100 देशों के अस्‍पतालों पर बड़ा साइबर हमला

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ब्रिटेन सहित दुनिया भर के करीब 100 अस्‍पतालों व स्‍वास्‍थ्‍य संगठनों पर बड़ा साइबर हमला हुआ है। हमलावरों ने प्रभावित होने वाली प्रति मशीन पर 300 डॉलर यानी करीब 20000 रुपए की फिरौती मांगी है। अपराध जगत की डिजिटल करंसी ‘बिटकॉइन’ में मांगी गई यह रकम अरबों रुपए होती है। रकम न मिलने की स्थिति में इन सारे अस्‍पतालों व स्‍वास्‍थ्‍य एवं चिकित्‍सा संगठनों का डॉटा उड़ा दिए जाने की धमकी दी गई है। इसके चलते दुनिया के कई देशों में हेल्‍थ इमरजेंसी जैसे हालात पैदा हो गए हैं।

हमले का पता शुक्रवार को लंदन के एक अस्‍पताल से चला। यहां कम्प्यूटर्स और फोन बंद होने की वजह से स्टाफ इनका इस्तेमाल नहीं कर पा रहा है। मरीजों को कई सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं। गंभीर मरीजों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया है और ऑपरेशन आदि गतिविधियां टालनी पड़ी हैं। ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस ने कहा है कि बेहद इमरजेंसी होने पर ही मरीज हॉस्पिटल का रुख करें। हालांकि, NHS का ये भी कहा है कि वो इस मुश्किल से निपटने के लिए सभी जरूरी कदम उठा रही है।

किन हॉस्पिटल्स पर हुआ साइबर अटैक

न्यूज एजेंसी के मुताबिक, लंदन, ब्लैकबर्न, नॉटिंघम, कम्ब्रिया और हर्टफोर्डशायर के हॉस्पिटल्स पर साइबर अटैक की रिपोर्ट है। फोन और आईटी सिस्टम बंद कर दिए गए हैं। डॉक्टरों को कागज-पेन का इस्तेमाल करना पड़ रहा है। यही नहीं, साइबर अटैक को देखते हुए डॉक्टरों ने पेशेंट्स के सारे अप्वाइंटमेंट कैंसल कर दिए।

ब्रिटेन की नेशनल हेल्थ सर्विस (NHS) ने कहा है कि इस संकट को हल करने की कोशिशें जारी हैं। NHS की तरफ से जारी एक स्टेटमेंट में कहा गया है कि आईटी एक्सपर्ट्स समस्या को जल्द से जल्द सुलझाने की कोशिशें कर रहे हैं। नेशनल साइबर सिक्युरिटी सेंटर पर भी नजर रखी जा रही है।

हैकर्स ने किस तरह मांगी फिरौती?

रिपोर्ट्स के मुताबिक, कुछ हॉस्पिटल्स के स्टाफ ने दावा किया कि कम्प्यूटर स्क्रीन पर एक मैसेज पॉपअप हो रहा है। जिसमें कहा गया- हालात काबू में हैं। अगर सभी फाइल डिलीट होने से रोकना चाहते हो तो हर हाल में फिरौती की रकम अदा करो। एक दूसरे पॉपअप मैसेज में कहा गया- कंट्रोल वापस पाने के लिए प्रति मशीन करीब 20 हजार रुपए (300 डॉलर) की कीमत की बिटकॉइंस करंसी दी जाए।

किन सर्विसेस पर ज्यादा असर?

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, अधिकारियों ने बताया कि कम्प्यूटर पूरी तरह हैक होने की वजह से एक्स-रे इमेज, पैथोलॉजी टेस्ट रिजल्ट्स, फोन और ब्लीप सर्विस के साथ पेशेंट्स एडमिनिस्ट्रेशन सर्विस पर सबसे ज्यादा असर पड़ने की आशंका है।

कब तक का वक्त दिए हैकर्स ने?

डेली मेल यूके के मुताबिक, कम्प्यूटर स्क्रीन पर दिखने वाले पॉपअप मैसेज में एक काउंटडाउन भी शो हो रहा है। इसमें फिरौती देने के लिए हैकर्स ने अगले शुक्रवार तक का वक्त दिया है।

साइबर अटैक से कैसे निपट रहा है NHS?

