अंदर करो इन रोहन कुमारों और शोभा डे की जमात को

करीब एक सप्‍ताह से देश में एक लड़की को लेकर बवाल मचा हुआ है। लड़की का नाम है गुरमेहर कौर। ये गुरमेहर कौर कौन है और उसे लेकर बवाल क्‍यों मचा हुआ है, इस बारे में ज्‍यादा बताने की जरूरत शायद इसलिए नहीं है कि मीडिया की दुनिया से लेकर राजनीति के अखाड़ों तक इस नाम के इर्दगिर्द जमकर दावपेंच खेले जा रहे हैं। और खबर की दुनिया से वास्‍ता रखने वाला शायद हर शख्‍स इस मामले से वाकिफ है।

संक्षेप में मामला यह है कि दिल्‍ली के रामजस कॉलेज में छात्रों के दो गुटों में मारपीट के बाद गुरमेहर कौर नाम की इस लड़की ने छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद का विरोध किया और उसके बाद से उसके पक्ष और विरोध में सोशल मीडिया पर कमेंट्स की बाढ़ आ गई। यहां तक भी ठीक था, लेकिन इसी बीच फेसबुक पर गुरमेहर के नाम एक कमेंट ऐसा लिखा गया जिसमें उसके साथ रेप करने की धमकी दी गई थी।

अब इसे देश के वर्तमान चुनावी माहौल का परिणाम कहें या कुछ और… राजनीति के अखाड़ेबाजों को मौका मिला… चूंकि गुरमेहर ने विद्यार्थी परिषद का विरोध किया था, इसलिए गुरमेहर को रेप की धमकी देने वाले आदमी (?) के बारे में यह मान लिया गया कि वह भी एबीवीपी का ही बंदा होगा। इसके बाद एबीवीपी और एंटीएबीवीपी वॉर शुरू हो गया। इस वॉर में गुरमेहर के करीब साल भर पुराने एक वीडियो को भी घसीट लिया गया और उसे लेकर अलग ही तरह की सर्जिकल स्‍ट्राइक होने लगी।

सोशल मीडियाबाजों का यह हल्‍ला बोल लगातार जारी है और कहा नहीं जा सकता कि यह अभी और कितने दिन चलेगा। लेकिन मेरा सवाल दूसरा है। मैं इस बहस में पड़ना ही नहीं चाहता कि रेप की धमकी देने वाला एबीवीपी का था या नहीं, या कि गुरमेहर ने अपने साल भर पुराने वीडियो में पाकिस्‍तान का समर्थन किया या नहीं…

मैं तो इस देश, इस समाज, यहां की सरकार और कानून के रखवालों से पूछना चाहूंगा कि क्‍या इस देश में किसी को भी, किसी महिला का रेप कर डालने की इजाजत है? और यदि ऐसा नहीं है तो वह सांड, जिसका नाम फेसबुक पर रोहन कुमार बताया जा रहा है, आज तक छुट्टा कैसे घूम रहा है?

मुझे रेप की धमकी से और भी ज्‍यादा आपत्ति तो इस बात पर है कि अंतरिक्ष में एक साथ 104 सेटेलाइट छोड़ने की क्षमता हासिल कर लेने वाला यह देश अपने ही समाज में तीन दिन तक एक ऐसे व्‍यक्ति को ढूंढ या पहचान नहीं पाया है, जिसने सरेआम किसी लड़की को रेप की धमकी दी है।

जिस एबीवीपी पर आरोप है कि उससे जुड़े व्‍यक्ति ने रेप की धमकी दी, उसके राष्‍ट्रीय मीडिया प्रमुख श्रीरंग कुलकर्णी ने मंगलवार को सुबह सवेरे को फोन करके कहा कि खुद हमने इस मामले में पुलिस में रिपोर्ट कराई है कि ऐसी धमकी देने वाला चाहे कोई भी हो उसे गिरफ्तार कर उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए।

अब सवाल यह है कि यदि यह रोहन कुमार नाम का बंदा इस दुनिया में कहीं है तो क्‍या उसे अब तक पुलिस के शिकंजे में नहीं होना चाहिए था? जिस देश में फेसबुक पर जरा सी राजनीतिक रंगत वाली या सरकारों को रास न आने वाली टिप्‍पणी पर पुलिस घर में घुसकर युवकों व युवतियों को दबोच सकती है वहां यह रोहन कुमार इतनी संगीन धमकी देने के बावजूद पकड़ से बाहर कैसे है?

मान लीजिए एक लड़की के साथ रेप की धमकी के बजाय धमकी अगर यह होती कि प्रधानमंत्री या मुख्‍यमंत्री को गोली मार दी जाएगी तो भी क्‍या पुलिस इसी तरह का ठंडा बर्ताव करती? उस समय शायद जमीन आसमान एक करके उस आदमी को खोज लिया जाता। क्‍या हमारे समाज में एक लड़की की अस्‍मत की कोई अहमियत नहीं बची?

मामला यह है ही नहीं कि धमकी देने वाला एबीवीपी से जुड़ा है या नहीं जुड़ा है। मामला यह है कि इस देश में एक लड़की को एक गुंडा सरेआम रेप की धमकी देता है और पूरा देश उस गुंडे को पकड़ने के बजाय सोशल मीडिया पर राजनीतिक रंग वाली बहस में उलझ जाता है।

दरअसल सबसे गंभीर बात यह है कि सोशल मीडिया नाम के इस अखाड़े मे उतरने वाले पहलवानों की कोई पहचान ही सुनिश्चित नहीं है। ऐसे हजारों लोग अपनी पहचान छुपाकर या फर्जी पहचान रखकर जिंदा बम की तरह इस भीड़ में मौजूद हैं। वे कब फट पड़ेंगे और सामाजिक ताने बाने के चीथड़े उड़ा देंगे कोई नहीं जानता।

जब तक हमारा कानून सोशल मीडिया पर व्‍यक्ति की पहचान सुनिश्चित करने के सख्‍त मापदंड तय नहीं करेगा इस तरह के हादसे होते रहेंगे। कोई भी सिरफिरा इस मैदान में कूड़ा करकट पटक जाएगा और बाकी लोग उस कूड़े के रंग और गंध पर बहस करते फिरेंगे।

यदि ऐसे लोगों के खिलाफ तत्‍काल कार्रवाई हो और कानून सख्‍ती से पेश आए तो क्‍या मजाल है कि कोई रोहन कुमार किसी को रेप की धमकी दे सके या कोई शोभा डे, बीमारी से मजबूर किसी पुलिस वाले की खिल्‍ली उड़ाने जैसा अशोभनीय ट्वीट कर सके।

कायदे से तो शोभा डे को भी अंदर होना चाहिए और रोहन कुमार को भी। जब तक ये सबक नहीं मिलेंगे सोशल मीडिया के लकड़बग्‍घे समाज को ऐसे ही कलंकित करते रहेंगे। और हां, सोचना उस जमात को भी होगा जो ऐसे मौकों पर या ऐसी घिनौनी हरकत करने वालों के खिलाफ कार्रवाई होने पर, अभिव्‍यक्ति की आजादी का नाम लेकर छाती कूटने लगती है। अपराध का सबब बनती इस आजादी का कुछ तो करना ही होगा… 

 

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