एक बात तो तय है। राजनीति और किसी बात की कसम भले ही न लेती हो लेकिन इस बात की जरूर लेती है कि वह अपनी गलतियों से कभी सबक नहीं सीखेगी। यदि ऐसा नहीं होता तो यह कभी नहीं होता कि लगातार की जाने वाली गलतियों के कारण नुकसान उठाने के बावजूद वे ही गलतियां बार बार दोहराई जातीं। पर अब तो ऐसा लगने लगा है कि ये गलतियां संकल्पबद्ध होकर दोहराई तिहराई जा रही हैं।
इस तरह की गलतियां करने में कांग्रेस के कुछ नेता तो ज्यादा ही फारवर्ड हैं। फिर चाहे वह मणिशंकर अय्यर हों या शशि थरूर। इसी कड़ी में पिछले कुछ समय से एक नया नाम अधीररंजन चौधरी का भी जुड़ गया है। पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष रह चुके अधीररंजन को जब से कांग्रेस ने लोकसभा में अपने दल का नेता बनाया है, बोलने के मामले में उनकी अधीरता कुछ ज्यादा ही बढ़ गई है।
कुछ दिन पहले उन्होंने धारा 370 हटाए जाने को लेकर संसद में हुई बहस के दौरान कह दिया था कि सरकार कहती है कि जम्मू कश्मीर हमारा आंतरिक मामला है। लेकिन 1948 से संयुक्त राष्ट्र इस मामले की निगरानी कर रहा है तब भी क्या यह आंतरिक मामला है? हमने शिमला समझौते और लाहौर घोषणा पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं क्या तब भी यह आंतरिक मामला है या द्विपक्षीय? अधीर जब संसद में यह सब बोल रहे थे उस समय कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी सहित पार्टी के बाकी नेताओं की मुखमुद्रा और उनके माथे पर पड़ने वाली सलवटें देखने लायक थीं।
अधीर जोश जोश में वह बात कहने को तो कह गए थे लेकिन उन्होंने क्या गुड़गोबर किया है इसका पता उन्हें तब चला जब गृहमंत्री अमित शाह ने पलटवार करते हुए पूछा कि क्या कांग्रेस का यह आधिकारिक स्टैण्ड है? क्या यूनाइटेड नेशन्स कश्मीर को मॉनिटर कर सकता है? इसी दौरान सत्ता पक्ष की ओर से कई और सदस्यों ने अधीररंजन पर सवालों की बौछार कर दी थी जिसने कांग्रेस को डिफेंसिव होने पर मजबूर कर दिया था और अधीररंजन को सफाई देनी पड़ी थी कि उनके कहने का मतलब वह नहीं था जो भाजपा निकाल रही है। वे तो केवल सरकार से स्पष्टीकरण मांग रहे थे।
एक बार अधीररंजन प्रधानमंत्री को संसद में परोक्ष रूप से ‘गंदी नाली’ कह चुके हैं। ऐसे ही, एनआरसी को लेकर एक न्यूज एजेंसी से बात करते हुए उन्होंने कहा था- ‘’अमित शाह जी, नरेंद्र मोदी जी, आप खुद घुसपैठिए हैं। घर आपका गुजरात आ गए दिल्ली। आप तो खुद शरणार्थी हैं।‘’ इस कमेंट पर भारी हंगामा हुआ था। जब उन्होंने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण को निर्बला सीतारमण कहा तब भी काफी बवाल मचा था।
ये ही अधीररंजन चौधरी अब एक नए बयान को लेकर सुर्खियों में हैं। कश्मीर में आतंकवादियों से संबंध होने के आरोप में पकड़े गए डीएसपी देविंदरसिंह को लेकर उन्होंने ट्वीट किया- ‘’अगर देविंदर सिंह इत्तफाक से देविंदर खान होता, तो आरएसएस की ट्रोल सेना की प्रतिक्रिया कहीं ज़्यादा तीखी और मुखर होती।‘’ जैसे ही यह ट्वीट आया सोशल मीडिया पर लोग पिल पड़े। भाजपा ने सीधा आरोप लगाया कि कांग्रेस आतंकवादी घटनाओं को भी धर्म से जोड़कर देख रही है। भाजपा प्रवक्ता संबित पात्रा ने तो यहां तक कह दिया कि कांग्रेस पाकिस्तान की भाषा बोल रही है।
