बेरोजगारी की जब भी बात होती है राजनीतिक क्षेत्र में इस समस्या का सामान्यीकरण कर, उसका लोकप्रिय हल बेरोजगारी भत्ते के रूप में बता दिया जाता है। सरकारों से जब बेरोजगार युवाओं का गुस्सा या उनकी समस्या नहीं संभलती तो वे बेरोजगारी भत्ते का झुनझुना पकड़ा कर उसे चुप कराने का उपक्रम करती नजर आने लगती हैं।
दिक्कत यह है कि बेरोजगार युवा भी सरकारों या राजनीति के इस झांसे में आ जाते हैं और उन्हें लगता है कि चलो कुछ तो अंटी में आया। लेकिन न तो यह उनकी समस्या का स्थायी हल है और न ही सरकारों के लिए बचने का साधन। पिछले कुछ सालों के दौरान सरकारों ने इसी तरह की मुफ्तखोरी को बढ़ावा देकर खुद की कुर्सी बचाने का काम बहुत होशियारी से किया है। इससे सामाजिक और आर्थिक ढांचे को जो नुकसान पहुंच रहा है उसकी तरफ किसी का ध्यान नहीं है।
मध्यप्रदेश में हाल ही में हुए चुनाव से कुछ समय पहले भी युवाओं को रिझाने के लिए बेरोजगारी भत्ते की यह चाल चली गई थी। बताया गया था कि राज्य सरकार प्रदेश के बेरोजगारों को ‘मध्यप्रदेश बेरोजगारी भत्ता योजना’ के तहत हर महीने एक से डेढ़ हजार रुपए तक की राशि देने जा रही है।
विधानसभा चुनाव में इस बार कुल 5 करोड़ से अधिक मतदाताओं में से 18 से 29 साल के मतदाताओं की संख्या डेढ़ करोड़ से ज्यादा थी। यानी प्रदेश के तीस प्रतिशत से अधिक मतदाता ऐसे युवा थे जिनके लिए नौकरी या रोजगार सबसे बड़ा मुद्दा है। इन्हीं युवा मतदाताओं को लुभाने के लिए दोनों ही प्रमुख दलों कांग्रेस और भाजपा ने चुनावी वायदों में रोजगार को प्रमुखता दी थी।
चुनाव हो जाने के बाद सत्ता पक्ष और विपक्ष को उनके वायदे याद दिलाने के लिए जरूरी है कि भाजपा के ‘दृष्टि पत्र’ और कांग्रेस के ‘वचन पत्र’ के उन वायदों को भी रिकार्ड पर ले लिया जाए। भाजपा ने अपने ‘दृष्टि पत्र’ में ‘सभी के लिए पढ़ाई सभी के लिए कमाई’ और ‘हर हाथ एक काज’ का वादा किया था।
उसने यह भी कहा था कि अगले 5 वर्ष में विभिन्न कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से 50 लाख युवाओं को कौशल प्रशिक्षण से रोजगार के लिए तैयार किया जाएगा। इसके अलावा ‘मुख्यमंत्री कौशल्या योजना’ में सालाना 3 लाख से अधिक महिलाओं को प्रशिक्षित किया जाएगा।
चूंकि भाजपा सरकार में नहीं आई इसलिए उसके वायदों पर बहुत ज्यादा बात करने का कोई मतलब नहीं है। अब तो लोग देखना चाहेंगे कि कांग्रेस की नई सरकार युवाओं के लिए क्या करती है। तो आइए यह भी जान लें कि कांग्रेस ने अपने ‘वचन पत्र’ में युवाओं और रोजगार को लेकर क्या वायदे किए हैं।
कांग्रेस ने मध्यप्रदेश के मूल निवासियों को सरकारी नौकरी में प्राथमिकता देने, सरकारी नौकरियों के लिए भरती की अधिकतम आयुसीमा में दो साल की बढ़ोतरी करने, राज्य कर्मचारी चयन आयोग का गठन करने और व्यापम को बंद कर उसके स्थान पर शासकीय सेवाओं में चयन की पारदर्शी एवं विकेंद्रीकृत व्यवस्था लागू करने का वाद किया है।
