अपने खुरदुरे चेहरे से हिन्दी फिल्म जगत में खास पहचान बनाने वाले प्रसिद्ध अभिनेता ओम पुरी का शुक्रवार को तड़के दिल का दौरा पड़ने से निधन हो गया। वे 66 वर्षीय ओम पुरी ने हिन्दी फिल्मों के अलावा ब्रिटिश तथा अमेरिकी सिनेमा में भी काम कर अपना अलग मुकाम हासिल किया था। भारत सरकार ने उन्हें पद्मश्री से सम्मानित किया था।
18 अक्टूबर 1950 को हरियाणा के अम्बाला में जन्मे ओम पुरी की प्रारंभिक शिक्षा अपने ननिहाल पटियाला में हुई। 1976 में पुणे फिल्म संस्थान से प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद ओमपुरी ने लगभग डेढ़ वर्ष तक एक स्टूडियो में अभिनय की शिक्षा दी। बाद में उन्होंने अपने निजी थिएटर ग्रुप “मजमा” की स्थापना की।
ओम पुरी के फ़िल्मी सफर की शुरुआत मराठी नाटक पर आधारित फिल्म ‘घासीराम कोतवाल’ से हुई थी। 1980 में रिलीज “आक्रोश” ओम पुरी के सिने कॅरियर की पहली हिट फिल्म साबित हुई। फिल्म अर्घसत्य में पुलिस वाले के रूप में उनके अभिनय को हमेशा याद किया जाता रहेगा। इसी तरह फिल्म ‘मंडी’ में उन्होंने एक फोटोग्राफर का यादगार रोल निभाया था।
गैर फ़िल्मी परिवार से आए ओम पुरी को बॉलीवुड में अपनी जगह बनाने के लिए काफी कड़ा संघर्ष करना पड़ा। जिस समय रुपहला परदा चॉकलेटी छवियों को ही तवज्जो देता था उस समय अपने ठेठ देसी खुरदुरे चेहरे को लेकर उन्होंने रजतपट पर अपनी धमाकेदार मौजूदगी दर्ज कराई। बेहतरीन अभिनय के लिए उन्हें अनेक पुरस्कारों से नवाजा गया था।