और जैसे एक अधीररंजन ही काफी नहीं थे तो बुधवार को कांग्रेस के चर्चित बड़बोले नेता मणिशंकर अय्यर कुछ दिनों की चुप्पी के बाद एक बार फिर प्रकट हुए और उन्होंने दिल्ली के शाहीनबाग में चल रहे प्रदर्शन को संबोधित करते हुए भाजपा को परोक्ष रूप से ‘कातिल’ कह डाला। नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) का विरोध कर रही महिलाओं का समर्थन करते हुए अय्यर बोले- ‘मैं उन बलिदानों के लिए तैयार हूं, जो हमसे मांगे जा जा रहे हैं। हम देखेंगे कि किसका हाथ मजबूत हैं। हमारा या क़ातिल का।‘ उन्होंने कहा कि भाजपा ‘सबका साथ, सबका विकास’ के नारे के साथ सत्ता में आई थी, लेकिन वह ‘सबका साथ, सबका विनाश’ करने पर तुली हुई है।
आप यदि भूल नहीं रहे हों तो याद कीजिये, गुजरात चुनाव से पहले भी माननीय मणिशंकर जी ने कुछ इसी स्टाइल का बयान दिया था। संविधान निर्माता डॉ. बीआर आंबेडकर को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए अय्यर ने बोले थे-‘’ये आदमी बहुत नीच किस्म का आदमी है। इसमें कोई सभ्यता नहीं है और ऐसे मौके पर इस किस्म की गंदी राजनीति करने की क्या आवश्यकता है।‘’
उस बयान ने गुजरात चुनाव में कांग्रेस के लिए बहुत बड़ी मुसीबत पैदा कर दी थी। भाजपा ने इसे अपने पक्ष में जमकर भुनाया था और नरेंद्र मोदी ने पलटवार करते हुए कहा था- “उन्होंने मुझे नीच कहा। हां, मैं समाज के गरीब तबके से आता हूं और मैं अपनी जिंदगी का हर लम्हा गरीबों, दलितों, आदिवासियों और ओबीसी तबके के लिए काम करने में खर्च करूंगा। वे अपनी भाषा अपने पास रखें, हम अपना काम करते रहेंगे।”
अय्यर के बयान से हालात इतने बिगड़ गए थे कि पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष राहुल गांधी को स्थिति संभालने के लिए खुद सामने आना पड़ा था और उन्होंने ट्वीट किया था- “बीजेपी और प्रधानमंत्री कांग्रेस पर हमला करने के लिए नियमित रूप से गंदी भाषा का इस्तेमाल करते हैं। कांग्रेस की एक अलग संस्कृति और विरासत है। प्रधानमंत्री के लिए मणिशंकर अय्यर ने जिस भाषा और लहजे का इस्तेमाल किया है, मैं उसे ठीक नहीं मानता हूं। उन्होंने जो कहा, कांग्रेस और मैं दोनों ही उनसे इसके लिए माफी की उम्मीद करते हैं।‘’ उस घटना के बाद पार्टी ने अय्यर को निलंबित कर दिया था लेकिन बाद में उनका निलंबन खत्म कर दिया गया।
मजे की बात यह है कि चाहे अधीर हों या मणि, दोनों ने अपने बयानों पर घिर जाने के बाद एक जैसी ही सफाई दी है, वो यह कि उनकी हिन्दी कमजोर है।
आज जब दिल्ली के चुनाव सिर पर हैं ऐसे में अधीररंजन चौधरी और मणिशंकर के बयान कांग्रेस को क्या नुकसान पहुंचाएंगे कहना मुश्किल है। पर इतना तय है कि दिल्ली के चुनावी मैदान में आम आदमी पार्टी से कड़े मुकाबले में उलझी भाजपा की तोपों के लिए कांग्रेस ने अच्छी खासी बारूद मुहैया करा दी है।