NHS ने कहा कि उसकी सर्विसेस पर साइबर अटैक हुआ है। पूरे देश में नॉन अर्जेंट अप्वाइंटमेंट और ऑपरेशंस को टाल दिया गया है। जनरल प्रैक्टिशनर सर्जरीज का कहना है कि उनकी फोन लाइंस कट हैं। कुछ इलाकों में डॉक्टर्स ने पेन और पेपर का इस्तेमाल शुरू कर दिया है। पेशेंट्स से कहा गया है कि जब तक बेहद जरूरी न हो, वो फोन न करें।

NHS मर्सीसाइड ने कहा कि संदिग्ध नेशनल साइबर अटैक को देखते हुए हम सभी तरह के एहितायती कदम उठा रहे हैं। हम अपने लोकल NHS सिस्‍टम और सर्विस को बचाने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। पब्लिक हेल्थ सर्विस ने कहा- आईटी स्पेशलिस्ट इस परेशानी को जल्द से जल्द दूर करने की कोशिश कर रहे हैं।

मरीजों के लिए क्‍या हल है NHS के पास?

टेलीग्राफ की रिपोर्ट के मुताबिक, ईस्ट एंड नॉर्थ हार्टफोर्डशायर NHS ट्रस्ट ने कहा,”आज हम एक बड़ी आईटी प्रॉब्लम का सामना कर रहे हैं। ऐसा लगता है कि ये एक साइबर अटैक की वजह से हुआ है। ट्रस्ट सभी नॉन-अर्जेंट एक्टिविटी को टाल दे रहा है। अगर जिंदगी बचाने का सवाल हो तो NHS111 या फिर 999 पर मेडिकल एडवाइज के लिए कॉल करें।

क्या है बिटकॉइन?

जिस तरह रुपए, डॉलर और यूरो खरीदे जाते हैं, उसी तरह बिटकॉइन की भी खरीद होती है। ऑनलाइन पेमेंट के अलावा इसको ट्रेडिशनल करंसीज में भी बदला जाता है। बिटकॉइन की खरीद-बिक्री के लिए एक्सचेंज भी हैं, लेकिन उसका कोई ऑफिशियल शेप नहीं है।

बिटकॉइन एक नई इनोवेटिव डिजिटल टेक्नोलॉजी या वर्चुअल करंसी है। इसको 2008-2009 में सतोशी नाकामोतो नाम का सॉफ्टवेयर डेवलपर चलन में लाया। कम्प्यूटर नेटवर्कों के जरिए इस करंसी से बिना किसी मीडिएटर के ट्रांजैक्शन किया जा सकता है। इस करंसी को डिजिटल वॉलेट में रखा जाता है।

बिटकॉइन से खतरा क्यों?

बिटकॉइन ब्‍लैक मनी, हवाला और टेररिस्ट एक्टिविटीज में ज्‍यादा इस्‍तेमाल किए जाने की वजह से सुर्खियों में है। इसके बढ़ते इस्‍तेमाल ने सिक्युरिटी एजेंसीज की नींद उड़ा दी है। आरबीआई समेत किसी भी रेग्‍युलेटर ने इसे वैधानिक मान्‍यता नहीं दी है।

कब-कब हुए बड़े साइबर अटैक?

याहू (2013):

ये अब तक का सबसे बड़ा डाटा चोरी का मामला था। इस साइबर अटैक में करीब 1 अरब अकाउंट्स से डाटा चोरी किया गया।

ईबे (2014):

14.50 करोड़ यूजर्स को पासवर्ड चेंज करने को कहा गया था। साइबर अटैक में हैकर्स ने यूजर्स का पासवर्ड, नाम और डेट ऑफ बर्थ जैसा डाटा चोरी कर लिया था।

सोनी (2014):

सोनी पिक्चर इंटरटेनमेंट पर हुए साइबर अटैक में 47 हजार इम्प्लॉई और एक्टर्स की प्राइवेट डिटेल्स लीक हो गई थीं।

यूएस सेंट्रल कमांड (2015):

हैकर्स ने दावा किया कि सेंट्रल कमांड के यूट्यूब और ट्विटर के लिंक उन्होंने हैक कर लिए हैं। दावे को सच साबित करने के लिए कमांड का लोगो चेंज कर उसकी जगह एक नकाबपोश का चेहरा लगा दिया गया था।

एश्‍ले मेडिसन (2015):

एडल्ट डेटिंग वेबसाइट को हैक करने के बाद हैकर्स ने इसके 3.7 करोड़ यूजर्स के नाम जाहिर करने की धमकी दी थी।

टॉक-टॉक (2015):

करीब 1,57 हजार कस्टमर्स की पर्सनल डिटेल हैकर्स ने हासिल कर ली। 15,656 अकाउंट्स नंबर, सॉर्ट कोड, क्रेडिट कार्ड डिटेल चोरी कर ली।

माई स्पेस (2016):

माना जाता है कि 36 करोड़ पासवर्ड और ई-मेल कुछ साल पहले चोरी कर लिए गए। इन्हें छिपे हुए इंटरनेट मार्केटप्लेस में प्लेस किया गया।

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