जनवरी 2019 को बाकायदा ऐलान करना पड़ा।

प्रियंका गांधी और मायावती के ट्विटर हैंडल देखने पर कुछ और रोचक बातें पता चलीं। जैसे मायावती जी को सीधे सीधे अपने नाम का ट्विटर हैंडल नहीं मिल पाया तो उन्‍होंने अपना अकाउंट ‘मायावती’ के नाम से और ट्विटर हैंडल @sushrimayawati के नाम से बनाया। अपनी मौजूदगी के ऐलान के बाद से अब तक मायावती कुल 28 ट्वीट कर चुकी हैं। प्रियंका ने जहां बिना कोई ट्वीट किए आते ही एक लाख से अधिक फॉलोअर हासिल कर बहन जी को पीछे छोड़ दिया है, वहीं पिछले बीस दिनों में बहनजी के फॉलोअर्स की संख्‍या 76 हजार 344 तक ही पहुंची है। वे सिर्फ एक ही हैंडल को फॉलो करती हैं और वह है ‘ट्विटर सपोर्ट’।

एक दिलचस्‍प बात यह भी है कि प्रियंका ने अपना अकाउंट तो प्रियंका गांधी वाड्रा के नाम से बनाया है लेकिन उनके ट्विटर हैंडल से वाड्रा सरनेम गायब है। उनका ट्विटर हैंडल है @priyankagandhi हैरान करने वाली बात तो यह भी है कि इतना चर्चित होने के बाद भी अभी तक इस नाम से किसी ने कोई ट्विटर हैंडल नहीं बनाया था। मायावती के विपरीत प्रियंका को अपने नाम का हैंडल खाली मिला।

यह कैसे हुआ… राम जाने… बड़े लोगों की बड़ी बातें… वैसे आप चाहें तो कह सकते हैं कि बड़े-बड़े नामों के साथ ऐसी छोटी-छोटी बातें होती रहती हैं सेनोरिटा…

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