क्‍या ये भवन मनहूस है?

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मध्‍यप्रदेश की राजधानी भोपाल में बहुत ही खूबसूरत पहाड़ी अरेरा हिल्‍स पर बनी, यह शानदार इमारत क्‍या मनहूस है…?

इस सवाल का जवाब देने से पहले ये जान लीजिए कि आखिर ये इमारत है क्‍या? दरअसल यह मध्‍यप्रदेश की विधानसभा है। जो विश्‍वविख्‍यात वास्‍तुविद चार्ल्‍स कोरिया ने डिजाइन की थी और इसका निर्माण 1996 में पूरा हुआ था।

लेकिन आखिर इतनी सुंदर लोकेशन और इतनी शानदार बनावट के बावजूद इस पर मनहूस होने का लेबल क्‍यों चस्‍पा हुआ? इसका जवाब उतना ही दर्दनाक है। दरअसल यह इमारत बनने के बाद से ही कुछ ऐसे अंधविश्‍वासों से घिरी रही है, जिनका किसी के पास कोई तार्किक जवाब नहीं है।

इसके मनहूस होने का सबसे बड़ा कारण यह बताया जाता है कि इसके बनने के बाद सदन में कभी भी सदस्‍यों की पूरी संख्‍या बनी नहीं रही। विधानसभा के इस नए भवन के बनने के बाद हर बार किसी न किसी कारण से विधायकों की मृत्‍यु होती रही है। यह संख्‍या भी छह से अधिक ही रही है।

पहले मध्‍यप्रदेश की विधानसभा का भवन शहर के बीचोंबीच राजभवन के ठीक सामने स्थित था। लेकिन वह भवन पुराना होने के कारण नया भवन बनवाया गया। अत्‍यंत विशाल परिसर में बना यह भवन बनावट में जितना सुंदर और भव्‍य है, उतनी ही इसमें सुविधाएं भी हैं। विधानसभा का कामकाज इस नए भवन में 1996 में शिफ्ट हुआ।

नए भवन में आने के बाद राज्‍य की 11 वीं विधानसभा से लेकर 14 वीं विधानसभा तक ऐसा कोई कार्यकाल नहीं रहा है, जब लगातार विधायकों की मौत न हुई है। जब इस भवन को शिफ्ट किया गया था, तब भी इसके वास्‍तु दोष को लेकर बातें उठी थीं और उन्‍हें दूर करने के लिए तत्‍कालीन विधानसभा अध्‍यक्ष श्रीनिवास तिवारी ने बाकायदा पूजा-पाठ और यज्ञ, अनुष्‍ठान आदि करवाए थे। उसके बाद भी वास्‍तु दोषों को लेकर कुछ न कुछ काम चलता रहा, जिसमें प्रवेश द्वार की दिशा बदले जाने से लेकर कुछ द्वारों को बंद किए जाने तक के उपाय शामिल हैं। लेकिन नतीजा कुछ नहीं निकला। विधायकों के दिवंगत होने का सिलसिला अभी तक जारी है।

वर्तमान में मध्‍यप्रदेश की 14 वीं विधानसभा काम कर रही है। इससे पहले तेरहवीं विधानसभा में तो विधानसभा अध्‍यक्ष ईश्‍वरदास रोहाणी, उपाध्‍यक्ष हरवंश सिंह और प्रतिपक्ष की नेता जमुना देवी का निधन हो गया था। 14 वीं विधानसभा में भी अभी तक पांच विधायकों का निधन हो चुका है। नेपानगर के विधायक राजेंद्रसिंह दादू का तो हाल ही में 9 जून को सड़क दुर्घटना में निधन हो गया। वह भी ऐन उस समय जब सत्‍तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी, राज्‍यसभा चुनाव में निर्दलीय के रूप में खड़े किए गए अपने प्रत्‍याशी विनोद गोटिया के लिए एक-एक वोट की जुगाड़ कर रही है।

दादू के निधन के बाद विधानसभा को मनहूस बताने वालों की फिर बन आई है और उन्‍होंने एक बार फिर इस भवन को सदस्‍यों के लिए अशुभ कहना शुरू कर दिया है।

दिवंगतों का इतिहास

11 वीं विधानसभा (1998-2003)

ओंकारप्रसाद तिवारी, कृष्‍णपालसिंह, दरियावसिंह सोलंकी, मगनसिंह पटेल, रणधीरसिंह, लिखिराम कांवरे, शिवप्रतापसिंह, संयोगिता देवी, वेस्‍ता पटेल, लालसिंह पटेल।

12 वीं विधानसभा (2003-2008)

किशोरीलाल वर्मा, दिलीप भटेरे, प्रकाश सोनकर, अमरसिंह कोठार, लवकेश सिंह, लक्ष्‍मणसिंह गौड़, सुनील नायक।

13 वीं विधानसभा (2008-2013)

माखनलाल जाटव, जमुनादेवी, रत्‍नेश सॉलोमन, खुमानसिंह शिवाजी, हरवंश सिंह, ईश्‍वरदास रोहाणी।

14 वीं विधानसभा (2013 से अब तक)

प्रभात पांडे, राजेश यादव, तुकोजीराव पवार, सज्‍जनसिंह उइके, राजेंद्रसिह दादू।

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