इसके अलावा उसने एक लाख युवाओं को सूचना प्रौद्योगिकी क्षेत्र में रोजगार उपलब्ध कराने, युवा शोधकर्ता और आविष्कारकर्ताओं को 10 लाख तक का पुरस्कार देने और स्वयं के उद्यम की स्थापना हेतु युवाओं को रियायती ब्याज पर ऋण दिलाने की बात भी कही है।
लेकिन मुझे इन तमाम सारे वायदों में से दो वायदे महत्वपूर्ण लगे। इनमें पहला है कि सरकार प्रदेश में नए उद्योग लगाने वालों और स्थापित उद्योग में 50 करोड़ से अधिक का निवेश कर राज्य के शिक्षित युवाओं को रोजगार देने वाले उद्योगों को, ऐसे युवाओं के वेतन का 25 फीसदी अथवा अधिकतम दस हजार रुपए प्रतिमाह, इनमें से जो भी कम हो, वह राशि पांच साल तक अनुदान के रूप में देगी।
वचन पत्र का दूसरा वादा वो है जिसके बारे में ठीक ठीक जान लेना बहुत जरूरी है। चुनाव के दौरान मीडिया में यह भरपूर प्रचार हुआ है कि कांग्रेस ने युवाओं को बेरोजगारी भत्ता देने का वायदा किया है। लेकिन ऐसा नहीं है। कांग्रेस ने अपने पूरे वचन पत्र में ‘बेरोजगारी भत्ता’ शब्द का जिक्र तक नहीं किया है।
कांग्रेस ने कहा है- ‘’विवेकानंद युवा शक्ति मिशन प्रारंभ करेंगे, इसके अंतर्गत मध्य प्रदेश के मूल निवासी, आर्थिक रूप से कमजोर/शिक्षित परिवार के युवक/युवती जो स्वयं का उद्यम स्थापित करें, नए अधिवक्ता जो स्वयं का वकालत पेशा प्रारम्भ करें, प्रदेश के निर्माण, जनजागरण, शासन द्वारा कराये जाने वाले सर्वे, जनगणना, आपदा प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण, वृक्षों का संरक्षण, स्वच्छता, टूरिस्ट गाइड आदि के क्षेत्र में नया कार्य प्रारम्भ करेंगे, उनको उस क्षेत्र में स्थापित करने हेतु कांग्रेस सरकार 4000 प्रतिमाह 5 साल के लिए सहभागिता राशि प्रोत्साहन के रूप में देगी। यह राशि अन्य कोई रोजगार से लगने/आयकर की सीमा में आने तक, जो भी पहले हो, रहेगी।‘’
यानी दस्तावेज जो कह रहा है उसके हिसाब से तो कांग्रेस ने बेरोजगारी भत्ते जैसी कोई बात ही नहीं की है, उसने सिर्फ किसी न किसी रूप में स्वयं का उद्यम स्थापित करने वाले युवाओं को चार हजार रुपए की मदद करने की बात कही है। साफ है कि यह मदद उन्हीं लोगों को मिलेगी जो कुछ न कुछ काम कर रहे होंगे।
इस मुद्दे के बारे में प्रदेश की जनता को जानना इसलिए भी जरूरी है कि आने वाले दिनों में कोई यह न समझे कि कोई भी युवा ग्रेजुएट होकर निकला और उसे बेरोजगारी भत्ता मिलना शुरू हो जाएगा। नई सरकार और कांग्रेस को भी मेरी सलाह है कि वे इस मुद्दे को जितना जल्दी हो सके जनता के सामने स्पष्ट कर दें। इसके नियम आदि जल्दी ही पूरी पारदर्शिता के साथ प्रसारित किए जाएं ताकि कोई भ्रम न रहे।
यदि स्थिति स्पष्ट नहीं की गई तो चुनाव के दौरान हुए प्रचार से बनी लोकधारणा के मुताबिक लोग अपेक्षा करेंगे कि वे चाहे कुछ करें या न करें उन्हें सरकार चार हजार रुपए तो देने ही वाली है। और यदि ऐसा नहीं हो पाया तो सरकार पर सीधा आरोप लगेगा कि वह वादाखिलाफी कर रही है। (जारी)