पीया आओ तो मनड़ारी बात करल्यां

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राजस्थानी लोग गीतों में प्रेम के उदात्त भावों की बहुत ही भाव पूर्ण व्यंजना हुई है। इनमें प्रतीक्षा, मिलन की उत्कंठा और विरह के भाव हैं। …पिया आओ तो मनड़ा री बात करल्यां… ऐसा ही भावपूर्ण गीत है। इस गीत के साथ घूमर नृत्य हो तो कहना ही क्या।

पीया आओ तो मनड़ारी बात करल्यां

(पिया आओ तो मन की बात कर लें)

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बाटड़ल्यां थारी जोवती म्हारी आंखड़ल्या दिन रात

आओ म्हारा सायबा तो करल्यां मनड़ा’री बात

पिया आओ तो

ओ जी पिया आओ तो मनड़ा’री बात करल्यां

थांकी बातड़ल्यां आज म्हे पूरी रात करल्यां

आंगणियै घर मतवाला ढोला आयां सरसी

मनड़ा’री प्यास तो बुझायां सरसी

पिया आओ तो मनड़ा’री बात करल्यां…

(भाव यह है

मेरी आंखे दिन-रात आपकी प्रतीक्षा करती हैं

प्रिय आप आओ तो मन की बात करलें

प्रिय आओ मन की बात करलें

पूरी रात मैं आपसे बातें करती रहूं

प्रिय आपको घर आना ही पड़ेगा

मेरे मन की प्यास को बुझाना ही पड़ेगा)

परदेसी थारी ओळयूं घणी आवै

पागल मन न कुण समझावै

पायल छम छम शोर मचावै

हाथां रा कंगण थानै ई बुलावै

चंदा चांदणी तो थांको म्हाको साथ करल्यां

थांकी बातड़ल्यां म्है आज पूरी रात करल्यां

पिया आओ तो मनड़ा’री बात करल्यां

(भाव यह है

परदेसी मुझे आपकी बहुत याद आती है

इस पागल मन को कौन समझाए

पायल छम छम की आवाज कर रही है

हाथों के कंगन भी आपको बुला रहे हैं

चंदा और चांदनी की तरह मेरा आपका साथ हो

मैं पूरी रात आपकी बातें कर लूं

पिय आओ तो मन की बात कर लें)

आंगणियै घर मतवाला ढोला आयां सरसी

गौरी न हिवड़ ‘अ लगायां सरसी

सावणिये म लहरियो रंगायां सरसी

पिया आओ तो मनड़ा’री बात करल्यां

थांकी बातड़ल्यां म पूरी रात करल्यां

(भाव यह है

प्रिय आपको घर आना ही पड़ेगा

अपनी पत्नी को हृदय से लगाना ही पड़ेगा

सावन में उसके लिए लहरिया रंगाना ही होगा

पिया आओ तो मन की बात कर लें

आपकी बातों में पूरी रात गुजर जाए)

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श्री गजानंद शर्मा की फेसबुक वॉल से साभार 

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